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Monday, May 25, 2009

तेरे घर खुदा भी आ जाएगा


अप्रैल महीने की प्रतियोगिता से हमने 12 कविताओं का प्रकाशन सुनिश्चित किया था। अब हम 11 कविताएँ प्रकाशित कर चुके हैं। आज हम 12वीं कविता प्रकाशित कर रहे हैं, जोकि 11 वें पायदान की कविता है। इस कविता के रचनाकार तरूण सोनी ‘तन्वीर‘ का जन्म 21 मार्च 1983 को राजस्थान के पाली जिले के बांकली कस्बे में हुआ। स्नातक एवं कम्प्यूटर एप्लीकेशन में डिप्लोमा तक पढ़ाई की। वर्ष 2002 से लेखन की कई विधाओं में (यथा गीत, गजल, हाइकु, कविता, मुक्तक, लघु कथा लेख) में नियमित सक्रिय हैं। अब तक पाँच अप्रकाशित कृतियों की रचना पूर्ण कर चुके हैं। राष्ट्रीय (साहित्यिक/सामाजिक) स्तरीय पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं निरन्तर प्रकाशित। राज्य स्तरीय काव्य संकलन '‘सर्जन-संगी‘‘ व अखिल भारतीय काव्य संग्रह ‘‘स्मृतियों के सुमन‘‘ एवम् “सप्त सरोवर” संगमन॰ अष्टकमल॰ देवसुधा॰काव्य गंगा॰ आदि काव्य संकलनों में रचनाएं संकलित। राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय स्तरीय संकलन हेतु रचनाएं स्वीकार्य । सामाजिक स्तर पर कईं बार पुरस्कृत। कवर्धा(छतीसगढ) से ‘‘स्व.श्री हरि ठाकुर स्मृति सम्मान पत्र‘‘। जोधपुर से ‘‘सर्जन संगी‘‘ अलंकरण प्राप्त। उदयपुर से “राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान” के अन्तर्गत ‘‘काव्य कुमुद‘‘ (2007) एवम् “काव्य कलावन्त” (2008) की मानद सम्मानोंपाधी से सम्मानित। कटनी(म.प्र.) से “भारत गौरव”(2007) की मानद सम्मानोंपाधी से सम्मानित।

कविता

जब तुझे रोने का जौहर आ जाएगा...
तुझे गम में जीने का हुनर आ जाएगा...
गिरा देगा जब तू हाथों से पत्थर,
तुझे प्यार पर यकीन आ जाएगा...
हर समन्दर को कतरा न समझ,
कभी कतरे में समन्दर आ जाएगा...
कभी उठाकर देख फटे जूतों को,
तुझे जीने का मतलब आ जाएगा...
अगर यकीं है तुझे इबादत पर,
तो तेरे घर खुदा भी आ जाएगा...
जरा अपने परों को फैलाकर देख,
तेरे हाथों में फलक आ जाएगा...


प्रथम चरण मिला स्थान- बाइसवाँ


द्वितीय चरण मिला स्थान- ग्यारहवाँ


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10 कविताप्रेमियों का कहना है :

संगीता पुरी का कहना है कि -

bahut badhiya ...

mohammad ahsan का कहना है कि -

सवाल यह है कि यह कविता है या ग़ज़ल . यह चूंकि कविता हो नहीं सकती इस लिए ज़रूर ग़ज़ल हो गी. अगर ग़ज़ल है तो बहुत कमज़ोर सी. न ढांचा दुरुस्त है और न ही ख्यालों में ताजगी.

Arun Mittal "Adbhut" का कहना है कि -

एक बात तो मैं बिलकुल स्पष्ट कर दूं कि ये गजल कतई नहीं है........... इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए......... दूसरी बात ये है कि इससे कमजोर रचना मैंने आज तक हिन्दयुग्म पर नहीं देखी (अपनी रचनाओं को छोड़कर क्योंकि उनके बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता)

अरुण "अद्भुत"

manu का कहना है कि -

2002 से लेखन की कई विधाओं में (यथा गीत, गजल, हाइकु, कविता, मुक्तक, लघु कथा लेख) में नियमित सक्रिय हैं। अब तक पाँच अप्रकाशित कृतियों की रचना पूर्ण कर चुके हैं। राष्ट्रीय (साहित्यिक/सामाजिक) स्तरीय पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं निरन्तर प्रकाशित। राज्य स्तरीय काव्य संकलन '‘सर्जन-संगी‘‘ व अखिल भारतीय काव्य संग्रह ‘‘स्मृतियों के सुमन‘‘ एवम् “सप्त सरोवर” संगमन॰ अष्टकमल॰ देवसुधा॰काव्य गंगा॰ आदि काव्य संकलनों में रचनाएं संकलित। राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय स्तरीय संकलन हेतु रचनाएं स्वीकार्य । सामाजिक स्तर पर कईं बार पुरस्कृत। कवर्धा(छतीसगढ) से ‘‘स्व.श्री हरि ठाकुर स्मृति सम्मान पत्र‘‘। जोधपुर से ‘‘सर्जन संगी‘‘ अलंकरण प्राप्त। उदयपुर से “राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान” के अन्तर्गत ‘‘काव्य कुमुद‘‘ (2007) एवम् “काव्य कलावन्त” (2008) की मानद सम्मानोंपाधी से सम्मानित। कटनी(म.प्र.) से “भारत गौरव”(2007) की मानद सम्मानोंपाधी से सम्मानित।


itna gyaan hame to hain nahi....
ho saktaa hai ke ghazal jaisaa kuchh aur bhi eejaad ho gayaa ho...

haayikoo waayikoo....ya kuchh aur nayaa.....!!!!!!!!!!!!!!!

par kuchh bhaaw jaroor pasand aaye....
isme koi do raay nahin,,,

Shailesh Jamloki का कहना है कि -

मुझे ये कविता इस के भावो की वजह से बहुत पसंद आई.. बार बार पढने का मन किया..

शुक्रिया.. इतनी अच्छी कविता के लिए

सादर
शैलेश

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

सुन्दर भावों वाली गजल है | हाँ नयापन तो नहीं है फिर भी लयात्मकता याने rhythm अच्छा है |

बधाई |

अवनीश तिवारी

Arun Mittal "Adbhut" का कहना है कि -

अविनाश जी,

प्रतिक्रिया को अन्यथा न लें पर ये गजल नहीं है .......... मनु जी ने तो अपने अंदाज़ में टिपण्णी कर ही दी पर मैं थोडा गंभीर होकर बात करता हूँ की सम्मान और पुरस्कार अलग चीज हैं और अच्छा लिखना अलग, जहाँ तक भावः व्यक्त करने का प्रश्न है उस पर सबकी अपनी अपनी राय है जिसे जैसा लगेगा वो वैसा ही कहेगा

अरुण अद्भुत

mohammad ahsan का कहना है कि -

'सम्मान और पुरस्कार अलग चीज हैं और अच्छा लिखना अलग,'
waah adubhut ji, yahi main bhi bahut dinon se sanket kar raha huun, hind -yugm aksar hi logon ke biodata se adhik prabhaawit dikhta hai.
pranaam

Unknown का कहना है कि -

कभी उठाकर देख फटे जूतों को,
तुझे जीने का मतलब आ जाएगा...

bahut achhi bat

achhi ghazalnuma kavita hai

राम प्रसाद ढीमर का कहना है कि -

कविता है या गजल ये तो विद्यान लोग जानें। जो भी हो, भावों की अभिब्यक्ति बहुत अच्छी है। अच्छी रचना के लिए साधुवाद।

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