प्रत्येक माह की २० तारीख को कुमुद अधिकारी नेपाली की एक कविता का हिन्दी अनुवाद लेकर आपके सामने प्रस्तुत करते हैं। अभी तक की सभी कविताओं को पाठकों ने बहुत पसंद किया है। बहुत से पाठक इन रचानाओं को संग्रहणीय भी कहते रहे हैं। आइए पढ़ते हैं हरि अधिकारी की नेपाली कविता का हिन्दी रूप-
बंदी मिलिसिया का एक क्षण
शांत और सुस्त
अन्य नेपाली कविताएँ
प्रतिष्ठाच्यूत और निर्लज्जदो घुटनों के बीच छिपाकर अपना कुरूप चेहरा
खुद से बातें करने को भी असमर्थ है वह
ध्वस्त थाने के किसी कोने में
खुद को लपेटकर सो रहे भूखे कुत्ते जैसा कमजोर
बंदी मिलिसिया के मन के फलक में फैला हुआ है
केँचुली बदलकर आया उसका अपना ही संसार
तलवों के दबाव़ से उजली बनी पगडंडियाँ, वन-झुरमुट
झोंपड़े और उन्हीं में प्रतिक्षारत उसके अपने
बुझी लालटेन जैसी निस्तेज आँखोंवाली
एक स्त्री का धूमिल चेहरा
उसके स्मृति बिंब में टंगे हैं
जवां विधवा के असुंदर सफेद दुपट्टे
क्रूरता का शूल भोंककर निकाली गई विभत्स आनंद की मदिरा
बलात् निचोड़कर छोड़े गए जनाने शरीर का कंपन
चित्कार के काले संगीत से बढ़ते उन्माद की तरंग और
धड़ विहीन शिरों के अस्फुट क्रंदन
क्लांत, विकल और मृत्यु के ठंडे स्पर्श के झटके से
व्याकुल वह भयाक्रांत
बंदी मिलिसिया
मन के दर्पण में खोज रहा है
कुछ साल पहले खोया हुआ अपना असली चेहरा।
नेपाली से अनुवादः कुमुद अधिकारी।
लेखक परिचयः
हरि अधिकारी
प्रकाशित कृतियाँ-
1. संसदमा एक दिन (कविता-संग्रह)
2. हरि अधिकारी का कविता (कविता संग्रह)
सम्मान/पुरस्कारः साझा पुरस्कार.(2006)
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11 कविताप्रेमियों का कहना है :
ये तो कहीं से भी अनुवादित कविता नही लगती....कुमद जी क्या तारीफ करूँ आपकी.....excellent ...मूल कवि को भी बधाई
क्लांत, विकल और मृत्यु के ठंडे स्पर्श के झटके से
व्याकुल वह भयाक्रांत
बंदी मिलिसिया
मन के दर्पण में खोज रहा है
कुछ साल पहले खोया हुआ अपना असली चेहरा।
इन अन्तिम पंक्तियों ने सभी मनोद्गारो को व्यक्त कर दिया |
गजब के शब्द पिरोये हैं कवित-माला में
बहुत ही सुन्दर कविता.. मूल कवि व कुमुद जी को बहुत बहुत बधाई
कुमुद जी,
बहुत ही सुंदर कविता चुनकर लाये हैं आप।
अच्छी अभिव्यक्ति मुझे भी कही से नही लगा की ये अनुवादित कविता है.....
शब्द सयोंजन अद्भुत है.
क्या है की अनुवाद करना सभी की बस की बात नही होती पर आप को इस में महारत हासिल है एक और अच्छी कविता पढ़वाने के लिए आप का धन्यवाद
सादर
रचना
कविता अच्छी लगी
पढकर ऐसा लग ही नही रहा कि ये अनुवादित हो
आपका अनुवाद का तरीका काबिले तारीफ है
कविता पढ़ते वक्त एक पल को भी नहीं लगा की मैं कोई अनुदित रचना पढ़ रहा हूँ,शानदार
आलोक सिंह "साहिल"
अफ़सोस! बंदी मिलिसिया को अपना खोया चेहरा कभी वापिस नहीं मिलेगा......बढ़िया कविता.....
kumud ji bakai bahut achchhi avita ko aapne khoja aur uska anubad bahut achchha kiya ye kavitalagti hi nahi k aapne anuwad ki hai bhut achhe bhaw is kavita k aandar aapne apne anubaad kiye hindi shabdon se daale hai
आप सभी साथियों का आभार। आप सब के शब्दों ने हौसले बुंलद कर दिए हैं।
दीपावली की शुभकामनाओं के साथ
कुमुद, नेपाल।
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