यूनिकवि प्रतियोगिता के फरवरी अंक के दूसरे स्थान के कवि हिमांशु कुमार पाण्डेय का जन्म ३० अप्रैल १९८१ उ॰प्र॰ के चंदौली जनपद के छोटे से कस्बे सकलडीहा में हुआ। कवि को अपने कस्बे में इंटरनेट लाने और इसके उपभोक्ता जुटाने का श्रेय भी जाता है। पाण्डिचेरी विश्वविद्यालय, पाण्डिचेरी से हिन्दी में एम॰ए॰ और इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्विद्यालय, नई दिल्ली से अंग्रेजी में एम॰ ए॰ हिमांशु वर्तमान में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के सकलडीहा पी०जी० कालेज, सकलडीहा, चन्दौली के हिन्दी विभाग में प्रवक्ता हैं।
पुरस्कृत कविता- अपनी 'महरी' के लिये
मुझे मालूम है
कि रोज घिसते हुए
मेरे घर के बर्तन
तुम घिसना चाहते हो
अपने अतीत का कोई टुकड़ा
जो, इन बर्तनों की तरह
खुद में ही किसी की मिटी हुई
भूख का अनुभव करता हुआ
जूठा पड़ा रहता है ।
मुझे मालूम है
कि रोज यह बर्तन घिसना
घिस कर चमकाना
और फिर तैयार कर देना उसे
किसी भूखे के सम्मुख परसने के लिये
तुम्हारा कार्य व्यापार नहीं है
बल्कि, अतीत के स्मृति-चिह्नों से
निर्मित हो गया
तुम्हारा स्वभाव है ।
तुम हर बार किसी भूखे की
भोजन-सामग्री के वाहक बने,
अपने अस्तित्व पर उसकी
क्रूर तृप्ति के चिह्न समेटे,
जूठे होकर बार-बार चमक उठे हो,
बार-बार उपयोग में आने के लिये
अपना अतीत भूल जाने के लिये-
इन बर्तनों की तरह ।
प्रथम चरण मिला स्थान- सातवाँ
द्वितीय चरण मिला स्थान- दूसरा
पुरस्कार- कवयित्री निर्मला कपिला के कविता-संग्रह 'सुबह से पहले' की एक प्रति
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5 कविताप्रेमियों का कहना है :
हिमांशु को बधाई !
पहले तो बधाई ! रचना छपी ! सुन्दर है ! लगता है यूं ही लिख दिया था , यहाँ दे दिया ! अच्छा है ! छपते रहिये !
आजकल सपाटबयानी को ही कविता मानने का फैशन है... जबकि अंगरेजी के एक प्रसिद्द विद्वान् का मत है कि कविता बयान नहीं होती. अस्तु... छपने के लिए बधाई... आशा है इससे आगे बढ़ने और बेहतर लिखने की राह खुलेगी.
sadar naman,
apki bhoogh padi,
apka lehja bhaut pasand aya.
judhe ho kar baar baar chamak uthe
bahut shandaar baat hain, esa hi aksar jivan main bhi hota hain, log kisi ko baimaan kehte hain, kisi ko kuch to kuch lekin voh bhi ghisghiskar chamak uthta hain. Bhhookh ko ragarkar thali chamkane ki upma dekar apne bahut hi kum shabdo main mere dil pur raaj kar liya hain apko is krati ke liye badhai , Kabhi apse mulakat hogi inhi icchao ke saath
apka
Hanfee Sir IPSwale Bhaijaan
09926804161
hanfee4u@gmail.com
बहुत ही गहरी भावनाओं की अभिव्यक्ति....
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