दिसंबर की यूनिप्रतियोगिता मे पंद्रहवें स्थान की कविता धर्मेंद्र सिंह की है। मेरठ इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नॉलॉजी मे सूचना तकनीकी के छात्र धर्मेंद्र की हिंद-युग्म मे यह प्रथम कविता है।
कविता: अगर दरारें बोल सकती
अगर दरारें बोल सकती
तो बताती मेरे दिल का हाल
कि किस तरह खून रिसता है इनसे
हर वक़्त, हर लम्हा, साल दर साल
कि जब दिल में दरारें पड़ती हैं
तो कैसे दरकते है रिश्ते
कैसे जज्बात अपना
गला घोट लेते हैं
कैसे संसार खाली लगता है
खुद अपना चेहरा सवाली लगता है
गर दरारें बोल सकती
तो बताती के कैसे तुमने
अपना वादा नही निभाया
तुम जो कभी बनते थे
हमारे साए
एक पल में जाने
कैसे हुए पराये
किन पत्थरों से
सवाल करते हो धर्मेन्द्र
कोई जवाब नही देगा
इन्हें तो ज़माने हो गए पथराए
गर दरारें बोल सकती
तो दर्द कुछ कम हो जाता
गर दिल की दरारें रो सकतीं
तो फ़ना हर ग़म हो जाता
गर दरारें लिख सकती
तो खोल देती
घाती के दिल का हर राज़
क्योंकि लेखनी झूठ नही बोलती
सच बोलने से नही आती बाज़
गर दरारें लिख सकती
तो मुझे कलम उठाना ना पड़ता
यु मजबूर होकर
आपके पास आना ना पड़ता
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9 कविताप्रेमियों का कहना है :
अच्छी रचना के लिए बहुत बहुत बधाई
धन्यवाद
विमल कुमार हेडा
"कि जब दिल में दरारें पड़ती हैं
तो कैसे दरकते है रिश्ते
कैसे जज्बात अपना
गला घोट लेते हैं
कैसे संसार खाली लगता है
खुद अपना चेहरा सवाली लगता है"
गर दरारें लिख सकती
तो खोल देती
घाती के दिल का हर राज़
क्योंकि लेखनी झूठ नही बोलती
सच बोलने से नही आती बाज़"
धर्मेन्द्र जी बहुत सुंदर और भावनात्मक कविता के बधाई और शुभकामनाएं.
गर दरारें लिख सकती
तो मुझे कलम उठाना ना पड़ता
यु मजबूर होकर
आपके पास आना ना पड़ता
बहुत अच्छी रचना है धर्मेन्द्र जी को बधाई
Darare nahi boli to kya? Lekhini ne rach diya itihaas...good one
जब काेइॅ अपना दिल के करीब हेाता है अाैर करीब रहकर दिल पर चेाट करता है ताे दिल में दरारें पड़ती हैं । कविता दिल से लिखी गइी है लेिकन कहीं कुछ कम है वेा क्या है जैसे ही दिल काे मालूम हाेगा, अवश्य िलखंुगा । अापकी लेखनी में दम है अाैर दिल में भ्ी, िलखते रहें हिंदी की सेवा करते रहें । दिल काे सुकून िमलता है ।
विवेक कुमार पाठक
वाह भाई बहुत खूब सारे कितनी बढ़िया बात कह गये आप अगर दरारें बोल पाती तो..आज दिल को तो हर कदम पर ठेस पहुँचती है .दरारें भी पड़ती है पर कोई जान नही पाता क्योंकि दरारें बोल नही पात..
सुंदर भाव..और एक खूबसूरत रचना..बधाई धर्मेन्द्र जी
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gar darare bol skti to hume or aapko kuch bolne ki jarurat hi nhi padti........
congratulations......
u wrote very true nad touching...
very nice keep it upppp...
mere sare pathkon ko main dhanyawaad dena chahunga ke mera prayash unhe pasand aaya
bahut bahut dhanyawaad
agar apka protshahan mujhe aise hi milta raha to mujhe yakeen hai ki man aur sundar aur acchi kavitayen likh paunga.
phir se bahut bahut dhanyawad
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