शामे-तन्हाई में क्या-क्या कहर बरपाता है दिल
क्या-क्या कह जाता है जब कहने पे आ जाता है दिल
फिक्र में डूबे सफे जब दर्द से हों रूबरू
इक ग़ज़ल उम्मीद की हौले से लिख जाता है दिल
चुगलियाँ रंगीन प्याले की, सुराही के गिले
दोनों की सुनता है और दोनों को समझाता है दिल
चुप लगाकर धड़कनें और गुनगुना कर खामुशी
सुनती हैं तकरीरे-उल्फत, और फरमाता है दिल
खुश ख्यालों से घनेरी चांदनी की जुल्फ को
आप उलझा हो वले, पर हंस के सुलझाता है दिल
जब वो तेरे हैं तो फिर क्या दूरियां-नजदीकियां
जिंदगी को और कभी यूं खुद को बहलाता है दिल
मनु बेतखल्लुस
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22 कविताप्रेमियों का कहना है :
चुप लगाकर धड़कनें और गुनगुना कर खामुशी
सुनती हैं तकरीरे-उल्फत, और फरमाता है दिल
wah bahut umda tasavvur ..bahut khub manu ji ..
खुश ख्यालों से घनेरी चांदनी की जुल्फ को
आप उलझा हो वले, पर हंस के सुलझाता है दिल
hnm..
accha hai..
are nahi bahut bahut bahut accha hai..
bahut khoob likha hai aapne manu ji hamesha ki tarah..
जब वो तेरे हैं तो फिर क्या दूरियां-नजदीकियां
जिंदगी को और कभी यूं खुद को बहलाता है दिल
ghazab khayal hai...
इस ग़ज़ल का हर लफ्ज़ है नगमा , हर शे'एर तराना है
याद कर लो इन्हें, हर चंद महफिल ए सखुन को सुनाना है
-मुहम्मद अहसन
बहुत सुंदर .......
मनु जी,
हमेशा की तरह फिर एक लाजबाब ग़ज़ल!! आपकी हर नयी ग़ज़ल अपनी एक अदा व अपनी एक अलग खूबसूरती में ढली होती है. बधाई ही बधाई!
अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मनु जी ... बधाई
चुगलियाँ रंगीन प्याले की, सुराही के गिले
दोनों की सुनता है और दोनों को समझाता है दिल
मनु जी लाजवाब. कोई कमी ग़ज़ल में नहीं.
मनु जी आप की ग़ज़ल जीवन को सुखांत बनाती है .बधाई
मनु जी बहुत सुंदर ग़ज़ल
क्या लिखते हो भाई...
फिक्र में डूबे सफे जब दर्द से हों रूबरू
इक ग़ज़ल उम्मीद की हौले से लिख जाता है दिल..
वाह...
फिक्र में डूबे सफे जब दर्द से हों रूबरू
इक ग़ज़ल उम्मीद की हौले से लिख जाता है दिल
मनु जी कितनी सुंदर पंक्तियाँ हैं .आप जीवन से शब्द उठा के भावनाओं का जामा पहना के एक खूबसूरत ग़ज़ल लिखदेते हैं ये आप की खासियत है
पढ़ने का आनंद लिया मैने
सादर
रचना
is ghazal ko padhkar kaisa feel kar raha hoon agar ye likh doonga to....
...jaane mehfil main phir kya ho?
to fir apne bade bhai ke kehne par kewla make liye ja raha hoon....
चुप लगाकर धड़कनें और गुनगुना कर खामुशी
सुनती हैं तकरीरे-उल्फत, और फरमाता है दिल
aur ye bhi bada gehra hai...
जब वो तेरे हैं तो फिर क्या दूरियां-नजदीकियां
जिंदगी को और कभी यूं खुद को बहलाता है दिल
gautam ji ke shabdon main:
मनु जी के साथ सबसे खास बात ये होती है कि कई बार उन्हें खुद ही नहीं पता होता कि वो कितनी बेमिसाल ग़ज़ल कह गये हैं।
ye 'manu' bus akeli teri ghazal to hai nahi,
likhati hain ranaiyaan aur phir gaat hai dil.
बहुत ही खूबसूरती से जज्बातों को बयाँ किया गया है
जब वो तेरे हैं तो फिर क्या दूरियां-नजदीकियां
जिंदगी को और कभी यूं खुद को बहलाता है दिल
बहुत अच्छा शेर है - सुरिन्दर रत्ती
रचना पसंद करने पर...
अपनी राय देने के लिए...
आप सभी का तहे-दिल से शुक्रगुजार हूँ....
मनु..
खून ए दिल से हम ने ग़ज़ल की तारीफ़ लिख डाली
हाय, ज़ालिम बस वह हौले से मुस्कुरा कर रह गया
-मुहम्मद अहसन
होहोहोहो..........
मजा आ गया अहसान भाई..
सवेरे-सवेरे हंसी नहीं रुक रही है...
हाय, ज़ालिम बस वह हौले से मुस्कुरा कर रह गया
क्या बात है...
:)
फिक्र में डूबे सफे जब दर्द से हों रूबरू
इक ग़ज़ल उम्मीद की हौले से लिख जाता है दिल
बहुत ही बढि़या ।
कल ही यह बक्सा (लैपटॉप) दुरुस्त हुआ है और आज ही यह ग़ज़ल पढ़ी ,वल्लाह
दिल की तहरीह है ,जो शायद ही किसी को पसंद न आये ,
बस ऐसे ही इस हिन्दयुग्म को घायल करते रहिये |
अहसन भाई तो होश खो ही चुके हैं |
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