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Tuesday, May 12, 2009

तू बेयक़ीन है, मत जा शराबख़ाने में


ये एहतियात हमेशा रही सताने में
कहीं वो रूठ न जाए मुझे मनाने में।

बस एक लम्हा लगा फ़ासला बढ़ाने में
तमाम उम्र गई उसको पास लाने में।

वो दिन को रात कहेगा तो मान जाऊँगा
मैं खो चुका हूँ कई लोग आज़माने में।

नशा, यक़ीन में घुलकर शराब बनता है
तू बेयक़ीन है, मत जा शराबख़ाने में।

बताऊँ क्या मेरी मसरूफ़ियत अजीब सी है
मैं ख़ुद को ढूँढ़ता फिरता हूँ आने-जाने में।

ज़रा से आँसू, ज़रा सी ख़ुशी, ज़रा सा मलाल
इन्हीं के दम पे है रौनक़ मेरे फ़साने में।

ये मेरे दोस्त जिसे मेरा दिल समझते थे
वो शीशा टूट गया देखने दिखाने में।

--नाज़िम नक़वी

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12 कविताप्रेमियों का कहना है :

neelam का कहना है कि -

ये एहतियात हमेशा रही सताने में
कहीं वो रूठ न जाए मुझे मनाने में।

वो दिन को रात कहेगा तो मान जाऊँगा
मैं खो चुका हूँ कई लोग आज़माने में।

ज़रा से आँसू, ज़रा सी ख़ुशी, ज़रा सा मलाल
इन्हीं के दम पे है रौनक़ मेरे फ़साने में।

wallllllllllllah ,naajim ji aap jise logon ke liye hi shaayad koi
shaayar kah kar gaya hai

अल्लाह जाने मेरे सिजदे का क्या हश्र हो ,
जब सर झुका रहा था तो तुम (आपके शेर ) याद आ गए |

mohammad ahsan का कहना है कि -

umda, saleeqe ki ghazal.

"अर्श" का कहना है कि -

khub kahi...............

गौतम राजऋषि का कहना है कि -

एक बेहतरीन ग़ज़ल

manu का कहना है कि -

एक से बढ़कर एक शेर लिए आज फिर एक खूबसूरत गजल मिली है नाजिम साहब की,,,,,
लाजवाब,,,
खूबसूरत मतला,,,
मैं खो चुका हूँ कई लोग आज़माने में
बहुत प्यारा अहसास ,,,

नशा, यक़ीन में घुलकर शराब बनता है
क्या फलसफा है,,,,
आपको पढ़ कर हमेशा की तरह झूम गए साहब,,,,

Pritishi का कहना है कि -

Har She'r lajawaab ..
वो दिन को रात कहेगा तो मान जाऊँगा
मैं खो चुका हूँ कई लोग आज़माने में। - bahut khoob!

रश्मि प्रभा... का कहना है कि -

ये एहतियात हमेशा रही सताने में
कहीं वो रूठ न जाए मुझे मनाने में।.......बहुत खूब

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

भाव में , लय में , समझाने में लगभग सब बातों में एक सही रचना लगी |
क्या कहा जाए - सुन्दर और लाजवाब !

अवनीश तिवारी

Dinesh Dard का कहना है कि -

नाजिम साहब,

आप ही की ग़ज़ल के एक मिसरे से बात शुरू करता हूँ कि :-
"तू बेयक़ीन है, मत जा शराबख़ाने में"
......लेकिन यकीनन आपकी ग़ज़ल के अशआर की सदा बहुत दूर तक जाती मालूम होती है. लिहाज़ा "बहुत खूब" से ज्यादा कुछ कहा ही नहीं जा सकता.

ऐसी ग़ज़ल लिखने के लिए मैं आपका शुक्रिया अदा करता हूँ.

दिनेश "दर्द", उज्जैन

Science Bloggers Association का कहना है कि -

गजल छोटी सही, पर लाजवाब करती है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Unknown का कहना है कि -

I am here for the very first time and this ghazal ensures I will be coming here many more times.Amazing work!

Unknown का कहना है कि -

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