फटाफट (25 नई पोस्ट):

Tuesday, September 29, 2009

दोहा गाथा सनातन: ३६ नंदा दोहा को मिला, बरवै 'सलिल' सुनाम.


दोहा गाथा सनातन: ३६

नंदा दोहा को मिला, बरवै 'सलिल' सुनाम.

झूम-झूम कर गा रहे जिसे खास औ' आम.
नंदा दोहा को मिला, बरवै 'सलिल' सुनाम..

विषम चरण में जब रखें, मात्रा बारह मीत.
सात रहें सम में 'सलिल', यह बरवै की रीत..

दोहा की ही तरह दो पद, चार चरण तथा लय के लिए विख्यात छंद नंदा दोहा या बरवै लोक काव्य में प्रयुक्त होता रहा है.

बरवै छंद के प्रणेता अकबर के नव रत्नों में से एक महाकवि अब्दुर्रहीम खानखाना 'रहीम' कहे जाते हैं. किंवदन्ती है कि रहीम का कोई सेवक अवकाश लेकर विवाह करने गया. वापिस आते समय उसकी विरहाकुल नवोढा पत्नी ने उसके मन में अपनी स्मृति बनाये रखने के लिए दो पंक्तियाँ लिखकर दीं.

रहीम का साहित्य-प्रेम सर्व विदित था सो सेवक ने वे पंक्तियाँ रहीम को सुनाईं. सुनते ही रहीम चकित रह गए. पंक्तियों में उन्हें ज्ञात छंदों से अलग गति-यति का समायोजन था. सेवक को ईनाम देने के बाद रहीम ने पंक्ति पर गौर किया और मात्रा गणना कर उसे 'बरवै' नाम दिया. बरवै के विषम चरण (प्रथम, तृतीय) में तेरह तथा सम चरण ( द्वितीय, चतुर्थ) में सात मात्राएँ रखने का विधान है. विषम चरण में दोहा की तरह तेरह मात्राओं के स्थान पर बारह मात्राएँ (भोजपुरी में बरवै मात्राएँ) होने से यह छंद बरवै कहलाया. मूल पंक्ति में 'बिरवा' शब्द प्रयोग में आया था. शायद यह भी बरवै नाम का कारण बना. मूल पंक्तियाँ इस प्रकार है:

प्रेम-प्रीति कौ बिरवा, चले लगाइ .
सींचन की सुधि लीज्यौ, मुरझि न जाइ..

रहीम ने इस छंद का प्रयोग कर 'बरवै नायिका भेद' नामक ग्रन्थ की रचना की.

रहीम के समकालिक महाकवि तुलसीदास को भी बरवै छंद प्रिय था. 'बरवै रामायण' तुलसीदास की अमर काव्यकृति है. ( सन्दर्भ: डॉ. सुमन शर्मा, मेकलसुता, अंक ११, पृष्ठ २३२)

बरवै को 'ध्रुव' तथा' कुरंग' नाम भी मिले.
( छ्न्दाचार्य ओमप्रकाश बरसैंया 'ओंकार' कृत छंद-क्षीरधि' पृष्ठ ८८)
उदाहरण:
१.
गरब करहु रघुनन्दन, जनि मन मांह.
देखहु अपनी मूरति, सिय की छांह.. -तुलसीदास

२.
मन-मतंग वश रह जब, बिगड़ न काज.
बिन अंकुश विचलत जब, कुचल समाज.. -ओमप्रकाश बरसैंया 'ओंकार'

३.
'सलिल' लगाये चन्दन, भज हरि नाम.
पण्डे ठगें जगत को, नित बेदाम..

४.
हाय!, हलो!! अभिवादन, तनिक न नेह.
भटक शहर में भूले, अपना गेह..

५.
पाँव पड़ें अफसर के, भूले बाप.
रोज पुण्य कह करते, छिपकर पाप..

किसी समय बरवै रचना साहित्यिक कुशलता और प्रतिष्ठा का पर्याय था.

आप भी इसमें दक्षता प्राप्त करें.

विजया दशमी की शुभकामनाएँ.

***************************************

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

15 कविताप्रेमियों का कहना है :

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

गुरुदेव,
वन्देमातरम!
बरवै दोहे की जानकारी देने के लिये धन्यबाद. इसपर कुछ दोहे लिखे हैं जिन्हें कक्षा में प्रस्तुत कर रही हूँ:
१.
उथल पुथल करे पेट, न पचे बात
मंत्री को पचे नोट, बन सौगात.
२.
चश्में बदले फिर भी, नहीं सुझात
मन के चक्षु खोलो तो, बनती बात.
३.
गरीब के पेट नहीं, मारो लात
कम पैसे से बिगड़े, हैं हालात.
४.
पैसे ठूंसे फिर भी, भरी न जेब
हर दिन करते मंत्री, नये फरेब.

