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Wednesday, December 30, 2009

नया वक़्त!


तारीखें बदलने से
जिंदगियां नहीं बदलती
न ही
दुआएं देने से
तकदीरें बदलती हैं
नया वर्ष
नया जीवन नहीं लाता

नववर्ष की पूर्व संध्या पर
कैलेंडर के पन्ने बदलते हैं
परिस्थितियाँ नहीं

नए साल का सूर्योदय
नयी रौशनी नहीं लाता
ये तो वही रौशनी है
जो वो सदियों से ला रहा है

नया जीवन
नयी परिस्थितियां
नयी रौशनी
नया वक़्त

नया साल नहीं
नयी सोच ला सकती है
नया नजरिया ला सकता है

नए साल के आने-जाने का क्रम
तो निरंतर चलता जा रहा है

अब हमें
नए वक़्त की जरूरत है


-स्मिता पाण्डेय

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15 कविताप्रेमियों का कहना है :

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

नया साल नहीं
नयी सोच ला सकती है !
नया नजरिया ला सकता है

Smita ji ye kuch aisi baat hai jinhe samjhane ki bahut jarurat hai kam se kam apane samaj ke logo ko jinhe bahut hi jarurat hai ek nai soch aur ek nai vichar ka ikkisvin sadi me bhi ukala vyavhaar sadiya piche wala prtit hota hai..badhiya bhav..sundar rachana ke liye bahut bahut badhai..

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

कुछ भ्रमित रचना लगी | क्या कहा गया नहीं जमा |

नव वर्ष शुभकामना सहित
अवनीश तिवारी

Anonymous का कहना है कि -

अवनीश जी की टिप्पणी मुझे सही लगी.
नव वर्ष सभी को मंगलमय हो.

श्याम जुनेजा का कहना है कि -

स्मिता जी बहुत खूब
सचमुच नया कलेंडर नहीं अब तो हमें नया समय ही चाहिए पर कैसे? और उसकी रूपरेखा क्या होगी या होनी चाहिए ? आपकी सोच इस दिशा में अग्रसर हो यह मेरी शुभकामना ही नहीं मेरे बचे हुए जीवन का मिशन है .. हम दुःख की जड़ों तक पहुंचें और उन्हें सदा सदा के लिए उखाड़ दें ..कुछ ऐसा सोचिये ..मिल कर सोचिये .. विज्ञानं हमें बताता है असंभव कुछ भी नहीं है

श्याम जुनेजा का कहना है कि -

अवनीश जी हृदय पुष्प जी यह रचना आपको भ्रमित सी क्यों लगी इसके कारण आपने स्पष्ट नहीं किये

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

कविता में भ्रमित करने जैसा कुछ नहीं है
सीधी-सपाट भाषा में अच्छे विचारों की सफल अभिव्यक्ति है।
हाँ, कुछ कमियाँ हैं, जिसे नियंत्रक महोदय द्वारा सुधार लिया जाना चाहिए-
नया जीवन नहीं नहीं लता
के स्थान पर
नया जीवन नहीं लाता होना चाहिए

नयी सोच ला सकती है
के पश्चात विस्मयादिबोधक चिन्ह हटा लिया जाना चाहिए।
अंत में एक पूर्ण विराम पर्याप्त है।
---

नियंत्रक । Admin का कहना है कि -

गलतियाँ सुधार ली गई हैं

Anonymous का कहना है कि -

सीधी-सपाट भाषा में विचारों की सफल अभिव्यक्ति है - देवेन्द्र जी ने ठीक कहा है.

"अब हमें नए वक़्त की जरूरत है" इस विचार से मैं और शायद आप सब भी सहमत होंगे.

1. लेकिन कविता में नए साल के आने जाने का मुद्दा उठाया गया है इसलिए कविता का अंत भी उसी से होना चाहिए.
2. "न ही दुआएं देने से तकदीरें बदलती हैं" इस बात से भी मैं इत्तफाक नहीं रखता साथ ही इन पंक्तियों के लिए इस कविता में स्थान भी नहीं है.
- राकेश कौशिक

श्याम जुनेजा का कहना है कि -

राकेश जी आपकी दूसरी बात से सहमत हूँ लेकिन कविता का मुद्दा नया जीवन ,नयी परिस्थियां, नयी रोशनी को पाने की अकुलाहट से उपजा है और वही महत्वपूर्ण है

Unknown का कहना है कि -

smitaji aap ne sacchai ko apni kavita ke darpan mein utar diya mujhe aapki rachna bahut acchi lagi main kavi to nahi par kavita padne se meri soch majbut ho jaati hai , aapki kavita ko nakaratmak kaha jana uchit nahi, aapki kavita mein yatharthavadi dirshtikon najar aata hai ,
aapko nav varsh ki hardik shubhkamnayein

Anonymous का कहना है कि -

स्मिता जी बहुत-बहुत बधाई ! स्मिता जी की रचना से मै सहमत हूं..यह सच है कि हम हर साल आने वाले साल की अगवानी कितनी जोर शोर से करते हैं,शुभकामनाएं लेते देते हैं क्या सही मायने मे दुआयें हमे लगती हैं। सच तो यह है कि हम सचाई का सामना करने से घबराते है..नयी सोच ही हमे दुखों से निजात दिला सकती है कैलेडर नहीं..

अभिन्न का कहना है कि -

नव वर्ष की मंगलमय कामनाओं के साथ साथ आपकी रचना का स्वागत. खूब लिखा है
तारीखें बदलने से
जिंदगियां नहीं बदलती
न ही
दुआएं देने से
तकदीरें बदलती हैं
नया वर्ष
नया जीवन नहीं लाता

Kashi का कहना है कि -

u r right.
naya saal aane se clender badal jate hain paristhitiyaan nahi badalti.
naya saal aane ka jasn na manakar hume kuch naya karne ki sochna chahiye.
aapki rachnaawo ka deewana hoon main, aap bas ishi tarah likha kariye........god bless u

विभा रानी श्रीवास्तव का कहना है कि -

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 02 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in
पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

Dr. Raj Kumar Kochar का कहना है कि -

सुंदर
बहुत सुंदर और प्रेरक
सार्थक।

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