बहुत सुन्दर, बहुत अच्छे, भईई वाह टिपणी कर
बुरे अच्छे की मत कर यार तू परवाह टिपणी कर
बहर पर हो न हो कोई गज़ल तो भी न तू कुछ सोच
दिखे चाहे न कोई भाव या अल्लाह टिपणी कर
हमें भी तो सिखा दें आप लिखना ये गज़ल साहिब
रहें कहते न सुन कुछ और न दे इस्लाह टिपणी कर
न मानेगा तू तो पछताएगा इक दिन बहुत ज्यादा
तुझे ऐ दोस्त करता हूं मैं आज आगाह टिपणी कर
अगर जो तू कहीं लग जाएगा उनको सिखाने तो
सभी नाराज होंगे तू कहेगा आह, टिपणी कर
रकीबों से निपटना सीख मेरे यार बनकर अनाम
निभा तू भी ब्लागिंग की ये रस्मो-राह टिपणी कर
लिखे अब कौन है रचना, पढे़ है कौन अब रचना,
किये जा पोस्ट बस सप्ताह दर सप्ताह टिपणी कर
यहां भी चलती गुट-बाजी,बना तू भी तो गुट अपना
करे जो तुझको टिपणी कर उसे तू वाह टिपणी कर
अगर है चाह टिप्पणियां मिलें तुझको बहुत सारी
तो लिख टिपणी पे टिपणी सब को कर गुमराह टिपणी कर
लिखेंगे तेरे ब्लोगों पर सभी टिपणी ,बहुत सुन्दर
बनेंगे लोग सारे ही तेरे हमराह टिपणी कर
'सखा' ने देख,अनुभव कर लिखा यह सब ब्लागिंग पर
न तो है यह गज़ल कोई न तू जर्राह टिपणी कर
मफ़ाएलुन.मफ़ाएलुन.मफ़ाएलुन.मफ़ाएलुन
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
38 कविताप्रेमियों का कहना है :
न मानेगा तू तो पछताएगा इक दिन बहुत ज्यादा
तुझे ऐ दोस्त करता हूं मैं आज आगाह टिपणी कर,
बिल्कुल सत्य दर्शाया आपने..टिप्पणी करना ज़रूरी है,यह रचनाकार के आत्मविश्वास को बढ़ाता है.
श्याम जी,
आपकी 'टिप्पणी' से भरी बेगज़ल पर टिपण्णी करने की जुर्रत कर रही हूँ मैं यह कहकर की:
आप यूँ ही लिखते रहें, अपने दिल को बहलाते रहें
कलम से लिखा आपकी सब कुछ होता है कमाल
टिप्पणी कोई लिखे न लिखें उसकी ना फ़िक्र करें
लाजबाब हैं ग़ज़लें आपकी और होती हैं बेमिसाल
अगर है चाह टिपप्णियां मिलें तुझको बहुत सारी
तो लिख टिपणी पे टिपणी सब को कर गुमराह टिपणी कर
वाह वाह बहुत बडिया
न मानेगा तू तो पछताएगा इक दिन बहुत ज्यादा
तुझे ऐ दोस्त करता हूं मैं आज आगाह टिपणी कर,
हा हा हा लो सखा जी हम तो टिप्पणी कर रहे हैं कहीं पछताना ना पडे।
ha..ha..ha...ha..mazaa aa gaya shyaam ji...
Lo kar dee. Ab?
{ Treasurer-S, T }
ye bhi koi gazal hai
gazal ka mazak ma udaiye
गज़लकार हो आप !हर शब्द पर गज़ल उकेर देते हो बधाई .
