प्रतियोगिता की नौवीं कविता एक ऐसी कवयित्री की है जिसके बारे में बहुत अधिक जानकारी हमारे पास उपलब्ध नहीं है। बस इतनी जानकारी है कि इनका नाम दीप्ति दुबे है और ये लोकसभा टीवी में कार्यरत हैं। पहली दफ़ा हिन्द-युग्म की प्रतियोगिता में भाग ले रही हैं।
पुरस्कृत कविता- ब्लास्ट से ब्लास्ट के बीच
लहलहाती है बयानों की फसलें -
उफनती है संवेदना की नदियाँ -
कड़कती है आरोपों की प्रचंड बिजलियाँ -
और मुद्दों के गर्म तवे पर सिंकती हैं -
छिछली राजनीति की रोटियाँ।
ब्लास्ट से ब्लास्ट के बीच
ब्लास्ट से ब्लास्ट के बीच
सबकुछ रहता है सामान्य, दिलकश और खुशनुमा -
दावे होते हैं मुंह तोड़ जवाब के -
विफल होंगे नापाक इरादे -
और धराशाही होंगे ख़तरनाक मंसूबे -
ये संकल्प भी दोहराए जाते हैं।
ब्लास्ट से ब्लास्ट के बीच
ब्लास्ट से ब्लास्ट के बीच
खिलखिलाते हैं बच्चे, फुदकते हैं किशोर -
आँखों में पलते हैं सपने -
अनछुआ नहीं छूटता है कोई छोर -
घिरती है उम्मीदों की घटाएँ -
नाचते हैं निश्चय के मोर -
फिर पनपती है महत्तवकांक्षाएँ -
खिल जाते हैं पोर-पोर -
हर शहादत के बाद दोहराया जाता है, बस अब नहीं और।
ब्लास्ट से ब्लास्ट के बीच
प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ५, ६॰३५
औसत अंक- ५॰६७५
स्थान- तैइसवाँ
द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ६, ४॰५, ५॰६७५(पिछले चरण का औसत
औसत अंक- ५॰३९१६६७
स्थान- सातवाँ
पुरस्कार- कवि गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल' के काव्य-संग्रह 'पत्थरों का शहर’ की एक प्रति
और अंत में कार्टूनिस्ट मनु बे-तक्खल्लुस का समसामयिक कार्टून-
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7 कविताप्रेमियों का कहना है :
अगर मैं गलत नहीं हूं तो दीप्ति दुबे हिंदयुग्म से पिछले पुस्तक मेले में मिल चुकी हैं....मोहल्ला ब्लॉग पर इनकी कलम के खूब जलवे हैं...इनका अपना भी ब्लॉग है, जहां ये सक्रिय हैं...
हिंदयुग्म पर इनका स्वागत...कविता समयानुकुल है इसीलिए पढ़नी पड़ी...बधाई....इनकी और छोटी-छोटी कवितानुमा रचनाएं पढी हैं, उनकी तुलना में ये रचना थोड़ी कम मंजी हुई लगी.....
कविता अच्छी लगी...
इस कार्टून के फ़ौरन बाद एक शेर बना था ....इसमे नहीं डाल पाया मगर इसका पूरक है ......
"कहीं ईजाद ना कर दे ,नए सामां तबाही के ,
के अब शैतान फुरसत में है , है भी कारखाने में "
उफनती है संवेदना की नदियाँ -
कड़कती है आरोपों की प्रचंड बिजलियाँ -
और मुद्दों के गर्म तवे पर सिंकती हैं -
छिछली राजनीति की रोटियाँ।....
अच्छी पंक्तियाँ दीप्ति जी... बधाई स्वीकारें..
मनु जी, अच्छा कार्टून बनाया है..
और उस पर आपका शे’र... :-)
बहुत प्रभावित नहीं कर पाई आपकी कविता,पर उम्मीद करते हैं कि आगे कुछ और बेहतर मिलेगा.बधाई
आलोक सिंह "साहिल"
कविता अच्छी है .
दीप्ती जी
मनु जी आप के कार्टून बहुत अच्छे होते हैं और ऊपर से आप के शेर "सोने पे सुहागा
सादर
रचना
दीप्ति जी बहुत बहुत साधूवाद एक अच्छी समयानुकूल रचना के लिये..
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