अजित गुप्ता का कोना का कहना है कि -

आचार्य जी

वन्‍देमातरम्। आपका सान्निध्‍य और ज्ञान कक्षा को वापस मिलने लगा है इसके लिए हम आभारी है। बरवै छंद की जानकारी के लिए भी आभार। शीघ्र ही दोहा रचकर आपकी सेवा में प्रस्‍तुत करने का प्रयास करूँगी।

Divya Narmada का कहना है कि -

शन्नो जी!

आपने दोहे नहीं 'बरवै' या 'नंदा दोहे' रचे हैं. अधिक संख्या में लिखने पर प्रवाह, लय, बिम्ब तथा प्रतीक पूर्व से श्रेष्ठ होंगे. आपको बधाई. आप छंद को अल्प समय में साध पा रही हैं.

अजित जी!

आपके 'बरवै' की प्रतीक्षा है. शेष साथी कहाँ हैं? कक्षा नायिका और ध्वजवाहिका उन्हें भी साथ रखें.

Manju Gupta का कहना है कि -

Guru ji brvae ke baare mein satik jaankaari mili .
tool box nhin aa rhaa hae .hind -yugm ke shi hone par likugi .

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

गुरु जी,
वन्देमातरम!
इस बार न जाने क्यों, सब छात्र जो हाजिरी लगाकर नौ-दो-ग्यारह हो जाते थे कक्षा से, वह सब लापता हैं. कान खींच कर लाना असंभव है.
बस कक्षा में दो सहेलियां ही दिख रही हैं अब तक.....अजित जी और मंजू जी. और अपनी मंजू जी इस समय टूल बॉक्स से परेशान हैं. इसीलिए वह लाचार हैं दोहे प्रस्तुत करने में.

अजित गुप्ता का कोना का कहना है कि -

आचार्य जी
बहुत कठिन है डगर बरवै की। हिम्‍मत करके दो बरवै दोहे लिखे हैं -
1 बारह मात्रा पहले, फिर लिख सात
कठिन बहुत है लिख ले, मिलती मात।

2 कैसे पकडूँ इनको, भागे छात्र
रचना आवे जिनको, रहते मात्र।

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

गुरु जी, शुभ प्रभात!

दो बरवै दोहे और लिखकर प्रस्तुत कर रही हूँ:

मैं हूँ छोटा सा कण, नशवर गात
परम ब्रह्म के आगे, नहीं बिसात.

महुये के फूलों का, पा आभास
कागा उड़-उड़ आये, उनके पास.

Shanno Aggarwal का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
Shanno Aggarwal का कहना है कि -

गुरु जी,
एक और मेरा बरवै दोहा:

अकल के खोले पाट, जो थे बंद.
आया तभी समझ में, बरवै छंद.

दिव्य नर्मदा divya narmada का कहना है कि -

शन्नो जी!, अजित जी!

बरवाई जगत में प्रवेश पर आपका स्वागत.

मंजू जी!

आप द्वार पर ठिठक कर क्यों खादी हैं. टंकन औजार नहीं है तो हिंदी शब्द रोमन में टंकित कर दें...सब समझ सकते हैं. युग्म पर कठिनाई हो तो दिव्यनार्मादा या अन्य किसी स्थान पर यूनोकोद में टंकित कर कोपी-पेस्ट कर लें. आपके बरवाई की अभी भी प्रतीक्षा है.

Shamikh Faraz का कहना है कि -

सलिल जी आपके दोहा ज्ञान की जितनी तारीफ की जाये कम है.

डा श्याम गुप्त का कहना है कि -

--तुलसी दाह जी का प्रसिद्ध बरवै ....
चंपक हरवा अंग मिलि ,अधिक सुहाय।..१३-७
जानि परै सिय हियरे, जनु कुम्हिलाय ।...१२-८

--सलिल जी....
---यह स्पष्ट नही हुआ कि विषम चरण में १२ मात्रायें हों या तेरह....

डा श्याम गुप्त का कहना है कि -

--तुलसी दाह जी का प्रसिद्ध बरवै ....
चंपक हरवा अंग मिलि ,अधिक सुहाय।..१३-७
जानि परै सिय हियरे, जनु कुम्हिलाय ।...१२-८

--सलिल जी....
---यह स्पष्ट नही हुआ कि विषम चरण में १२ मात्रायें हों या तेरह....

raybanoutlet001 का कहना है कि -

gucci borse
christian louboutin shoes
nike tn
converse trainers
adidas nmd
pandora jewelry
kobe 9 elite
michael kors outlet store
nike air huarache
pandora jewelry

raybanoutlet001 का कहना है कि -

red valentino
ferragamo shoes
skechers shoes
under armour shoes
texans jerseys
michael kors handbags
pandora jewelry
nike trainers uk
seattle seahawks jerseys
nike air huarache

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)