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Wednesday, May 20, 2009

दोहा गाथा सनातन: कक्षा 17 दोहा है रस-कोष


गागर में सागर लिए, दोहा है रस-कोष।
सत्य सनातन का करे, 'सलिल' सतत जय घोष।।
भ्रमर सुभ्रामर शरभ से, मिला चुके हम हाथ।
श्येन और मंडूक से, करी मित्रता साथ।।
मरकत की छवि मन बसी, करें करभ का दर्श।
नर से मिलकर हंस सँग, करिए निज उत्कर्ष।।

करभ: १६ - १६ - ३२ - ४८
होती सम गुरु-लघु कला, सोलह-सोलह सँग।
जमता है तब करभ का, विद्वज्जन में रंग।।
जो मैं ऐसा जानती, प्रीत किये दुःख होय।
नगर ढिंढोरा पीटती, प्रीत न करियो कोय।। -मीरा बाई
'दरिया' सोता सकल जग, जागत नाहीं कोय।
जागे में फिर जागना, जागा कहिये सोय।। - दरिया
बाँस साँस के योग से, बंशी बजे द्विकूल।
घातों सँग रह बाँस जब, बजे सिरों पै झूल।। - ओम प्रकाश बरसैयां
द्रोह मोह आक्रोश या, योग भोग संयोग।
दोहा वह उपचार जो हरता भव के रोग।। -सलिल
जिसमें बची जिजीविषा, उसकी करो सँभाल।
शेष सभी को खा रहा, मुँह फैलाये काल।।- प्रो. देवेन्द्र शर्मा 'इन्द्र'

नर: १५ - १८ - ३३ - ४८
नर में पंद्रह गुरु रहें, अट्ठारह लघु शेष।
कथ्य बिम्ब रस की छटा, देखें 'सलिल' अशेष।।
राधावल्लभ लाल कों, जाहि न भावत नेह।
परियौ मुठी हजार दस, ताकी आँखिन खेह।। -मतिराम
कदम कुञ्ज व्हैं हौं कबै, श्री वृन्दावन मांहि।
'ललितकिसोरी'लाडलै, बिहरेंगे तिहि मांहि।। -ललितकिशोरी
गर्मी भर जीवै बढै, झरे वारि तो सूख।
विष रस धारे आकतू, शिव को प्रिय हिय रूख।। ओमप्रकाश बरसैयां
हुए सहाय अहेतु ही, कहाँ-कहाँ कब कौन?
सबके प्रति आभार है,शीश झुकाता मौन।। -चंद्रसेन 'विराट'
दोहा छंद-नरेश के, यश गाते कवि-भाट।
गागर में सागर भरें, लघु में लीन विराट।। -सलिल

हंस: १४ - २० - ३४ - ४८
चौदह गुरु से बीस लघु, करते हैं जब मेल।
दोहा सरवर में करे, हंस अनवरत खेल।।
'पलटू' भेद न कीजिये, यह जग बुरी बलाय।
लिए कतरनी कांख में, करै मित्रता धाय।। -पलटू
काला हंसा निरमला, बसे समंदर तीर।
पंख पसारे बिखहरे, निरमल करे सरीर।। शैख़ शरफुद्दीन अहमद
अर्थ बिम्ब रस उक्ति से, छोडे अमित प्रभाव।
मर्म भेद कर रसिक के, दोहा भरता घाव।। -सलिल
हम-तुम दोनों मुसाफिर, आती-जाती रेल।
अपने-अपने गाँव तक,सबका-सबसे खेल।। निदा फाजली

शेष दोहों से भेंट के पहले, अब तक पढ़े दोहों के साथ दो-दो हाथ करते रहें।



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6 कविताप्रेमियों का कहना है :

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

दोहों को बांटने के लिए धन्यवाद |

अवनीश तिवारी

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

आचार्य जी, प्रणाम!

कक्षा खाली सी लगती, टीचर कितना कूल
छात्र बने सब आलसी, बना रहे हैं फूल.
बना रहे हैं फूल, छात्र हैं सभी आलसी
गुरु जी बाहर गये, खाली रखी है कुरसी
फूल बनाते फूल, कहाँ है इनका माली
शन्नो देखे यहाँ, पूरी है कक्षा खाली.

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

मनु जी अजित जी,

टीचर की हर बात पर, दीजे अपना ध्यान
कक्षा में क्या होता, खोले रखिये कान.

manu का कहना है कि -

शन्नो जी,
कक्षा में क्या होत है, खोले रखिये कान...

खोले रखिये कान मगर सुनता कब कोई
सभी आलसी, और मानिटर बाहर होई,
कहे मनु जब कक्षा है पूरी ही खाली,
करे पढाई या फिर teacher की रखवाली,,,,,,

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

मनु जी,
बहुत समय बाद अपने दर्शन दिये. कक्षा में देखकर बड़ा अच्छा लगा.

गुरु जी तो मस्त-मस्त, गये हैं तफरी पर
आफत काम की आई, कक्षा में मनु के सर
कक्षा में मनु के सर, अजित हैं छिपती फिरतीं
झंडा खाली खड़ा, करे छात्रों की गिनती
शन्नो करे बिचार, सोचती अब क्या करुँ
महफ़िल में ही मिलें, अब शायद अपने गुरु.

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

दो लिखी गयी पंक्तिआं जिनके आखिर में लय भी हो वह अंग्रेजी में couplets कहलाते हैं और हिंदी में दोहे. फर्क है तो केवल मात्राओं का. अंग्रेजी वाले couplets में मात्राओं को गिनने का कोई चक्कर नहीं होता है.
लायीं हूँ आप सबके लिए हिंदी का एक couplet मेरा मतलब है दोहा:

बिल्ली लड़ीं रोटी पर, थी बंदर की ताक
मिलकर फिर वह खा गयीं, बंदर हुआ अवाक.

तो अब लीजिये इसी को आजमाइये अंग्रेजी couplet के form में:

Two cats fought over a piece of bread and a monkey was watching
They made up soon and ate it fast before monkey started talking.

शन्नो

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