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Monday, December 22, 2008

जवां के काँधे पे मज़हब का इक तमंचा है


किसी को अम्न की थोड़ी सी इल्तिजा है क्या
तुम्हारे पास मेरे दर्द की दवा है क्या

तुम्हारे शह्र की परछाईयाँ फज़ा में हैं
तुम्हारे शह्र कोई हादसा हुआ है क्या

जवां के काँधे पे मज़हब का इक तमंचा है
वो जानता नहीं भगवान् क्या खुदा है क्या

धुआँ उड़ा तो मैं हैराँ था देख तसवीरें
हलाक लोगों में चेहरा मेरा छपा है क्या

उदू की जीत हुई जंग में न जाने क्यों
कमर न कसना भी कोई बड़ी खता है क्या

ख़बर सुनी तो बहुत लोग हड़बड़ाने लगे
ये देखना कोई अपना हुआ फ़ना है क्या

(अर्थ - अम्न = शान्ति, हलाक = मृत, उदू = दुश्मन, फ़ना = मृत)

----प्रेमचंद सहजवाला

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10 कविताप्रेमियों का कहना है :

manu का कहना है कि -

" कमर ना कसना भी कोई बड़ी खता है क्या "
लाजवाब कहा है.....

सीमा सचदेव का कहना है कि -

ख़बर सुनी तो बहुत लोग हड़बड़ाने लगे
ये देखना कोई अपना हुआ फ़ना है क्या
bhaavukta bharpoor

Anonymous का कहना है कि -

तुम्हारे शह की परछाईयाँ फज़ा में है,तुम्हारे शह कोई हादसा हुआ है क्या...बहुत अच्छी लगी !badhai!

दिगम्बर नासवा का कहना है कि -

ख़बर सुनी तो बहुत लोग हड़बड़ाने लगे
ये देखना कोई अपना हुआ फ़ना है क्या

खूबसूरत शेरों का सिलसिला है ये ग़ज़ल

divya का कहना है कि -

कमर ना कसना भी कोई बड़ी खता है क्या "


behatreen ghazal hai!!!

Anonymous का कहना है कि -

लाजवाब सर जी,वास्तव में लाजवाब......
आलोक सिंह "साहिल"

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

बेहतरीन...

Divya Narmada का कहना है कि -

मेरे मौला बता मुझको तेरी रजा है क्या.
दीन के नाम पे दहशत न हो, दवा है क्या.

तेरे ही नाम पे बन्दों को जो तेरे मारें.
नमकहरामों की वाजिब कोई सजा है क्या.

मिलाने हाथ दिया हमने वो लड़ा बैठे
हाथ तोडा तो जोड़ पूछते खता है क्या.

छोड़ दुश्वारियां चुन मार्ग लें सहजवाला
प्रेम के नशे से ज्यादा कोई नशा है क्या.

फ़िक्र में कुर्सी की अवाम को भुला बैठा.
सियासत कर रहा लाशों पे रहनुमा है क्या.

काम नापाक मगर नाम पाक है जिसका.
उससे ज्यादा भी कोई और बदगुमां है क्या.

तिजारत कर रहे मजहब की बाँट कर नफरत.
प्रेम से उनको 'सलिल' पूछ अदावत है क्या.

आचार्य संजीव 'सलिल'
संजिव्सलिल.ब्लागस्पाट.कॉम
सलिल.संजीव@जीमेल.कॉम

neelam का कहना है कि -

तिजारत कर रहे मजहब की बाँट कर नफरत.
प्रेम से उनको 'सलिल' पूछ अदावत है क्या.
sahajwaala aur salil ji aap dono ko ,saadhuvaad

Riya Sharma का कहना है कि -

धुआँ उड़ा तो मैं हैराँ था देख तसवीरें
हलाक लोगों में चेहरा मेरा छुपा है क्या

अद्भुत भाव बहे
दर्द में डूबे हूवे

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