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Saturday, May 09, 2009

कट गया जो, सर रहा हूँ


प्रतियोगिता की दूसरी कविता के रचयिता सत्यप्रसन्न पहली बार हिन्द-युग्म की प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं और मूलतः तेलगू भाषी हैं। आंध्र प्रदेश राज्य के श्रिकाकुलम जिले में 3 मई 1949 को जन्मे सत्यप्रसन्न की शिक्षा-दीक्षा पूर्ववर्ती मध्यप्रदेश एवं वर्तमान छत्तीसगढ़ के सरगुजा, रायपुर तथा रायगढ़ जिले में हुई। बी.एस.सी. करने के बाद मेकैनिकल इंजिनीयरिंग में पत्रोपाधि प्राप्त किया, उसके के पश्चात छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल में, कनिष्ठ अभियंता, सहायक अभियन्ता, कार्यपालन अभियन्ता एवं अधीक्षण अभियन्ता के पद पर ३४ वर्ष तक कार्य किया। 31 मई 2007 को सेवानिवृत्त हो गये। 5 भाईयों और 5 बहिनों में सबसे बड़े सत्यप्रसन्न को कविताओं तथा कहानियों से बचपन से ही लगाव है। लिखना वर्ष 1980 से प्रारंभ किया। कविता तथा लघु कथाओं से विशेष प्रेम। विभिन्न सन्ग्रहों में प्रकशित और आकाशवाणी, दूरदर्शन से प्रसारित।

पुरस्कृत कविता- विषधरों से डर नहीं है

विषधरों से डर नहीं है
केंचुओं से डर रहा हूँ।
था बरी मैं जिस सज़ा से
वो सज़ा ही भर रहा हूँ।
जो चढ़े शिखरों पे उनकी
जीत का अवसर रहा हूँ ।
आग थी औरों की लेकिन
राख़ सा मैं झर रहा हूँ ।

थी जहाँ भी हार निश्चित
मैं वहाँ अक्सर रहा हूँ।
आसमाँ की सोच पाले
मैं हमेशा घर रहा हूँ।
रास्ते मुझसे ही गुजरे
मैं तो केवल दर रहा हूँ।
थी नहीं परवाज़ मेरी
मैं तो केवल, पर रहा हूँ।

भोथरी थी धार तो क्या
कट गया जो, सर रहा हूँ।
हैं बने मुझसे समंदर
मैं तो क़तरा भर रहा हूँ ।
काफ़िले बढ़ते गये हैं
मील का पत्थर रहा हूँ।
हर पुरस्कृत गीत के
हर शब्द का अक्षर रहा हूँ।

आज जिनके हाथ में है
मैं उन्हीं का कल रहा हूँ ।
आचमन कर देखिए तो
मैं भी गंगाजल रहा हूँ ।



प्रथम चरण मिला स्थान- दूसरा


द्वितीय चरण मिला स्थान- दूसरा


पुरस्कार- अनुराग शर्मा तथा अन्य 5 कवियों के कविता-संग्रह 'पतझड़ सावन बसंत बहार' की एक प्रति।

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22 कविताप्रेमियों का कहना है :

Yogesh Verma Swapn का कहना है कि -

ati uttam rachna.

Arun Mittal "Adbhut" का कहना है कि -

बहुत ही सुन्दर कविता है आपने अच्छे ढंग से अपनी बात प्रस्तुत कि है...............
ये पंक्तियाँ विशेष रूप से पसंद आई

काफ़िले बढ़ते गये हैं
मील का पत्थर रहा हूँ।
हर पुरस्कृत गीत के
हर शब्द का अक्षर रहा हूँ।

आपकी और कवितायों का इंतज़ार रहेगा

अरुण अद्भुत

neelam का कहना है कि -

जो चढ़े शिखरों पे उनकी
जीत का अवसर रहा हूँ ।
आग थी औरों की लेकिन
राख़ सा मैं झर रहा हूँ ।

kavita pahley paaydaan par kyoun nahi ,

mohammad ahsan का कहना है कि -

bahut hi achchhi kavita. poori tareh laybaddh. vichaar parak. ise ghazal ki shreni mein bhi rakkhaa ja sakta hai.
kavi ko bahut haardik badhaayi.
-ahsan

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

आपकी इतनी सुंदर रचना के लिए धन्यबाद.

