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चल पड़े आदतन, रुक गए आदतन
आज फिर हम वहीं आ खड़े आदतन
खामखा प्यार का भ्रम है उनको हुआ
बात पर मुस्करा थे दिये आदतन
तोड़ वादा सितारों ने फिर की जफा
सुबह आई तो सब मिट गए आदतन
पूछते आज क्यों याद उनको किया
आदतन तो न था, कह दिए 'आदतन'!
बाद बरसों मिले हम अचानक वहीं
आए वो दफ-अतन, हम गए आदतन !
आँख पत्थर-सी थी, मैं भी चट्टान सी
टुकड़े जुम्बिश पे दिल के हुए आदतन
खुशनसीबी भी थी तेज़ भी था ज़हन
मुफलिसी का सबब मुफलिसे-आदतन
आदतन आदतन आदतन आदतन
प्यार क्यों यार हम थे किये आदतन
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(बहर सीख रही हूँ यह मेरी दूसरी ग़ज़ल
है जो बहर में है - फाएलुन X ४ )
जाते-जाते एक fusion शे'र :-)
लड़-झगड़ कर हुए थे जुदा कल मगर
ब्लॉग खोला तेरा ''आई*'' ने आदतन
*आई = IE, Internet Explorer
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..RC..
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10 कविताप्रेमियों का कहना है :
RC KEE GAZAL PADHEE HAI .QAFIA
AUR RADEEF KHOOB NIBHAAYAA HAI
UNHONE.BHAVABHIKTI BHEE UMDAA HAI.
MEREE BADHAAEE.
अच्छा कहा बधाई
बात पर मुस्करा थे दिये आदतन
दोस्त हम मुस्करा थे दिये आदतन
आदतन आदतन आदतन...........?
माधव
अच्छी ग़ज़ल कही है।
बधाई!
दूसरी ग़ज़ल के पैमाने पर यह बहुत प्रौढ़ रचना है।
अन्दाजे-बयाँ भी उम्दा!
पुनः बधाई
अमित
बहुत प्यारी गजल,,,,,
दूसरी गजल ही बहर में आ गई आपकी,,,,
यहाँ तो पचीसों के बाद भी ,,,,,
हर शेर खूबसूरत लगा,,,,,
आखिरी शेर में चार दफा "आदतन" लिखा देखना ख़ास तौर से पसंद आया ,,,,,आदतन
एक बात और,,,,
ये प्रयोग केवल मकते में ही जान डाल रहा है,,,,,
बीच में होता तो ये प्रभाव नहीं पैदा करता,,,,,,
fusion शेर ज़रा देर से समझ आया,,,,,,, पर आ गया,,,,,,,,,,
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हम भी बधाई देने चले आये आदतन
आर सी खूब सुंदर लिखा आपने आदतन
सुरिन्दर रत्ती
खामखा प्यार का भ्रम है उनको हुआ
बात पर मुस्करा थे दिये आदतन
ye adatan bhee kya kya karva deta hai ..:)))jhoota bhram bhee .
Awesome sher Nice ghazal !!
पूछते आज क्यों याद उनको किया
आदतन तो न था, कह दिए 'आदतन'!
आदतन आदतन आदतन आदतन
प्यार क्यों यार हम थे किये आदतन
bahut badhiya...RC ji.. :)
और हमने टिप्पणी कर दी आदतन।
नहीं भई, आपकी गजल प्रशंसा के लायक है। बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
Aap sabka bahut bahut Shukriya!
God bless
RC
ye teri shokhiyan ye tera bankpan
"aar see' kya nahin aadatan,aadatan
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