फटाफट (25 नई पोस्ट):

Wednesday, July 29, 2009

दिया हुस्न उसने अदा भी मिली थी-गज़ल


दिया हुस्न उसने अदा भी मिली थी
रहे-इश्क* मुझको जफ़ा भी मिली थी

न जीना ही सीखा न मरना ही आया
हमें जिन्दगी की दुआ भी मिली थी

भलाई मिली थी ,भलाई के बदले
गुनाहो की मुझको सजा भी मिली थी

हुआ था अकेला बियांबा में मैं जब
वहां मुझे 'उसकी`सदा भी मिली थी

है गर 'श्याम'छैला नहीं दोष उसका
मिला सांस जब तब अना भी मिली थी

रहे-इश्क =इश्क की राह,प्रेम गली

फ़ऊलुन,फ़ऊलुन,फ़ऊलुन,फ़ऊलुन

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

10 कविताप्रेमियों का कहना है :

Disha का कहना है कि -

बढिया गजल है.

Shamikh Faraz का कहना है कि -

श्याम जी बहुत अच्छी ग़ज़ल. यह शे'र अच्छे लगे.

न जीना ही सीखा न मरना ही आया
हमें जिन्दगी की दुआ भी मिली थी

भलाई मिली थी ,भलाई के बदले
गुनाहो की मुझको सजा भी मिली थी

मैंने आपके ब्लॉग गज़ल के बहाने पढ़ा था. वहां भी काफी अच्छी गज़लें हैं

Manju Gupta का कहना है कि -

लिखने के अंदाज से पता लग जाता है कि श्याम जी कि ग़ज़ल है .लाजवाब ग़ज़ल के लिए बधाई .

निर्मला कपिला का कहना है कि -

भलाई मिली थी ,भलाई के बदले
गुनाहो की मुझको सजा भी मिली थी
हमेशा की तरह एक लाजवाब गज़ल बहुत बहुत बधाई

सदा का कहना है कि -

हुआ था अकेला बियांबा में मैं जब
वहां मुझे 'उसकी`सदा भी मिली थी

बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति बधाई ।

manu का कहना है कि -

wahaan mujh ko uski ..
sadaa bhi mili thi..

sunder hai ji...

Lams का कहना है कि -

waah sahab waah..dil khush hogaya itni pyaari ghazal padhkar...too good!!

-Gaurav 'Lams'

अमिता का कहना है कि -

बहुत खूब लिखा है

न जीना ही सीखा न मरना ही आया
हमें जिन्दगी की दुआ भी मिली थी

भलाई मिली थी ,भलाई के बदले
गुनाहो की मुझको सजा भी मिली थी

बहुत ही सुंदर लिखा है
अमिता

Unknown का कहना है कि -

aTI SUNDER BHAAV PURNA GAZAL HAI

Unknown का कहना है कि -

sAZ-E-DIL UTHA HAI ZABAABT L

lAFZON ME DHALTA HAI JAB ZAZBAAT;
hAR ALFAAZ KALAM MOTI MANID CHAMAKTA HAI
kAGAZ PE DIL K RANG LIYE LIKHTA HAI ZAZBAAT

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)