नवम्बर माह की यूनिकवि प्रतियोगिता की पाँचवीं कविता जतिन्दर परवाज़ की है। 25 फरबरी 1975 को पठानकोट (पंजाब) के पास के एक गाँव शाहपुर कंडी में जन्मे जतिन्दर परवाज़ हिंदी, पंजाबी , उर्दू , अंग्रेज़ी आदि भाषाओं का ज्ञान रखते हैं। इनकी ग़ज़लें हिंदी / उर्दू की पत्र-पत्रिकाओं तथा काव्य-संकलनों में प्रकाशित हैं। पंजाब की नौजवान नस्ल में सब से ज्यादा मशहूर और लोकप्रिय शायर हैं। आल इंडिया मुशायरा और कवि-सम्मेलन में शिरकत तथा रेडियो / टीवी पर शायरी के कई लाइव तथा रिकार्डिंग कार्यक्रम।
संप्रति - वर्तमान में दिल्ली के एक समाचारपत्र में उप-सम्पादक के पद पर कार्यरत, तथा उर्दू /हिंदी/ पंजाबी अनुवादक और कंप्यूटर कम्पोज़र का निजी कार्य।
पुरस्कृत कविता
आँखें पलकें गाल भिगोना ठीक नहीं
छोटी-मोटी बात पे रोना ठीक नहीं
गुमसुम तन्हा क्यों बैठे हो सब पूछें
इतना भी संज़ीदा होना ठीक नहीं
कुछ और सोच ज़रिया उस को पाने का
जंतर-मंतर जादू-टोना ठीक नहीं
अब तो उस को भूल ही जाना बेहतर है
सारी उम्र का रोना-धोना ठीक नहीं
मुस्तक़बिल के ख़्वाबों की भी फिक्र करो
यादों के ही हार पिरोना ठीक नहीं
दिल का मोल तो बस दिल ही हो सकता है
हीरे-मोती चांदी-सोना ठीक नहीं
कब तक दिल पर बोझ उठायोगे ‘परवाज़’
माज़ी के ज़ख़्मों को ढ़ोना ठीक नहीं
पुरस्कार- विचार और संस्कृति की मासिक पत्रिका 'समयांतर' की ओर से पुस्तक/पुस्तकें।
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6 कविताप्रेमियों का कहना है :
गुमसुम तन्हा क्यों बैठे हो सब पूछें
इतना भी संज़ीदा होना ठीक नहीं
एक उम्मीद की किरण जागती और सुंदर भावों को सहेजती सुंदर ग़ज़ल..परवाज़ की बहुत बेहतरीन ढंग से सजाया है आपने अपनी इन ग़ज़ल को ..बहुत बढ़िया ग़ज़ल..बधाई हो
कुछ और सोच ज़रिया उस को पाने का
जंतर-मंतर जादू-टोना ठीक नहीं
ग़ज़ल के कई शे’र दिल में घर कर गए।
कुछ और सोच ज़रिया उस को पाने का
जंतर-मंतर जादू-टोना ठीक नहीं
..bahut khoob..
Bahoot Khoob jatinder Ji
achchi parwaz hai .....Umda..behatareen
Punjab ki naujawan nasal ke sabse mashahoor Shayar (kaise kaise vaham palte hain log) kaa naam ham pehali baar sun rahey hain. lekin chaliye pratiyogita mein puraskrit hone ke liye badhaee.
toda behr wazn ka bhi gyan paate to ghazal achhi hoti
kuchh aur soch...
vale sher ke wazn ke baare mein bhee sochiye.
aur badhaee swikaar kariye.
jitandar tum ko puraskar ki badhai
allah aur taraqqi de aameen
aadil.rasheed1967@gmail.com
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