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Thursday, February 12, 2009

तिरंगे का चौथा रंग


युवा कवि संजय सेन सागर हिन्द-युग्म के अब जाना पहचाना चेहरा बनते जा रहे हैं। जनवरी माह की प्रतियोगिता में भी इनकी कविता शीर्ष १० में आई है।

पुरस्कृत कविता- तिरंगे का चौथा रंग

तीन रंगों से बना था, ये तिरंगा
केसरिया, हरा और सफ़ेद
अब शरीक हो रहा है इसमें
एक नया रंग.

केसरिया बताता है त्याग, बलिदान को
हरा दर्शाता है हरियाली को,
सफ़ेद में समाई है शान्ति
उसी प्रकार यह चौथा रंग प्रतीक होगा
हमारी कमजोरी का, आतंकवाद की जीत का और
मासूमों के बहे खून का।

यह नया ''लाल रंग'' जो जमा है कारगिल के पत्थरों पर
यह वही रंग है जो निशानी है जयपुर,
गुजरात और दिल्ली की।
इस लहू जैसे रंग से ही पहचाना जाने लगा है मायानगरी को।

हर पल तिरंगे के नीचे बहता है, यह चौथा रंग
जिसके धब्बे दिखने लगे है तिरंगे पर,
इससे अच्छा ही है की शरीक हो जाये ये तिरंगे में!
यह लाल रंग बताएगा बेगुनाहों के खून को,
मासूमों की चीख को,
और हर दर्द को जिसकी कहानी जुड़ी हो लाल रंग से।

न लड़ना पड़ेगा हमें इन गुनाहगारों से, खून के सौदागरों से
क्योंकि ये सब भाग हो जायेंगे
हमारे संविधान के।

हमारी सरकारें रह सकेगी खामोश
और नमन कर सकेगी इस तिरंगे का
माफ़ कीजिये
चौरंगे का।
और हम ढल जायेंगे ''स्वतंत्रता दिवस''को गिनने में।



प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ४, ४, ६
औसत अंक- ४॰६६६७
स्थान- सोलहवाँ


द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ४॰७, ५, ४॰६६६७ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ५॰७८८८
स्थान- चौदहवाँ


अंतिम चरण के जजमेंट में मिला अंक-
स्थान- सातवाँ
टिप्पणी- हिंदी के प्रखर आलोचक डा.रमाकांत शर्मा की यह मूल्यवान स्थापना है कि "विचार और दर्शन यदि कविता में सीधे-सीधे उतर आते हैं तो कविता का सौंदर्य नष्ट ही होगा। वह बोझिल और उबाऊ हो जायेगी। लेकिन वे ही अनुभव का हिस्सा बनकर जब संवेदनात्मक औए इंद्रियबोधात्मक रुप में प्रस्तुत होते हैं तब प्रभावी, विश्वसनीय और आत्मीय हो उठते हैं। इस तथ्य की उपेक्षा के कारण ही समकालीन कविता का अधिकांश हिस्सा पटरी से उतरा जान पड़ता है।" - इस कविता के साथ यहाँ यही हुआ है। तिरंगे के चौथे रंग की अभिव्यक्ति में कलात्मकता क्षीण हो गयी प्रतीत होती है।


पुरस्कार- ग़ज़लगो द्विजेन्द्र द्विज का ग़ज़ल-संग्रह 'जन गण मन' की एक स्वहस्ताक्षरित प्रति।

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13 कविताप्रेमियों का कहना है :

Harihar का कहना है कि -

यह नया ''लाल रंग'' जो जमा है कारगिल के पत्थरों पर
यह वही रंग है जो निशानी है जयपुर,
गुजरात और दिल्ली की।
इस लहू जैसे रंग से ही पहचाना जाने लगा है मायानगरी को।
बिल्कुल सच कहा संजय जी !

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

चौथा रंग विषय ठीक ठाक है |
लेकिन फ़िर वही , इसे काव्य में बांधना ? नही जमा |
निंदा नही कर रहा हूँ मित्र , लेकिन सच कह रहा हूँ - लगा ही नहीं कि कविता है :(

निर्णायकों के दिए टिप्पणी से सहमत हूँ |

-- अवनीश तिवारी

Anonymous का कहना है कि -

really good...which application are u using for typing in Hindi..? is it user friendly...? i was searching for the same and found 'quillpad'...do u use the same...?

संगीता स्वरुप ( गीत ) का कहना है कि -

संजय जी,
आपने बहुत सटीक चित्रण किया है चौथे रंग का. समय-सामयिक रचना .
विचार पूर्ण रचना के लिए बहुत बहुत बधाई.

dschauhan का कहना है कि -

संजय जी, आपका गुस्सा इस कविता के माध्यम से आप आदमी की आवाज बनकर प्रकट हुआ है! बहुत ही चुटीली रचना है! बधाई! देवेंद्र सिंह चौहान

Unknown का कहना है कि -

न लड़ना पड़ेगा हमें इन गुनाहगारों से, खून के सौदागरों से
क्योंकि ये सब भाग हो जायेंगे
हमारे संविधान के।

हमारी सरकारें रह सकेगी खामोश
और नमन कर सकेगी इस तिरंगे का
माफ़ कीजिये
चौरंगे का।
और हम ढल जायेंगे ''स्वतंत्रता दिवस''को गिनने में।

Unknown का कहना है कि -

कविता बहुत अच्छी लगी
सुमित भारद्वाज

News4Nation का कहना है कि -

आप लोगों की राय सर आँखों पर मैं मानता हूँ की मुझे गलतियाँ बहुत हो रही है पर मैं इन गल्शन को मिटाना ही चाहता हूँ इसके लिए ही यहाँ पर हूँ!!
और बहुत जल्द आप लोगो के सामने कुछ नया और अच्छा लेकर आऊँगा!!
शुक्रिया!

आलोक साहिल का कहना है कि -

सिर्फ़ बधाई और कुछ नहीं......
आलोक सिंह "साहिल"

Riya Sharma का कहना है कि -

हमारी सरकारें रह सकेगी खामोश
और नमन कर सकेगी इस तिरंगे का
माफ़ कीजिये
चौरंगे का।
और हम ढल जायेंगे ''स्वतंत्रता दिवस''को गिनने में।

कविता का भाव व कथ्य उत्तम है
बधाई संजय जी !!!

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

संजय जी..आपसे उम्मीदें हैं..
आगे और सुधार की आशा रखते हुए बधाई स्वीकारें

Anonymous का कहना है कि -

तिरंगे का चौथा रंग क्या सोच है कविता जिन भावों को सोच के लिखी गई है वो उत्तम है

रचना

रश्मि प्रभा... का कहना है कि -

बहुत खूब....

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