दीपाली (दिपाली) आब लम्बे समय से हिन्द-युग्म से जुड़ी हैं। सम्भावनाशील कवयित्री हैं। आज हम इनकी कुछ लघु-कविताएँ (क्षणिकाएँ) प्रकाशित कर रहे हैं।
1)
लोग कहते हैं
एक कहानी ख़त्म होती है
तो
दूसरी शुरू हो जाती है..
या तो वो झूठ कहते हैं
या
तू मेरी ज़िन्दगी के
आखिरी सफ्हे के
हाशिये तक फ़ैल गया है
और इसके आगे ज़िन्दगी नहीं है..!!
2)
मेरे चेहरे की झुर्रियां
सिलवटें हैं वक़्त की
उम्र हो गई है
अब नूर भी गया चेहरे का
अबकी आओ तो अपने नर्म हाथों से
इस्त्री कर जाना
शायद मैं फिर से खूबसूरत दिखूं....!!
3)
ज़मीं से कुछ ऊपर उठ कर
लोग कितने छोटे नज़र आते हैं
दिखाई भी नहीं देते
तुमसे उभर कर
आज सोचती हूँ
तुम्हारा ग़म
कितना बौना हो गया है
दर्द का
एहसास ही नहीं होता..!!
4)
वो लौट आएगा एक रोज़
इसी उम्मीद में मैंने
दरवाजा घर का
खुला ही रखा
एक एक करके
सब रिश्ते
उसी दरवाज़े से होकर
गुज़र गए..!!
दिपाली आब
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26 कविताप्रेमियों का कहना है :
(१)- ----तू मेरी ज़िंदगी के
आखिरी सफ्हे के
हाशिये तक फैल गया है
और इसके आगे ज़िंदगी नहीं है।
(२)- ----अबकी आओ तो अपने नर्म हाथों से
इस्त्री कर जाना....
(३)- ---ज़मी से कुछ ऊपर उठ कर
लोग कितने छोटे नज़र आते हैं....
(४)- ---एक-एक कर सब रिश्ते
उसी दरवाजे से होकर
गुजर गए......
बेहतरीन....!
इन पंक्तियों को पढ़कर मन भाव विभोर हुए बिना नहीं रह पाता।
सभी क्षणिकाएँ उत्कृष्ट हैं।
बधाई।
वो लौट आएगा एक रोज़
इसी उम्मीद में मैंने
दरवाजा घर का
खुला ही रखा
एक एक करके
सब रिश्ते
उसी दरवाज़े से होकर
गुज़र गए..!!
aap mein kahan ki chamta hai.
इस्त्री कर जाना
शायद मैं फिर से खूबसूरत दिखूं....!!
sach me pyar hi to hai khubsurati ka raaaaj...!
bahut khoob.dipali ji bahut badhayee.
अबकी आओ तो अपने नर्म हाथों से
इस्त्री कर जाना
शायद मैं फिर से खूबसूरत दिखूं....!!
दीपाली जी बहुत सुन्दर गजब का आत्मविश्वास. लघु कविता के द्वारा आपने गागर में सागर भर दिया.
साधुवाद.
अबकी आओ तो अपने नर्म हाथों से
इस्त्री कर जाना
शायद मैं फिर से खूबसूरत दिखूं....!!
कितना लम्बा वृतांत कह डाला आपने सिर्फ इन दो पंक्तियों में ....
बहुत खूब ....शेष रचनाएँ भी बेहतरीन है ...
मुबारक बाद कुबूल करें
har ek baat...har ek bhav...bahut bahut gehrai tak choo gaya....
इन क्षणिकाओ में निराधार स्वप्नशीलता, अकथनीय उत्साह नहीं है, बल्कि अपने प्रिय को स्मरण करते हुए बेचैनी, क्षोभ, असहमति, वेदना, करुणा और दुःखानुभूति का विवरण रिश्ते की पड़ताल करता हुआ प्रतीत होता है।
एक से बढ़कर एक बेहतरीन गीत..
