मथुरा (उ॰प्र॰) के अभिषेक पाठक "शफक़" वर्तमान में अपने व्यवसाय में कार्यरत हैं। आगरा विश्वविद्यालय से स्नातक और एप्टेक से परा स्नातक डिप्लोमा की डिग्री ले चुके अभिषेक को बचपन से ही साहित्य, काव्य एवं दर्शन की किताबों में विशेष रूचि रही है| कई अंतरजनपदीय वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत हो चुके हैं| विगत कई वर्षों से ग़ज़ल लेखन की ओर झुकाव जिनमें से कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं| इस बार हम इन्हीं की एक रचना प्रकाशित कर रहे हैं, जिसने नवम्बर 2009 की प्रतियोगिता में 12वाँ स्थान बनाया है। अपने साथ की नयी पीढ़ी को "स्तरीय साहित्य" के प्रति जागरूक बनाना चाहते हैं जिससे कि उनमें अपनी संस्कृति के प्रति गर्व की भावना पैदा हो, ऑरकुट पर सीरीयस रायटर्स नाम से लेखकों की एक कम्यूनिटी भी चलाते हैं|
पुरस्कृत कविता-आवारगी
आख़िर उमर सारी यूँही करता रहा आवारगी
दिल में मिरे है दामने महबूब या आवारगी
तेरी बसर के रहगुज़र दिल की सदा हमने सुनी
ता-उम्र इक लंबा सफ़र जीता रहा आवारगी
कुछ कैफियत की रात थी फिक्रे सुखन भी साथ थी
हमने कही इक बात ये बस बाखुदा आवारगी
बेमंज़िलो आराम शब ना आशना ही राह है
कुछ बेरवां कुछ बेसबब बेआसरा आवारगी
दिलचस्प है ये दास्तां मुंसिफ कभी मुजरिम कभी
मेरा ही दिल है कठघरा मेरी खता आवारगी
मुनकिर 'शफक़' काफ़िर सही अपने नहीं दीनो करम
फ़ाँकाकशी अपना धरम अपनी दुआ आवारगी
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6 कविताप्रेमियों का कहना है :
तेरी बसर के रहगुज़र दिल की सदा हमने सुनी
ता-उम्र इक लंबा सफ़र जीता रहा आवारगी.
bhai waah ,bahut khoob
तेरी बसर के रहगुज़र दिल की सदा हमने सुनी
ता-उम्र इक लंबा सफ़र जीता रहा आवारगी.
bhai waah ,bahut khoob
दिलचस्प है ये दास्तां मुंसिफ कभी मुजरिम कभी
मेरा ही दिल है कठघरा मेरी खता आवारगी
एक शे’र मे जैसी पूरी बायॉग्राफी हो गयी आवारगी की..
वैसे सारे के सारे शेर खूबसूरत
बधाई
उम्र कम लगती है लेकिन बहुत परिपक्व रचना - हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं.
तेरी बसर के रहगुज़र दिल की सदा हमने सुनी
ता-उम्र इक लंबा सफ़र जीता रहा आवारगी
बहुत खूब..क्या बात कही आपने...उम्दा ग़ज़ल.
अभिषेक जी बहुत बहुत बधाई!!!
आप सभी को इस बहुमूल्य राय एवं समय के लिए सादर धन्यवाद |
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