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Wednesday, January 21, 2009

*****चाँद आँगन में मेरे उस रोज मुस्काता तो है


दिल से होकर दिल तलक इक रास्ता जाता तो है
और गर कुछ है नहीं ये इश्क इक धोखा तो है

बेवफ़ा बेशक सही, लेकिन पराया मैं नहीं
उनको मेरी जात पर इतना यकीं आता तो है

है अगर खंजर लिये कातिल तो भी क्या डर उन्हें
पास उनके भी झुकी नजरों का इक हरबा तो है

दोस्ती को तोड़कर वो हो भले दुश्मन गया
बन के दुश्मन साथ मेरे आज भी रहता तो है

याद तुझको जब कभी आती है मेरी जानेमन
चाँद आँगन में मेरे उस रोज मुस्काता तो ह

मैने अपनी गलतियों से है यही सीखा `सखा'
कोई समझे या न समझे वक्त समझाता तो है

फ़ाइलातुन, फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन

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12 कविताप्रेमियों का कहना है :

Vinay का कहना है कि -

बहुत सुन्दर , बधाई


---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम

Anonymous का कहना है कि -

दोस्ती को तोड़कर वो हो भले दुश्मन गया,बन के दुश्मन साथ मेरे आज भी रहता तो है...बहुत अच्छी लगी.!बधाई!

Nikhil का कहना है कि -

आपको वक्त ने गज़ल लिखना बखूबी सिखाया है..
बधाई..

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

कोई नया भाव या प्रभावी भाव तो नही लगा |
लेकिन ग़ज़ल अच्छी है |

बधाई
अवनीश तिवारी

आलोक साहिल का कहना है कि -

bakhub sir ji.....
ALOK SINGH "SAHIL"

Anonymous का कहना है कि -

मैने अपनी गलतियों से है यही सीखा `सखा'
कोई समझे या न समझे वक्त समझाता तो है
क्या खूब कहा है आप ने
आप तो ग़ज़ल के गुरु ,और गुरुओं पर टिप्पणियाँ नही की जाती हैं
सादर
रचना

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

दोस्ती को तोड़कर वो हो भले दुश्मन गया
बन के दुश्मन साथ मेरे आज भी रहता तो है

वाह...

Divya Prakash का कहना है कि -

बहुत सही ..इस बार दिल्ली आता हूँ तो ... एक दिन आपके पास ग़ज़ल का "क" जरुर सीखने जरुर आऊंगा ...(अगर आप कुछ समय निकल पायें तो )
हर एक ग़ज़ल के साथ आप के शब्द अपना असर बढाते जा रहे हैं....
सादर
दिव्य प्रकाश

Himanshu Pandey का कहना है कि -

मैने अपनी गलतियों से है यही सीखा `सखा'
कोई समझे या न समझे वक्त समझाता तो है"

बहुत सुन्दर गजल. धन्यवाद.

Anonymous का कहना है कि -

मेरा लिखा हर शे`र उनको yar पसंद आता तो है
तिवारी जी ,
अगर हम केवल महाभारत और रामायण को ही लेलें ,तो उनमें वर्णित कथा,व् भावों के बाद कुछ लिखने को बचता ही नहीं ,इसी तरह मीर,नजीर ग़ालिब दुष्यंत औरबलबीर सिंह रंग,[दुर्भाग्य से उनकी गज़लों से लोग कम वाकिफ हैं ] के बाद लिखने को वाकई कुछ नहीं बचता |पर चच्चा ग़ालिब कह गए हैं ` अंदाजे बयां और -बस
हाँ बधाई हेतु आभार

श्याम सखा `श्याम


अवनीश एस तिवारी said...

कोई नया भाव या प्रभावी भाव तो नही लगा |
लेकिन ग़ज़ल अच्छी है |

बधाई
अवनीश तिवारी

blog tips का कहना है कि -

awesome poem

techprevue.com का कहना है कि -

Reading this blog after a long time.

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