सुंदर भाव लिए हुए बधाई!!!
सारी सुंदर है पर नंबर ४ बहुत सुंदर लगीं
एक-एक कर सब रिश्ते
उसी दरवाजे से होकर
बधाई
रचना
sambhavnaon se bhra sundar jagat hai aapke manas mein.kasi hui kshnikayen hain. lekin thodey se aur sampadan ki jroorat mehsoos ho rahi hai. agrim kshama ke sath
example.
लोग कहते हैं
एक कहानी ख़त्म होती है
aur दूसरी शुरू...
या ve झूठ कहते हैं
या fir
तू मेरी ज़िन्दगी के
आखिरी सफ्हे के
हाशिये तक फ़ैल गया('chuka hai' bhi lag sakta hai) है!!
jahan hindi ka shbd saje vahan hindi ka.. jahan urdu ka janchey vhan urdu ka.
anadikar cheshtha hai meri, lekin jo log kavita likhtey hain unse pata nahin kyon apne aap hi ek lagav sa ho jata hai. us lagav ka ijhar yoon ho jata hai.
हर क्षणिकाएं अपने आप में एक गहन अर्थ समेटे हुए है.......पर यह क्षणिका अधिक पसंद आई,
ज़मीं से कुछ ऊपर उठ कर
लोग कितने छोटे नज़र आते हैं
दिखाई भी नहीं देते
तुमसे उभर कर
आज सोचती हूँ
तुम्हारा ग़म
कितना बौना हो गया है
दर्द का
एहसास ही नहीं होता..!!
सभी रचनाये सुंदर हैं..
पर आखिरी वाली का जवाब नहीं..
एक-एक कर सब रिश्तेउसी दरवाजे से होकर
गुजर गए
पढता हूँ, और हैरान सा सोचता रह जाता हूँ....
सभी छादिकाएं बढ़िया लगीं पहली और आखिरी की बात ही कुछ और है.
लोग कहते हैं
एक कहानी ख़त्म होती है
तो
दूसरी शुरू हो जाती है..
या तो वो झूठ कहते हैं
या
तू मेरी ज़िन्दगी के
आखिरी सफ्हे के
हाशिये तक फ़ैल गया है
और इसके आगे ज़िन्दगी नहीं है..!!
वो लौट आएगा एक रोज़
इसी उम्मीद में मैंने
दरवाजा घर का
खुला ही रखा
एक एक करके
सब रिश्ते
उसी दरवाज़े से होकर
गुज़र गए..!!
मुबारकबाद.
@ Devendra ji
bahut bahut shukriya aapne apna qeemti waqt diya aur saraaha..
aabhar
@ akhilesh ji
aapki tippani jara samajh nahi paa rahi hun, aap koi sawaal kar rahe hain ya kuch kehna chah rahe hain.
kripya samay mile to fir se aaiyega aur samjhaaiyega..
aapke samay ke liye shukriya
@ sumita ji
meri kshanikaaon mein chhupe pyaar ko aapne padha, aur saraaha .
bahut bahut shukriya
@ Rakesh ji
prem ek ajab aatmvishwas jagata hai, aur jaate jaate sab kuch le jaata hai. kshanikaaon ko saraahne ke liye
bahut bahut shukriya,
@ alok ji
bahut bahut shukriya aapne saraaha
@ ismita ji
bahut bahut shukriya
@ Manoj ji
har ehsaas, chahe wo khushi ho ya gam , har ehsaas ko mehsoos karne ke liye tah e dil se shukriya
@ Vinod ji
bahut bahut shukriya
rachna ji
in chhhote chhote ehsaason ko pasand karne ke liye shukriya
@ shyaam ji
saraahna aur sujhav ke liye shukriya
@ Rashmi di..
bahut bahut shukriya apna waqt dene aur saraahe ke liye
@ manu ji
bahut bahut shukriya :)
@ shyamak ji..
bahut bahut shukriya
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)