दिया हुस्न उसने अदा भी मिली थी
रहे-इश्क* मुझको जफ़ा भी मिली थी
न जीना ही सीखा न मरना ही आया
हमें जिन्दगी की दुआ भी मिली थी
भलाई मिली थी ,भलाई के बदले
गुनाहो की मुझको सजा भी मिली थी
हुआ था अकेला बियांबा में मैं जब
वहां मुझे 'उसकी`सदा भी मिली थी
है गर 'श्याम'छैला नहीं दोष उसका
मिला सांस जब तब अना भी मिली थी
रहे-इश्क =इश्क की राह,प्रेम गली
फ़ऊलुन,फ़ऊलुन,फ़ऊलुन,फ़ऊलुन
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10 कविताप्रेमियों का कहना है :
बढिया गजल है.
श्याम जी बहुत अच्छी ग़ज़ल. यह शे'र अच्छे लगे.
न जीना ही सीखा न मरना ही आया
हमें जिन्दगी की दुआ भी मिली थी
भलाई मिली थी ,भलाई के बदले
गुनाहो की मुझको सजा भी मिली थी
मैंने आपके ब्लॉग गज़ल के बहाने पढ़ा था. वहां भी काफी अच्छी गज़लें हैं
लिखने के अंदाज से पता लग जाता है कि श्याम जी कि ग़ज़ल है .लाजवाब ग़ज़ल के लिए बधाई .
भलाई मिली थी ,भलाई के बदले
गुनाहो की मुझको सजा भी मिली थी
हमेशा की तरह एक लाजवाब गज़ल बहुत बहुत बधाई
हुआ था अकेला बियांबा में मैं जब
वहां मुझे 'उसकी`सदा भी मिली थी
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति बधाई ।
wahaan mujh ko uski ..
sadaa bhi mili thi..
sunder hai ji...
waah sahab waah..dil khush hogaya itni pyaari ghazal padhkar...too good!!
-Gaurav 'Lams'
बहुत खूब लिखा है
न जीना ही सीखा न मरना ही आया
हमें जिन्दगी की दुआ भी मिली थी
भलाई मिली थी ,भलाई के बदले
गुनाहो की मुझको सजा भी मिली थी
बहुत ही सुंदर लिखा है
अमिता
aTI SUNDER BHAAV PURNA GAZAL HAI
sAZ-E-DIL UTHA HAI ZABAABT L
lAFZON ME DHALTA HAI JAB ZAZBAAT;
hAR ALFAAZ KALAM MOTI MANID CHAMAKTA HAI
kAGAZ PE DIL K RANG LIYE LIKHTA HAI ZAZBAAT
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