संगीता पुरी का कहना है कि -

सुदर रचना और प्रतियोगिता में स्‍थान पाने के लिए बहुत बहुत बधाई।

Arun Mittal "Adbhut" का कहना है कि -

अहसन जी रचना अच्छी है पर मैंने इसे दुबारा अच्छी तरह पढ़ा है और मेरा अध्ययन कहता है कि इसे गजल कि श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, हां कविता/नज्म अच्छी है, बहुत बारीक बातें हैं कुछ जो शायद युग्म पर करना मेरी लिए संभव नहीं है......... अगर आप गजल लिखते हैं तो आपको पता होगा ही आपको

अरुण 'अद्भुत'

Unknown का कहना है कि -

काफी समय बाद यहा आना हुआ और इतनी सुन्दर कविता पढकर मन खुश हो गया

सुमित भारद्वाज

pradeep का कहना है कि -

इतनी सुन्दर कविता पढकर मन खुश हो गया

mohammad ahsan का कहना है कि -

adhubut ji,
thanks. you are certainly right. what i meant was that many of the couplets are independently meaningful. they are like ash'ars.

the poem is exceedingly beautiful.
regards
-ahsan
09415409325

manu का कहना है कि -

गजल नहीं है पर गजल होने में कुछ खास बाकी भी नहीं है,,,,
बेहद खूबसूरत ,,,दिल खोल कर तारीफ़ करने लायक,,,,,ले,,, छंद ,,,, बहर ,,चाहे जो भी कह लें,,,

एकदम बराबर,,,,
और सभी ख़याल,,,,लाजवाब,,,,,
पहले शब्द से लेकर आखिरी शब्द तक ,,वाह वाह और बस वाह वाह,,,,
यूं तो दूसरा नंबर है,,,,और वो भी काफी पीछे है,,,,

rachana का कहना है कि -

जो चढ़े शिखरों पे उनकी
जीत का अवसर रहा हूँ ।
आग थी औरों की लेकिन
राख़ सा मैं झर रहा हूँ ।
क्या खूब कहा है सारी बातें गहरी और सच
बधाई
रचना

रश्मि प्रभा... का कहना है कि -

थी जहाँ भी हार निश्चित
मैं वहाँ अक्सर रहा हूँ।
आसमाँ की सोच पाले
मैं हमेशा घर रहा हूँ।......बधाई इस संवेदनशील रचना के लिए

Pritishi का कहना है कि -

Bahut khoob! Bahut khoob!

Unknown का कहना है कि -

u to aapki har rachna adbhut aur alag hoti hai.aur aapki ye kavita bhi aapki kavitao ki diary roopi samudra ka ek aur nayab moti hai.aapko purusakar prapt karne ki bahut bahut bdhaeya.
aapki bitiya
manjula

Lams का कहना है कि -

Sir main kya bataun...aapne itna achha likhahai kil khush hogaya ...bahut khoob!!

--Gaurav

manoj rao का कहना है कि -

adbhut lajavaab.har bar ki tarh is baar bi dil ko choo gai.I proud ki u r my father.aap aur likhe aur nai nai manjile isi tarh paar karte jaaaye.
Ur son
manoj

manoj rao का कहना है कि -

adbhut lajavaab.har bar ki tarh is baar bi dil ko choo gai.I proud ki u r my father.aap aur likhe aur nai nai manjile isi tarh paar karte jaaaye.
Ur son
manoj

manoj rao का कहना है कि -

adbhut lajavaab.har bar ki tarh is baar bi dil ko choo gai.I proud ki u r my father.aap aur likhe aur nai nai manjile isi tarh paar karte jaaaye.
Ur son
manoj

manoj rao का कहना है कि -

adbhut lajavaab.har bar ki tarh is baar bi dil ko choo gai.I proud ki u r my father.aap aur likhe aur nai nai manjile isi tarh paar karte jaaaye.
Ur son
manoj

manoj rao का कहना है कि -

adbhut lajavaab.har bar ki tarh is baar bi dil ko choo gai.I proud ki u r my father.aap aur likhe aur nai nai manjile isi tarh paar karte jaaaye.
Ur son
manoj

सदा का कहना है कि -

रास्ते मुझसे ही गुजरे
मैं तो केवल दर रहा हूँ।
थी नहीं परवाज़ मेरी
मैं तो केवल, पर रहा हूँ।

बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये बधाई ।

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