फूल संग माथे चढी
पंखुडी गुलाब की।
बिछडी तो कदमों पडी
पंखुडी गुलाब की।
*
जोड लिये फागुन में
ओर नये नाते
गुलाल रंग रंग गई
पंखुडी गुलाब की।
*
चांदनी सी रंगत ओ
सीप सी है पलके
अधरों पर धर दिन्ही
पंखुडी गुलाब की।
*
याद तेरी जा पिघली
पलकों के किनारे
ओंस भीगी बिरहन हुई
पंखुडी गुलाब की।
*
अधर धरी बांसुरिया
मालकौस गाये
जल रही किताबों में
पंखुडी गुलाब की।
*
धनुष देह श्वेत केश
झुर्रियां कपोल पर
समय हाथी रौंद गया
पंखुडी गुलाब की।
*
लकडी डाली हाथ जोडे
यार सभी चल दिये
देह संग भस्म हुई
पंखुडी गुलाब की।
*
विनय के जोशी
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20 कविताप्रेमियों का कहना है :
धनुष देह श्वेत केश
झुर्रियां कपोल पर
समय हाथी रौंद गया
पंखुडी गुलाब की।
यही नहीं समझा |
और सब बहुत बहुत अच्छे लगे |
बधाई |
-- अवनीश तिवारी
अविनाशजी ,
बुढापे का चित्रण है | कमर झुककर देह को धनुष जैसा बना देती है | बाल सफेद हो जाते है मुख पर झुर्रिया पड़ जाती है क्योकि समय रूपी हाथी गुलाब सी देह को रौंद जाता है | कविता पसंद कर उत्साहवर्धन हेतु आभार |
सादर,
विनय के जोशी
विनय जी,
पहले तो मन को मोहा और आख़िर में उदास कर गई पंखुडी गुलाब की,,,,,,,,,,,
बहुत प्यारे शब्दों में बाँधा है.....इस खूबसूरती के साथ.....
विनय जी ,
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति है. आपने इस रचना में जीवन को अंत तक पहुंचाया लेकिन मुझे कहीं बचपन नही नज़र आया. यदि वो भी शामिल होता तो ये जीवन चक्र पूरा हो जाता. .
सुंदर भाव और शब्दों का चयन है..
बधाई
पतंग ,कन्चे, गोटी,गुडिया
समय की धार ने छीन लिया
सावन संग बह चली
पंखुडी गुलाब की
rachana
आप की कविता के क्या कहने मन आनंदित हो गया
सादर
रचना
याद तेरी जा पिघली
पलकों के किनारे
ओंस भीगी बिरहन हुई
पंखुडी गुलाब की।
क्या बात है विनय जी! बहुत खूब
विनय जी,
ये तो रंग बिरंगी कविता है मन प्रसन्न हो गया ......................
लकडी डाली हाथ जोडे
यार सभी चल दिये
देह संग भस्म हुई
पंखुडी गुलाब की।
लकडी डाली हाथ जोडे
यार सभी चल दिये
देह संग भस्म हुई
पंखुडी गुलाब की।
विनय जी आपकी रचना पुरस्कृत करने योग्य है ,ये मेरा मत है |
हर बार कि तरह .......बेहतरीन.
आलोक सिंह "साहिल"
सुंदर अभिव्यक्ति
अन्तिम कुछ पंक्तियाँ तो गूढ़ अर्थों के साथ
अद्भुत रही विनय जी !!
सादर !!
badiya bahut hi accha hai ....
गुलाब की पंखुड़ी को जीवन के हर पड़ाव से आपने बखूबी जोड़ा है..
सहेज कर रखने वाली कविता है ये...
धन्यवाद
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
धनुष देह श्वेत केश
झुर्रियां कपोल पर
समय हाथी रौंद गया
पंखुडी गुलाब की।
धनुष देह श्वेत केश
झुर्रियां कपोल पर
समय हाथी रौंद गया
पंखुडी गुलाब की।
सुन्दर अभिव्यक्ति पर बधाई
श्याम सखा श्याम
shaandaar
meethimirchi.blogspot.com
maza aa gaya bhai saab... aapne kamal kar diya...dil ko chho gayi pankhudi gulab ki..
dil ko choo gai
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