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Thursday, February 12, 2009

पंखुडी गुलाब की





फूल संग माथे चढी
पंखुडी गुलाब की।
बिछडी तो कदमों पडी
पंखुडी गुलाब की।
*
जोड लिये फागुन में
ओर नये नाते
गुलाल रंग रंग गई
पंखुडी गुलाब की।
*
चांदनी सी रंगत ओ
सीप सी है पलके
अधरों पर धर दिन्ही
पंखुडी गुलाब की।
*
याद तेरी जा पिघली
पलकों के किनारे
ओंस भीगी बिरहन हुई
पंखुडी गुलाब की।
*
अधर धरी बांसुरिया
मालकौस गाये
जल रही किताबों में
पंखुडी गुलाब की।
*
धनुष देह श्वेत केश
झुर्रियां कपोल पर
समय हाथी रौंद गया
पंखुडी गुलाब की।
*
लकडी डाली हाथ जोडे
यार सभी चल दिये
देह संग भस्म हुई
पंखुडी गुलाब की।
*
विनय के जोशी

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20 कविताप्रेमियों का कहना है :

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

धनुष देह श्वेत केश
झुर्रियां कपोल पर
समय हाथी रौंद गया
पंखुडी गुलाब की।

यही नहीं समझा |
और सब बहुत बहुत अच्छे लगे |
बधाई |

-- अवनीश तिवारी

Vinaykant Joshi का कहना है कि -

अविनाशजी ,
बुढापे का चित्रण है | कमर झुककर देह को धनुष जैसा बना देती है | बाल सफेद हो जाते है मुख पर झुर्रिया पड़ जाती है क्योकि समय रूपी हाथी गुलाब सी देह को रौंद जाता है | कविता पसंद कर उत्साहवर्धन हेतु आभार |
सादर,
विनय के जोशी

manu का कहना है कि -

विनय जी,
पहले तो मन को मोहा और आख़िर में उदास कर गई पंखुडी गुलाब की,,,,,,,,,,,
बहुत प्यारे शब्दों में बाँधा है.....इस खूबसूरती के साथ.....

संगीता स्वरुप ( गीत ) का कहना है कि -

विनय जी ,
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति है. आपने इस रचना में जीवन को अंत तक पहुंचाया लेकिन मुझे कहीं बचपन नही नज़र आया. यदि वो भी शामिल होता तो ये जीवन चक्र पूरा हो जाता. .
सुंदर भाव और शब्दों का चयन है..
बधाई

Anonymous का कहना है कि -

पतंग ,कन्चे, गोटी,गुडिया
समय की धार ने छीन लिया
सावन संग बह चली
पंखुडी गुलाब की
rachana

Anonymous का कहना है कि -

आप की कविता के क्या कहने मन आनंदित हो गया
सादर
रचना

Harihar का कहना है कि -

याद तेरी जा पिघली
पलकों के किनारे
ओंस भीगी बिरहन हुई
पंखुडी गुलाब की।
क्या बात है विनय जी! बहुत खूब

Arun Mittal "Adbhut" का कहना है कि -

विनय जी,

ये तो रंग बिरंगी कविता है मन प्रसन्न हो गया ......................

neelam का कहना है कि -

लकडी डाली हाथ जोडे
यार सभी चल दिये
देह संग भस्म हुई
पंखुडी गुलाब की।

लकडी डाली हाथ जोडे
यार सभी चल दिये
देह संग भस्म हुई
पंखुडी गुलाब की।

विनय जी आपकी रचना पुरस्कृत करने योग्य है ,ये मेरा मत है |

आलोक साहिल का कहना है कि -

हर बार कि तरह .......बेहतरीन.
आलोक सिंह "साहिल"

Ria Sharma का कहना है कि -

सुंदर अभिव्यक्ति

अन्तिम कुछ पंक्तियाँ तो गूढ़ अर्थों के साथ
अद्भुत रही विनय जी !!

सादर !!

praveen Parashar का कहना है कि -

badiya bahut hi accha hai ....

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

गुलाब की पंखुड़ी को जीवन के हर पड़ाव से आपने बखूबी जोड़ा है..
सहेज कर रखने वाली कविता है ये...
धन्यवाद

परमजीत सिहँ बाली का कहना है कि -

बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।

धनुष देह श्वेत केश
झुर्रियां कपोल पर
समय हाथी रौंद गया
पंखुडी गुलाब की।

Anonymous का कहना है कि -

धनुष देह श्वेत केश
झुर्रियां कपोल पर
समय हाथी रौंद गया
पंखुडी गुलाब की।
सुन्दर अभिव्यक्ति पर बधाई
श्याम सखा श्याम

Anonymous का कहना है कि -

shaandaar

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संदीप तिवारी का कहना है कि -

maza aa gaya bhai saab... aapne kamal kar diya...dil ko chho gayi pankhudi gulab ki..

Dixant Tiwari (soni) का कहना है कि -

dil ko choo gai

pankhudi gulaab ki

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