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Monday, September 07, 2009

जाम आखिर जाम की सूरत कभी तो चाहिए


दास्ताँ-ए-इश्क को बस मेरा अफ़साना कहें
इस तरह सब इश्क से क्यूं खुद को बेगाना कहें

अक्स उनका,चाह उनकी,दर्द उनके, उनका दिल,
दिल में हो जिसके उसे सब, क्यों न दीवाना कहें

जाम आखिर जाम की सूरत कभी तो चाहिए
कब तलक तेरी हसीं आँखों को, मयखाना कहें

साथ जीने की ही जब उम्मीद तक बाकी नहीं
तेरे बिन जीने को फिर हम,क्यों न मर जाना कहें.

"बे-तखल्लुस" ये जहां वाले भला समझेंगे क्या.?
जां का जाना है, जिसे सब दिल का आ जाना कहें।

--मनु बेतखल्लुस

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16 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

अक्स उनका,चाह उनकी,दर्द उनके, उनका दिल,
दिल में हो जिसके उसे सब, क्यों न दीवाना कहें

बहुत खूब पंक्तियाँ दिल को छू गई , धन्याद

विमल कुमार हेडा

Manju Gupta का कहना है कि -

मकता और भाव गज़ल के लाजवाब लगे .

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

साथ जीने की ही जब उम्मीद तक बाकी नहीं
तेरे बिन जीने को फिर हम,क्यों न मर जाना कहें.

Betahreen Abhivyakti...sundar gazal.
badhayi!!!

Shamikh Faraz का कहना है कि -

मैं तो उन्वान देखते ही समझ गया था की मनु जी की है है यह ग़ज़ल.

Shamikh Faraz का कहना है कि -

जाम आखिर जाम की सूरत कभी तो चाहिए
कब तलक तेरी हसीं आँखों को, मयखाना कहें

साथ जीने की ही जब उम्मीद तक बाकी नहीं
तेरे बिन जीने को फिर हम,क्यों न मर जाना कहें

lajawab she'r.

manu का कहना है कि -

ये हम दास्ताने-ऐ इश्क टाइप कर रहे थे..
जाने कैसे दास्ताँ हो गया...
:)

दिपाली "आब" का कहना है कि -

दास्तान-ए-इश्क को बस मेरा अफ़साना कहें
इस तरह सब इश्क से क्यूं खुद को बेगाना कहें

वाह.. खूबसूरत मतला.

अक्स उनका,चाह उनकी,दर्द उनके, उनका दिल,
दिल में हो जिसके उसे सब, क्यों न दीवाना कहें

बहुत उम्दा.. खूबसूरत शेर कहा है.

जाम आखिर जाम की सूरत कभी तो चाहिए
कब तलक तेरी हसीं आँखों को, मयखाना कहें

amazing

साथ जीने की ही जब उम्मीद तक बाकी नहीं
तेरे बिन जीने को फिर हम,क्यों न मर जाना कहें.

सच कहा, बहुत दिल के करीब लगा येः शेर

"बे-तखल्लुस" ये जहां वाले भला समझेंगे क्या.?
जां का जाना है, जिसे सब दिल का आ जाना कहें।

सच ही कहा, बहुत खूबसूरत मक्ता कहा है.
और इक शानदार ग़ज़ल के लिए बधाई.

--
Regards
-Deep

स्वप्न मञ्जूषा का कहना है कि -

अक्स उनका,चाह उनकी,दर्द उनके, उनका दिल,
दिल में हो जिसके उसे सब, क्यों न दीवाना कहें

प्रेम की ऐसी अभिव्यक्ति कहाँ मिलेगी भला ?

साथ जीने की ही जब उम्मीद तक बाकी नहीं
तेरे बिन जीने को फिर हम,क्यों न मर जाना कहें.

बे-हद लाजवाब शेर

"बे-तखल्लुस" ये जहां वाले भला समझेंगे क्या.?
जां का जाना है, जिसे सब दिल का आ जाना कहें।

कुछ रचनाएँ ऐसी होती हैं जिनके लिए शब्द लाचार हो जाते हैं..

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

Excellent! So full of emotions! Each line seems coming from the depth of heart.

मनु जी, आपकी हर ग़ज़ल बहुत-बहुत खूबसूरत लहजे में लिखी होती है. कोई नुक्ता-चीनी का सवाल ही नहीं पैदा होता है. इस बार भी बधाई!

Pritishi का कहना है कि -

जाम आखिर जाम की सूरत कभी तो चाहिए
कब तलक तेरी हसीं आँखों को, मयखाना कहें

Good one ji!

~RC

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

क्या बात है मनु जी.. छा गये...

निर्मला कपिला का कहना है कि -

अक्स उनका,चाह उनकी,दर्द उनके, उनका दिल,
दिल में हो जिसके उसे सब, क्यों न दीवाना कहे
लाजवाब पूरी रचना ही बहुत अच्छी लगी आभार्

neelam का कहना है कि -

मनु जी ,मनुजी, मनुजी
वाह जी ,वाह जी ,वाह जी

वल्ल्ल्ल्ल्ल्लाआह्ह्ह्ह

Riya Sharma का कहना है कि -

जाम आखिर जाम की सूरत कभी तो चाहिए
कब तलक तेरी हसीं आँखों को, मयखाना कहें

jaam hee jamm yahan bhee ...:))
badiya hai jii Manu ji

विश्व दीपक का कहना है कि -

जाम आखिर जाम की सूरत कभी तो चाहिए
कब तलक तेरी हसीं आँखों को, मयखाना कहें

यह शेर नया लगा।
बधाई स्वीकारें।

-विश्व दीपक

Admin का कहना है कि -

"बे-तखल्लुस" ये जहां वाले भला समझेंगे क्या.?
जां का जाना है, जिसे सब दिल का आ जाना कहें।

कलम भी इनकार कर देगी जो इससे बेहतर क्या लिखते
दिल को और मरहम मिलता जो कुछ और लफ्ज लिखते

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