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Thursday, May 07, 2009

तीन रंगों से बड़ा कोई नहीं


ना ही मंजिल, रास्ता कोई नहीं
सच है फिर मेरा खुदा कोई नहीं

है बड़ा ये गाँव भी, वो गाँव भी
तीन रंगों से बड़ा कोई नहीं

सब गले का हार बन बैठे मगर
हाथ की लाठी बना कोई नहीं

जिन्दगी से दूरियां सिमटी जरूर
मौत से भी फासला कोई नहीं

कुछ न कुछ होने का सबको इल्म है
इस शहर में सिरफिरा कोई नहीं

ना ही आँसूं, दर्द है, ना बेबसी
जिन्दगी में अब मजा कोई नहीं

उसको 'अद्भुत' सिर्फ सच से प्यार है
उसके जख्मों की दवा कोई नहीं

(बहर: फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन)

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11 कविताप्रेमियों का कहना है :

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

title dena bhool gaye arun ji..

neelam का कहना है कि -

है बड़ा ये गाँव भी, वो गाँव भी
तीन रंगों से बड़ा कोई नहीं

bahut achchi rachna ,badhaai sweekaren

SURINDER RATTI का कहना है कि -

अरुण जी, बहुत सुंदर मुझे ये पंक्तियाँ अच्छी लगीं .....
जिन्दगी से दूरियां सिमटी जरूर
मौत से भी फासला कोई नहीं
ना ही आँसूं, दर्द है, ना बेबसी
जिन्दगी में अब मजा कोई नहीं

manu का कहना है कि -

है बड़ा ये गाँव भी, वो गाँव भी
तीन रंगों से बड़ा कोई नहीं

एक दम लाजवाब,,,बेजोड़,,, शेर,,,,,
तपन जी,, गजल में टाइटल की कोई जरूरत नहीं होती,,

Vinaykant Joshi का कहना है कि -

ना ही आँसूं, दर्द है, ना बेबसी
जिन्दगी में अब मजा कोई नहीं
अच्छा लगा ,

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

manu ji.. ghazal ki baat nahin... post ka title missing tha...

ना ही आँसूं, दर्द है, ना बेबसी
जिन्दगी में अब मजा कोई नहीं

waah...

है बड़ा ये गाँव भी, वो गाँव भी
तीन रंगों से बड़ा कोई नहीं

teen rangon ko chaahta kaun hai aajkal?

Riya Sharma का कहना है कि -

सब गले का हार बन बैठे मगर
हाथ की लाठी बना कोई नहीं

बहुत खूब लिखा अरुण जी

रश्मि प्रभा... का कहना है कि -

सब गले का हार बन बैठे मगर
हाथ की लाठी बना कोई नहीं.....
बहुत ही अच्छी रचना

rachana का कहना है कि -

बहुत ही सुंदर खास कर ये शेर बहुत पसंद आये

है बड़ा ये गाँव भी, वो गाँव भी
तीन रंगों से बड़ा कोई नहीं
सब गले का हार बन बैठे मगर
हाथ की लाठी बना कोई नहीं
सादर
रचना

mohammad ahsan का कहना है कि -

good ghazal, adubhut ji.

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

'सब गले का हार बन बैठे मगर
हाथ की लाठी बना कोई नहीं.'

एक वार है जिन्दगी की सचाई पर भी.

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