कुलदीप जी से शत प्रतिशत सहमत हूँ ........ आपसे ये अपेक्षा नहीं थी, श्याम जी, आप तो बहुत समर्थ गजलकार हैं, कृपया गजल के नाम पर ऐसा न कहे
किसी शायर ने क्या खूब कहा है
"ऐसी वैसी बातों से तो अच्छा है खामोश रहें
या कुछ ऐसी बात करें जो खामोशी से अच्छी हो"
सादर
अरुण मित्तल 'अद्भुत'
शायद अन्जुम और अदभुत इसे ध्यान से पढते तो यह टिप्पणी न करते,गज़ल शीर्षक के आगे लगे ?????? ये निशान देखकर समझ जाते कि यह रचना उन लोगों पर तंज है जो केवल मात्राओं की जानकारी को गज़ल कह कर न केवल नेट पर अपितु पत्रिकाओं में ठूंस रहे हैं गज़ल क्या है यह एक तह्जीब है कोमलता से सीधे न कह इशारों से सही ढंग लहजे से अपनी बात जमाने के सामने रखना और अदभुत यह आप तो जानते ही हैं जब भी आप अपनी पोस्ट देखने को मेल करते हैं तो जो अच्छी लगे मैं क्मेन्ट में और जो कमी हो आपको मेल करके ही बताता हूं ,और और साथी भी इस बात की हामी भरेंगे
इस रचना को पोस्ट करने का केवल यही मन्तव्य था कि लोग बहुत सुन्दर,बहुत अच्छे की टिप्पणियों पर मुग्ध न होकर भ्रमित न हों और गज़ल की तहजीब सीखें ,यह रचना मैंने एक सप्ताह पूर्व हिन्दयुग्म के नियंत्रक को सुनाकर मन्तव्य जाहिर कर और बुधवार उन द्वारा दिया पोस्टिंग अधिकार होते हुए भी उनकी अनुमति लेकर ही पोस्ट की है,और आप की इस टिप्पणी ने मेरा मन्तव्य सिद्ध करने में सहायता की इस हेतु आप दोनो को धन्यवाद,हां अब कहें यह रचना ,गज़ल ??????? कैसी लग रही है
श्याम सखा श्याम
मस्त है भाई. बहुत बढ़िया .... ये लो जी की टिपण्णी.
na ye ghazal hui, na sahi dhang ka vyang
yeh hui bas bhondi tukbandi.
kavi ko ghalat fahmi ki us ne teer maara.
hindyugm ka dimagi diwaliapan ki ise chhaapa.
हम क्या कहें....?
कितने ही ब्लोगर्स ...
कितने ही कवि....
कितने ही लेखक...गजलकार ..कहानीकार...निबंधकार...हैं................
जो दुआ करते हैं के ..............भगवान् ..........
हमारी पोस्ट पे हजार कमेन्ट आये........पर मनु ''बे-तखल्लुस'' का एक भी ना आये.........!!!!!!!!!!!
:)
और हम हैं के जब जी चाहे जहां कमेन्ट दे डालते हैं...
आपके स्पस्टीकरण से सहमत नहीं है हुज़ूर
मतलब आपने लोगो को ख़राब ग़ज़ल के प्रति आगाह करने के लिए खुद एक ख़राब ग़ज़ल लिख डाली
और वैसे भी ग़ज़ल आपका मंतव्य भी पूरा नहीं करती
वैसे भी आप काफी वरिष्ठ ग़ज़लगो हैं ....
सादर
shyam ji
maine apki baki gazlein bhi padhi hai
sabhi lazabab hain
bas ye achhi nahi lagi to bol diya
कर दी टिपण्णी ...खुश...!!
बहुत सुन्दर, बहुत अच्छे, भईई वाह ! बहुत बढ़िया !!!
बिल्कुल सत्य बहुत सुन्दर, बहुत बढ़िया !
tees mar khanon me ek naam aur jud gaya shyam ka acchee bhali gajal likhte the aap to,aur ye manu saab to khud ko sabse bada teesmarkhan bante hai, arun k ,kh,g aata nhin aur salah dene men ustad
ustado ka mnch bn gya
हम क्या कहें....?
कितने ही ब्लोगर्स ...
कितने ही कवि....
कितने ही लेखक...गजलकार ..कहानीकार...निबंधकार...हैं................
जो दुआ करते हैं के ..............भगवान् ..........
