पुरस्कृत कविता
पैसा मिलता है,
तो लेता है अपनी कीमत
हम चुकाते हैं जिसे,
अपने समय से
अपने प्रेम के क्षणों से
अपने सुकून के अंधेरे कोनों से
जाड़े की अंगीठी की गर्माहट के
वंचित सुख से
और
अपने साथी के मौन वियोग से
प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ६, ४, ६, ५॰३
औसत अंक- ५॰३२५
स्थान- पंद्रहवाँ
द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ६, ५, ५॰३२५ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ५॰४४
स्थान- आठवाँ
पुरस्कार- कवयित्री पूर्णिमा वर्मन की काव्य-पुस्तक 'वक़्त के साथ' की एक प्रति।
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14 कविताप्रेमियों का कहना है :
itne kam shabd, itni chhoti kavita aur us mein itna kuchh...!!ek bada kamaal..... apne jeevan ke behad kareeb....
आज की आपाधापी की और पैसे की होड़ में जिस तरह हम भाग रहे है ,उसपे बिल्कुल सटीक बैठती है आपकी कविता | इस भागमभाग में हम कितना कुछ छोड़ रहे है हमें स्वयम पता नही चलता | सच्च है पैसा अपनी कीमत वसूल करता है और हमें उसकी अच्छी खासी कीमत चुकानी पड़ती है ...न चाह कर भी | अच्छी रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई ....सीमा सचदेव
पैसे की बहुत बड़ी कीमत समझाई आपने स्मिता जी ।
अच्छी रचना के लिए बधाई।
-देवेन्द्र पाण्डेय।
आपकी कविता तो गागर में सागर को समेटे है ,
अर्थपूर्ण संचिप्त मैं बहुत कुछ कह दिया
संवेदना और शब्दों का सही तालमेल .
सुंदर !!
मुझे कविता बस ठीक लगी कुछ खास नही
महेश
सच कटु होता है पर सच तो फ़िर सच ही है पैसा तो चाहिए बस सोचना ये है की किस कीमत पे और कितनी कीमत पे .अच्छा लिखा है आप ने
रचना
सीधी-सपाट बातें हृदय को अमूमन छू हीं जाती हैं। लेकिन असर तभी होता है, जब हर्ष,विषाद या फिर दर्शन अपनी पराकाष्ठा पर हो। इसमें असर वाली बात की कुछ कमी लगी।
ध्यान देंगी!!!
-विश्व दीपक ’तन्हा’
..zindgi ke kai anubhav aksar un.kahe reh jaate haiN..lekin aapki ye rachna kuchh kehti hai... maano kitne diloN ki khaamosh dhadhkanoN ko zubaaN de di aapne. badhaaee. ---MUFLIS---
very good ,keep it up
smita ji,aapki kavita ke bhaw to bahut damdaar hain,aur sach maaniye sidhe hriday mein utar bhi gaye,par,shayad kuchh aur mehnat ki darkar hai aapki kavita ko aapse.shubhkamnayein.
ALOK SINGH "SAHIL"
अच्छा लिखा है स्मिता जी..सच्ची बात कम शब्दों में..
बधाई..
bahut achha aur sachha likha hai..
mujh par kiye itne bhaari bharkam coment ke liye shukriyaa aapka .........is laayak kahaan hoon main.....
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