ये बात उन दिनों की है
जब मैं कविता लिखा करता था
जब
डाउन-टू-अर्थ होना फैशन स्टेटमेंट नहीं था
और हम माँ के ठेकुए छोड़
पिज्जा खाने निकल जाते थे
तब हमारे पास वक्त पैसों से कुछ ज्यादा हुआ करता था
जब
मैंने खरीदी ही थी लाल वाली डायरी और जेटर की लाल कलम
जब लिखते समय
कोई अक्सर आ जाया करता था
सामने वाली खिड़की पर बाल सुखाने
हम दोनों के बीच होता था बस गिलहरी भर का फासला
तब सूरज का रंग कुछ ज्यादा ही लाल हुआ करता था
बहुत दिनों से नहीं लिखी मैंने कोई कविता
और पोलीथिन में ठेकुए का चूरा भर बचा है
महीनों से बंद है डायरी और खिड़की
गिलहरी शायद अब भी आती हो वहां
पर यक़ीनन
कोई नहीं आता होगा बाल सुखाने
अब
कवि- पावस नीर
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10 कविताप्रेमियों का कहना है :
सुखद अनुभूतियों को सुंदर ढंग से सहेजा है आपने.
बहुत सुंदर. कल कल ही होता है.
जीवन के बीते पलों की खूबसूरत अभिव्यक्ति..जैसा कहा गया है की जीवन चलने का नाम है तो ऐसे ही हर पल बदलते रहते है कभी कभी हम पीछे कुछ छोड़ आते है जो आगे जीवन के किसी मोड़ पर याद बन कर हमें सदा देते रहते है.पर ज़रूरी नही की ऐसा दोबारा हक़ीकत में घटित हो..तब बस यादें रह जाती है....
बढ़िया भाव....धन्यवाद!!!
बहुत कम ऐसी कवि होते हैं जो स्मृतियों को सहजता से पंक्तिबद्ध कर पाते हैं। मैं तो जेटर की लाल कलम को भूल चुका था, जबकि मेरी भी लगभग आप जैसी स्मृतियाँ हैं। ये कविताएँ अतीत को दर्ज़ करने का एक तरीका भी हैं।
बहुत दिनों से आपकी कविता का इंतज़ार था ...बुत सुन्दर लिखा है....भावों और पलों कि उतनी ही सुन्दर अभिव्यक्ति...जितने वो होते हैं....लाल देरी...लाल कलम...और ज्यादा ही लाल सूरज....ये कुछ ऐसे ही अनुभव होते हैं...जिनकी ख़ूबसूरती उनकी सहजता में होती है....
धन्यवाद आपकी कविता के लिए...
achchhi rachna badhai!
तब हमारे पास वक्त पैसों से कुछ ज्यादा हुआ करता था |
सुन्दर शब्दों में सबकी बात कह दी आपने , जी गदगद हो उठा ...
बहुत स्नेह और शुभकामनाएं इन पंक्तियों के लिए ..
अतीत की सुखद अनुभूतियाँ अक्सर समय के थपेडों मे कुछ मद्धम सी हो जाती हैं मगर कवि ने जिस एहसास से उन्हें कविता मे ढाला है वो काबिले तारीफ है । धन्यवाद इस सुन्दर कविता के लिये ।
bahut dino se kavita na likhne ki peer ko bhi ek kavita ke madhyam se byan karna... sach behad bhaavporan hai aur sath mein gujre ahsaaso ki bangi ne kavita ko jaise jivant bna diya hai
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