हमारी पोस्ट पे हजार कमेन्ट आये........पर मनु ''बे-तखल्लुस'' का एक भी ना आये
anonymous is right in a way.
time pass.
Avaneesh Tiwari
ह्म्म्म्म...........
उस्तादों का ही मंच है हिंद-युग्म...
तभी तो हुजूर की हिम्मत नहीं हो रही है...शक्ल दिखाने की..
:)
इसमें कोई दो राय नहीं है के हमें क .ख.ग. बिलकुल नहीं आता है...
:(
बाकी जो हमने ऊपर लिखा है.....उसके सबूत अब तक हैं हमारे पास.....
के क्या होता है हमारे कमेन्ट से..
लगी होगी कभी तुझको भी मिर्ची अपनी बातों से...
या कहती युग्म पे तुझसे है तेरी डाह....टिपणी कर
????.....????.....??
kya baat hai manu ji.. waah...
अंजुम भाई , आप अभी भी नहीं समझे ,कोई रचना केवल छंद पर होने से ग़ज़ल नहीं होती यह मै़ने लिखा है अपने कमेन्ट में ,और इसी छंद पर या ग़ज़ल की सभी बहरों पर ,नज्म .कसीदे ,मर्सिये भी लिखे गए हैं , बल्कि ग़ज़ल की शुरूआत ही कसीदे के बीच में विषय परिवर्तन filler हेतु लिखी गयी रचना के रूप में हुई थी अरबी फ़ारसी में और ये छंद या बहरें जिम्हे हम ग़ज़ल की बपौती मानते हैं ग़ज़ल लिखी जाने से पहले से प्रयोग में लाई जा रहीं थी ,और ग़ज़ल ???? के आगे यह क्यों लगाया मैं लिख चुका हूँ ,आप इसे ग़ज़ल न मान एक व्यंग्य कविता मान पढें और इसे पसंद करना जरूरी नहीं है ,लेकिन क्या इसमें जो लिखा है सच बात नहीं है ,
रही अनाम लोगों की बात तो हरयाणवी में एक कहावत है ' बहुओं हाथ चोर मरवाना ,यानी जिन मर्दों में मर्दानगी नहीं होती वे घर में चोर आने पर खुद जनाने बन घर की औरतो को मुकाबले हेतु आगे करते हैं ,और मैं इन पर्दानाशीनो का जवाब लिखना ठीक नहीं मानता,
श्याम सखा haal aabad italy
'सखा' ने देख,अनुभव कर लिखा यह सब ब्लागिंग पर
न तो है यह गज़ल कोई न तू जर्राह टिपणी कर
और i स मकते के बाद तो कोई संदेह नहीं रहना चाहिए था,एक शिकायत मनु और सभी गज़ल प्रेमियों से की कम से कम काफियों की तो तारीफ की जनि चाहिए थी
paravah ko chhodkar
श्याम सखा
'haal aabad italy'
so now mr. shyaam is in exhibitionist mood. he is a tall figure of hindyugm, as he thinks; and now he is on globe trotting mission. he was earlier in switzerland and now he wishes to inform us all he has moved to italy.
yaani agar kavita se na prabhavit ho sako to is baat se ho jaao.
श्याम बन्धु
जबरदस्ती में तारीफ़ मांग रहे हो शर्म करिए ....
सादर
सुमित दिल्ली
मनु जी,
आप हिन्दी युग्म के सबसे वफादार चमचे हो |
आप को हिन्दी युग्म कितना देता है उसकी तरफ से कोम्म्नेट करने के लिए | काम भी करते हो या यही सब ,,,,
कभी
दीमाग की बात नहीं करते ? कितना पता है काव्य के बारे में ,,,,
१ महीने में केवल २ अच्छी रचना लिखा कर भेजो कहीं और यदि छाप जाए तो बताऊ ... आपको मान जायेंगे ?
फुकट का बक बक बंद करो ....
सदर
सुमित दिल्ली
सैलेश इसका जवाब दीजिये...
