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Monday, April 13, 2009

अजब-गजब


है अजब ये दुनिया भी
मुश्किलों से भरी पड़ी
दर्द-आंसू-जिन्दगी
और न जाने क्या-क्या?
बस जीए जाने की खातिर
ढ़ूंढ़ते हैं क्या-क्या?

है अजब से लोग सारे
ये सुनाए फैसले
ज़ुर्म किसका...कौन ज़ालिम
बस वही जो है नहीं
बेवजह में हे ख़ुदा
हरवक्त तेरा नाम लें!

है अजब दस्तूर ये
ऐसे मिले यहां सजा
दर्द चुराओ जो किसी का
दर्द वो दोगुना मिले
और जो चुराई खुशी
तो छिन जाए सारी खुशी!

है अजब जज़्बात सारे
करते हैं उल्टा असर
बेबस करते हैं खुशी में
ग़म में देते हौसला
आंसू सुला देते हैं जैसे
और हंसी देती हैं जगा!

है अजब ये दुनिया भी..
हैं अजब से लोग सारे..
हैं अजब दस्तूर ये...
हैं अजब जज़्बात सारे....

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10 कविताप्रेमियों का कहना है :

श्यामल सुमन का कहना है कि -

है दवा हर मर्ज का मानें सुमन की ये सलाह।
हो हवा का रूख जिधर उस ओर ही मुड़ जाइये।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

manu का कहना है कि -

अच्छी रचना अभिषेक जी,
मगर .....
दर्द चुराओ जो किसी का....

क्या बात है ....क्या लिखा है आपने...
बस हम भी वही से होकर आ रहे हैं...

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

अच्छी शिकायत है |

अवनीश तिवारी

रश्मि प्रभा... का कहना है कि -

है अजब जज़्बात सारे
करते हैं उल्टा असर
बेबस करते हैं खुशी में
ग़म में देते हौसला
आंसू सुला देते हैं जैसे
और हंसी देती हैं जगा!bahut khoob

मुकेश कुमार तिवारी का कहना है कि -

अभिषेक जी,

वाकई, सच कहा है.

अजीब सी दुनिया है
अजीब से लोग
पेट भर के रोते हैं
खाली जेब के भोग

एक अच्छी रचना पढकर मजा आ गया.

मुकेश कुमार तिवारी

Divya Narmada का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
Divya Narmada का कहना है कि -

'सलिल' को दे दर्द अपने, चैन से सो जाइए.
नर्मदा है नेह की, फसलें यहाँ बो जाइए.

चंद्रमा में चांदनी भी और धब्बे-दाग भी.
चन्दनी अनुभूतियों से पीर सब धो जाइए.

होश में जब तक रहे, मैं-तुम न हम हो पाए थे.
भुला दुनिया मस्त हो, मस्ती में खुद खो जाइए.

खुदा बनने था चला, इंसां न बन पाया 'सलिल'.
खुदाया अब आप ही, इंसान बन दिखलाइये.

एक उँगली उठाता है जब भी गैरों पर ;सलिल'
तीन उँगली चीखती हैं, खुद सुधर कर आइये.

mona का कहना है कि -

"है अजब दस्तूर ये
ऐसे मिले यहां सजा
दर्द चुराओ जो किसी का
दर्द वो दोगुना मिले" :mujhe yeh panktiyaan bahut achche lagin....kitne sahi baat hai....jab hum bina kisi swarth ke kisi ka dard lena chahte hain toh dogna dard milta hai.


"है अजब जज़्बात सारे
करते हैं उल्टा असर
बेबस करते हैं खुशी में
ग़म में देते हौसला
आंसू सुला देते हैं जैसे
और हंसी देती हैं जगा!" : bahut sahi bhav hain...jab hum jyada pareshaan hote hain toh kahin na kahin se hamare mein sab pareshaneeon se ladne ki takat aur himmat aa jati hai. Pareshaneeon se rone ke baad achanak kabhi kabhi hum khud ko itna majboot paate hain ki har haalat se ladne ki chamta aa jaate hai.

mona का कहना है कि -

"है अजब दस्तूर ये
ऐसे मिले यहां सजा
दर्द चुराओ जो किसी का
दर्द वो दोगुना मिले" :mujhe yeh panktiyaan bahut achche lagin....kitne sahi baat hai....jab hum bina kisi swarth ke kisi ka dard lena chahte hain toh dogna dard milta hai.


"है अजब जज़्बात सारे
करते हैं उल्टा असर
बेबस करते हैं खुशी में
ग़म में देते हौसला
आंसू सुला देते हैं जैसे
और हंसी देती हैं जगा!" : bahut sahi bhav hain...jab hum jyada pareshaan hote hain toh kahin na kahin se hamare mein sab pareshaneeon se ladne ki takat aur himmat aa jati hai. Pareshaneeon se rone ke baad achanak kabhi kabhi hum khud ko itna majboot paate hain ki har haalat se ladne ki chamta aa jaate hai.

mona का कहना है कि -
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