आओ इक तारीख सहेजें,
आओ रख दें धो-पोंछ कर,
ख़ास वक्त है....
कलफ़ लगाकर, कंघी कर दें...
आओ मीठी खीर खिलाएं,
झूमे-गाएं..
लोग बधाई बांट रहे हैं,
चूम रहे हैं,चाट रहे हैं...
किसी बात की खुशी है शायद,
खुश रहने की वजह भी तय है,
वक्त मुकर्रर
9 अगस्त,
घड़ियां तय हैं
24 घंटे...
हा हा ही ही
हो हो हो हो
हंसते रहिए,
ख़ास वक्त है,
रोना मना है...
खुसुर-फुसुर लम्हे करते हैं,
बीते कल की बातें,
पुर्ज़ा-पुर्ज़ा दिन बिखरे हैं,
रेशा-रेशा रातें....
उम्र की आड़ी-तिरछी गलियों का सूनापन,
बढ़ता है, बढ़ता जाता है...
एक गली की दीवारों पर नज़र रुकी है...
दीवारों पर चिपकी इक तारीख़ है ख़ास,
एक ख़ास तारीख पे कई पैबंद लगे हैं...
हूक उठ रही दीवारों से,
उम्र की लंबी सड़क चीख से गूंज रही है...
जश्न में झूम रहे लोगों की की चीख है शायद,
जबरन हंसते होठों की मजबूरी भी है,
उघड़े रिश्ते,भोले चेहरों का आईना,
कभी सिमट ना पाई जो, इक दूरी भी है...
वक्त खास है,
आओ चीखें-चिल्लाएं हम...
जश्न का मातम गहरा कर दें...
इसको-उसको बहरा कर दें...
आओ ग़म की पिचकारी से होली खेलें,
फुलझड़ियां छोड़ें...
आओ ना, क्यों इतनी दूर खड़े हो साथी,
सब खुशियों में लगा पलीता,
हम-तुम वक्त की मटकी फोड़ें...
ख़ास वक्त है,
इसे हाथ से जाने न देंगे,
जिन घड़ियों ने जान-बूझकर
कर ली हैं आंखें बंद,
उनकी यादें भी भूले से
आने न देंगे...
सांझ ढले तो याद दिलाना
आधा चम्मच काला चांद,
वक्त की ठुड्डी पर हल्का-सा,
टीका करेंगे...
तन्हा चीखों का तीखापन,
फीका करेंगे....
हा हा ही ही
हो हो हो हो
हंसते रहिए,
ख़ास वक्त है,
रोना मना है...
निखिल आनंद गिरि
(आज कवि का जन्मदिन भी है, तो आप बधाई दे सकते हैं...)
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26 कविताप्रेमियों का कहना है :
बढिया है । सुना है तुम्हारा जन्मदिन है ।
मुबारकां
निखिल जी,
कविता बड़ी मजेदार लगी. और अगर आज आपका जनम दिन है, जैसा की hint मिल रहा है, तो आपको बहुत-बहुत बधाई और ढेरों शुभकामनाएं!
वैसे आज मेरे भी बेटे का जनम दिन है.
हा हा ही ही
हो हो हो हो
हंसते रहिए,
हा हा ही ही
हो हो हो हो
हंसते रहिए,
ख़ास वक्त है,
रोना मना है...
रोना मना है...
aapka din hai ,rone ka gar man hai ,to wo bhi sahi ,
janmdin ki shbhkaamnaayen ,waise koshish kijiye udaasi aur maausi ko apne se door kisi kone me rakhne ki .rakh di na ye hui n achchi baat .(ek haddi )sssssssssssssh batana mat aapas ki baat hai .
अच्छी रचना.
जन्मदिन की शुभकामनाएँ.
आपकी लेखनी का सफर कामायाबी के पायदान चढ़ता ही चले.
kavita se to nahi, aapki kavita par comments se pata chala aapka janmind hai, badhai
kavita jara jarurat se jyada lambi hai, aur baandhi ja sakti hai, aur khaas din hone ke saath kya khaas hai yeh nahi batati.
हमें तो शीर्षक से आपके होने का..
और कविता से आपके जन्मदिन के होने का अंदेशा हुआ था..
पहला तो सही निकला...
और दूसरा भी सही हो तो बहुत-बहुत बधाई,,,
शन्नो जी,
आपके बेटे को भी हमारी तरफ से जन्मदिन की मुबारकबाद दीजियेगा...
और अंत में..
बहुत सुंदर कविता...
हाँ, मनु जी, निखिल जी की तरह ही मेरे बेटे का भी जनम दिन आज है. आपकी मुबारकबाद के लिये बहुत शुक्रिया. हम सबने उसका birthday celebration खूब enjoy किया. आशा है की निखिल जी ने भी खूब मस्ती की होगी आज के दिन. उन्हें मेरी ओर से फिर से तमाम मंगलकामनायें. बड़ा अच्छा लगा जानकार की हिन्दयुग्म पर भी आज किसी का जनम दिन है.
मजेदार कविता के लिए और जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनायें .
हो कलम में असर उम्र दराज़ हो चले
मिले सुकून सब को जो राम राज हो चले
सन्नो जी आप को भी बेटे के जन्म दिन को बहुत बहुत बधाई वो सदा खुश रहे यही कामना है
सादर
रचना
हा!हा!कविता ने भी गिरी जी का जन्मदिन मनाया है .उल्लास से देती हूं बधाई /आया है पर्वों का पर्वराज जन्मदिन /महके सदगुणों की सुरभि /चमके तुम से अंबर -भूमि .
हाहा हीही जी को जन्मदिन मुबारक ...कुछ देर से ही सही..!!
गिरी जी , बहुत अच्छी कविता के लिये धन्यवाद
व जन्मदिन की शुभकामनायें
एक ख़ास तारीख पे कई पैबंद लगे हैं...
हूक उठ रही दीवारों से,
उम्र की लंबी सड़क चीख से गूंज रही है...
भाई निखिल,
आभार,
अच्छे शब्दों के लिए
सादर,
सबका बहुत-बहुत शुक्रिया.....मुझे बड़ा अच्छा लगा आप सबकी प्रतिक्रिया पढ़कर......शन्नो जी, आपके बेटे को भी जन्मदिन की शुभकामनाएं....
Very nice. Keep writing.
निखिल भाई जन्मदिन की बधाईयां स्वीकारें!!
विलम्ब के लिये माफी चाहता हूं!
कविता पसंद आई!
nikhil bhai
kavita ke bimb acche lage.
janmdin mubarak ho.
kavita ki tarah aap bhi muskurate rahe.
उम्र की आड़ी-तिरछी गलियों का सूनापन,
बढ़ता है, बढ़ता जाता है...
बहुत ही बेहतरीन ।
हा हा ही ही
हो हो हो हो
हंसते-हसते
रोना आया
गम की बातें
पढ़ते-पढ़ते
आगे फिर अच्छी बातें थीं
हा हा ही ही
मजा आ गया
पढ़ते-पढ़ते
अच्छी बातें
लिखते-लिखते
गम की बातें
लिख डाली क्यों
हा हा ही ही
हो हो हो हो
अच्छी बातें
खुसुर फुसुर लम्हें करतें हैं
बीते कल की बातें
-------
और पढ़ेंगे
तन्हाँ चीखों का तीखापन
फीका करेंगे।
हा हा ही ही
हो हो हो हो
----------------
-जन्म दिन की ढेर सारी बधाई
-अच्छी कविता की भी ढेर सारी बधाई
-आलोचक की दृष्टि से देखूँ तो यही कहुँगा कि
कुछ अनावश्यक पंक्तियों ने बेहतीन पंक्तियों के वज़न को कम किया है।
--देवेन्द्र पाण्डेय।
main ne agle ek hafte tak kisi bhi kavita par koi comment na karne ki qasam khaai hai. tod nahi sakta.
mohd ahsan ji,
toot to gayi aapki kasam.......khair....
devendra ji, shukriya...aalochna kijiye, aap karenge to kuch sikhne ko milega.....
अवनीश बाबू,
आप तो ये माफी ड्राफ्ट में सेव कर लीजिए....हर साल मांगेगे आप.....कहां हैं गुरु
हमेशा की तरह आपकी इस कविता में भी अपनापन महसूस हो रहा था इसलिए कई बार पढ़ा सच थोड़ी देर के लिए सबकुछ भूल गई थी।..
एक ख़ास तारीख पे कई पैबंद लगे हैं...
waise to ye line kavi ki ek kalpana hai magar is line ke piche kai saare raaz chupe hain jinhe main achchi tarah samajh sakta hun mere dost.... rachna achchi hai,aise hi likhte raho, aage jaoge.. waise mere bhai 8 tareekh bhi bahut imp. hai.. yaad hai ya bhool gae??
बहुत सुंदर लिखा है .. मैने पढा था उस दिन .. पर बिजली चली जाने के कारण टिप्पणी नहीं कर पायी थी .. समझ भी नहीं सकी थी कि आपकी लिखी रचना है .. सुदर रचना के लिए बधाई !!
एक ख़ास तारीख पे कई पैबंद लगे हैं...
हूक उठ रही दीवारों से,
उम्र की लंबी सड़क चीख से गूंज रही है...
kya bat hai bhaiji...lajwab lines
shanoji, apke laadle ko bhi HAPPY B'DAY
alok singh "sahil"
निखिलजी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं...
हालांकि बहुत ज्यादा लेट हो गया हूँ पर देर आयद दुरुस्त आयद
लोग बधाई बांट रहे हैं,
चूम रहे हैं,चाट रहे हैं...
वह भाई ये तो अच्छा है.... ;)
कविता बहुत बढ़िया है, नए शब्दों का प्रयोग गुलज़ार साहब की याद दिलाता है
अति उत्तम !!!
वाह क्या बात है. जन्मदिन मुबारकबाद.
हा हा ही ही
हो हो हो हो
हंसते रहिए,
ख़ास वक्त है,
रोना मना है...
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)