हिन्दुस्तान विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। और इस सबसे बड़े लोकतंत्र के लिये महसंग्राम भी शुरू हो चुका है| आने वाले १-१.५ महीने में भारत के अगले पाँच साल के भविष्य का फैसला होना है। हजारों उम्मीदवार, लाखों पोलिंग बूथ, करोड़ों मतदाता और अरबों-खरबों का खर्च। इतना बड़ा चुनाव किसी भी देश में नहीं होता है। हर तरफ चुनावी सरगर्मी से माहौल में गर्मी और जोश रहने की सम्भावना है।
पिछले अंक के काव्यपल्लवन का चित्र यदि महिला दिवस पर आधारित था तो इस बार हम जो विषय लेकर आये हैं वो लोकसभा चुनाव २००९ पर ही आधारित है। इस बार चित्र आधारित आयोजन पर अल्पविराम लगायेंगे और हिन्दयुग्म के सामूहिक-लेखन के विशेष अंक में लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव को हम और आप मिलकर मनायेंगे। हमारा मानना है कि जनता ही लोकतंत्र में सबसे अहम भूमिका निभाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए हम जो शीर्षक आप लोगों को दे रहे हैं वो है- "लोकसभा चुनाव-लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव"।
आप भी इस उत्सव में हमारे साथ हों और इस विषय से जुड़ी जो भी पंक्तियाँ आपके मन में आती हैं उन्हें हमारे ईमेल के पते kavyapallavan@gmail.com पर २३ अप्रैल २००९ तक लिख भेजिये । याद रखिये कि रचना मौलिक व अप्रकाशित होनी चाहिये। अधिक जानकारी के लिये पढ़ें।
(महत्वपूर्ण- मुद्रित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाओं के अतिरिक्त गूगल, याहू समूहों में प्रकाशित रचनाएँ, ऑरकुट की विभिन्न कम्यूनिटियों में प्रकाशित रचनाएँ, निजी या सामूहिक ब्लॉगों पर प्रकाशित रचनाएँ भी प्रकाशित रचनाओं की श्रेणी में आती हैं।)
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कविताप्रेमी का कहना है :
कवि खोलेंगे साथ मिल, नेताओं की पोल.
लोकतंत्र के घाट पर, चलो बजाएं ढोल.
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