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Sunday, April 12, 2009

कहाँ खो गइल अब ऊ धुन प्यार के


प्रतियोगिता की तीसरी कविता के रूप में हम मनोज भावुक की एक कविता प्रकाशित कर रहे हैं। मनोज भावुक भोजपुरी साहित्य और भाषा के लिए खूब काम कर रहे हैं।

पुरस्कृत कविता- चिड़िया, हमारे घर आती थी कभी

बहुत नाच जिनिगी नचावत रहल
हँसावत, खेलावत, रोआवत रहल

कहाँ खो गइल अब ऊ धुन प्यार के
जे हमरा के पागल बनावत रहल

बुरा वक्त मे ऊ बदलिये गइल
जे हमरा के आपन बतावत रहल

बन्हाइल कहाँ ऊ कबो छंद में
जे हमरा के हरदम लुभावत रहल

उहो आज खोजत बा रस्ता, हजूर
जे सभका के रस्ता देखावत रहल

जमीने प बा आदमी के वजूद
तबो मन परिन्दा उड़ावत रहल

कबो आज ले ना रुकल ई कदम
भले मोड़ पर मोड़ आवत रहल

लिखे में बहुत प्राण तड़पल तबो
गजल-गीत 'भावुक' सुनावत रहल


प्रथम चरण मिला स्थान- पाँचवाँ


द्वितीय चरण मिला स्थान- तीसरा


पुरस्कार- हिजड़ों पर केंद्रित रुथ लोर मलॉय द्वारा लिखित प्रसिद्ध पुस्तक 'Hijaras:: Who We Are' के अनुवाद 'हिजड़े:: कौन हैं हम?' (लेखिका अनीता रवि द्वारा अनूदित) की एक प्रति।



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14 कविताप्रेमियों का कहना है :

mohammad ahsan का कहना है कि -

अरे वाह, मनोज साहब ने भोजपुरी में अच्छी खासी ग़ज़ल लिख डाली. उन को बधाई

Pooja Anil का कहना है कि -

मनोज भावुक जी,

बहुत बढ़िया रचना है आपकी, भोजपुरी तो नहीं जानती, बस आप ऐसे ही लिखते रहिये, हम यह भाषा भी सीख लेंगे . :)
बधाई .

नियंत्रक महोदय जी,
कविता का शीर्षक गलत छाप दिया गया है , कृपया सुधार लें.

पूजा अनिल

manu का कहना है कि -

हमेशा की तरह अच्छी रचना मनोज जी...
बधाई आपको...

नियंत्रक जी,
कृपया पूजा जी की बात पर ध्यान दें...

रश्मि प्रभा... का कहना है कि -

bhojpuri kee apni ek khaas mithaas hoti hai , marm aur mithaas ka sanyojan behtareen hai.........

rachana का कहना है कि -

सारे ही शेर बहुत सुंदर कहे गयें हैं
ये बाला तो बहुत ही सुंदर हैं

कबो आज ले ना रुकल ई कदम
भले मोड़ पर मोड़ आवत रहल
सादर
रचना

Divya Narmada का कहना है कि -

सुमधुर भोजपुरी रचना....साधुवाद.

Divya Prakash का कहना है कि -

बहुते नीक बा हो तोहार कवितवा ..

सादर
दिव्य प्रकाश

आशुतोष कुमार सिंह का कहना है कि -

मनोज भैया, राउर कविता लाजवाब बा. पढ़ के अइसन लागत बा की एक एक शब्द अनुभव के सागर में से मोती जइसन चुन के डालल गइल बा. कब केहु आपन हो जाला अउर कब आपन पराया इ समझल आज के समय में बहुत मुश्किल बा. राउर कविता करेजवा पर सीधे वार करत बा. एह कविता पर छोट भाई के तरफ से साधुवाद....
आशुतोष कुमार सिंह
www.bhojpuriyababukahin.blogspot.com

आशुतोष कुमार सिंह का कहना है कि -

मनोज भैया, राउर कविता लाजवाब बा. पढ़ के अइसन लागत बा की एक एक शब्द अनुभव के सागर में से मोती जइसन चुन के डालल गइल बा. कब केहु आपन हो जाला अउर कब आपन पराया इ समझल आज के समय में बहुत मुश्किल बा. राउर कविता करेजवा पर सीधे वार करत बा. एह कविता पर छोट भाई के तरफ से साधुवाद....
आशुतोष कुमार सिंह
www.bhojpuriyababukahin.blogspot.com

मुकेश कुमार तिवारी का कहना है कि -

मनोज जी,

देरी से कुछ कहने के लिये क्षमा चाहूंगा.

बहुत ही सुन्दर कविता, शब्दों के साथ लय,ताल का संगम अद्भुत है.

वैसे, मेरा पैतृक नाता उत्तर-प्रदेश से है तो अवधि तो समझ लेते है और भोजपुरी भी थोड़े से बेहतर समझ आती है.

" जमीने प बा आदमी के वजूद
तबो मन परिन्दा उड़ावत रहल "

बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ हैं.

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

neelam का कहना है कि -

न जाने कइसे पढ़े का छुट गइल रही हमरे से इ कविता ,
बहुते नीक बा ,पढ़ के दिल खुस हो गइल बा ,
तोहरे से पहिले पाण्डेय जी सुनावत रहिल अइसन कविता ,
देखा तनी सब लोग उ काहे हिन्दयुग्म का भुत्लाये ग इल है ,अब समझे चुनावे में busy हो गइल बा

Kanhaiya का कहना है कि -

इस मनोज भावुक के मुझे पूर्वा टीवी के नाम पर धोखा दिया था. इसकी असलियत हो भोज्पुरिया वालो ने ठीक से उघारा है
http://www.bhojpuria.com/v2/index.php/samachar/hot-topic/298-manoj-bhawuk-caught-red-handed

Dib का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
Dib का कहना है कि -

After a long time gone through a Bhojpuri Kavita.. I Love this language.. the only language having the power of expression much beyond the literal words ..

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