ये सब क्या है ,,,,
अनाम
धन्यवाद आपका अनाम जी,
मनु जी,
आप हिन्दी युग्म के सबसे वफादार चमचे हो |
इस अमूल्य टिपण्णी के लिए आपका तहे-दिल से आभारी हूँ...
आप को हिन्दी युग्म कितना देता है उसकी तरफ से कोम्म्नेट करने के लिए |
जी, इसके बदले युग्म मेरे अच्चे-बुरे सारे कमेन्ट झेलता है...डिलीट नहीं करता...
काम भी करते हो या यही सब ,
ये क्या काम नहीं है..???
कभी
दीमाग की बात नहीं करते ? कितना पता है काव्य के बारे में ,,,,
इसके बारे में आपको ज्यादा पता है शायद..... (याद नहीं क्या ,,,बताया था आपको,,,?...)
१ महीने में केवल २ अच्छी रचना लिखा कर भेजो कहीं और यदि छाप जाए तो बताऊ ... आपको मान जायेंगे ?
नेट से जुड़ते ही भेजी थी,,,छपीं भी थी,,,,,( अब कहीं नहीं भेजता )
:)
फुकट का बक बक बंद करो ....
पहले आप..
:)
फादर ..
मनु..
:)
एनी माउस जी,
सर्वप्रथम तो मैं ये बता दूं की मैं हिन्दयुग्म, श्री श्याम सखा 'श्याम', मनु बेतखल्लुस, हिन्दयुग्म के सभी रचनाकारों एवं उन टिप्पणीकारों का सम्मान करता हूँ जो अपने नाम और पहचान से टिप्पणी करते हैं, आप चाहे जो भी हैं, आपको एक शायर की चार पंक्तियाँ अर्पित करता हूँ :
दुनिया ये मुहब्बत को मुहब्बत नहीं देती
ईमान बड़ी चीज़ है, कीमत नहीं देती
देने को मैं भी तुम्हे दे सकता हूँ गाली
मेरी तहजीब मुझे इसकी इजाजत नहीं देती
ईश्वर आपको सदबुद्धि प्रदान करे, आप बौद्धिक दिवालियेपन के शिकार हैं और आपका मानसिक संतुलन बिगड़ चुका है, इस संकट की घडी में समस्त हिन्दयुग्म परिवार को आपसे सहानुभूति है
बहुत ही आदर के साथ
अरुण मित्तल 'अद्भुत'
manu ji bus kijiye in mouse(choohon) ke peeche kitna daudenge .dono hi suratoon me billi .ghar me bheegi aur yahaan hindygm ki billi hahahahahahahahahahahahahahahahahah.
आप को हिन्दी युग्म कितना देता है उसकी तरफ से कोम्म्नेट करने के लिए
@ anonymous
मनु को छोडिये ,
आप कितना दे सकते हैं इस चमचागिरी के लिए ?
खुद एक एक कमेन्ट के लिए झोली पसारे घुमते हैं और
कोई फिल्मी डायलोग याद आ रहा है ..
( बारिश से बचने की आपकी औकात नहीं है और गोला बारी की बात करते हैं आप ? )
हिन्दी युग्म - सैलेश का बिज़नस है जो सबको बेवकूफ बना कर कर रहा है,,,,
बचिए a
उर पह्चाह्निये साहित्य क्या है और क्या नहीं ,,,,
पहले मुझे भी यही लगा कि यार ये भी कोई ग़ज़ल है फिर श्याम जी ने बात सही तरीके से समझाई. लाजवाब लगा यह ढंग समझाने का.
बहुत सुन्दर, बहुत अच्छे, भईई वाह टिपणी कर
बुरे अच्छे की मत कर यार तू परवाह टिपणी कर
ye ho kya raha hai
ye kavyamanch hai ya koi bhadas nikalne ka manch
who is this anynomous?
shyam ji aapki bat samajh gaye
shukria
ye ho kya raha hai
ye kavyamanch hai ya koi bhadas nikalne ka manch
who is this anynomous?
-- रिश्ते में आपके बाप से भी बड़े हैं नाम है अनाम
kulwdeep - bahar nikal kahaan gaye/....
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)