फटाफट (25 नई पोस्ट):

Saturday, October 18, 2008

दिल था उसके पास लेकिन साथ में दिलबर न था


अरूण मित्तल अद्भुत लम्बे समय से हिन्द-युग्म की यूनिकवि प्रतियोगिता में भाग लेते रहे हैं और अकसर ही प्रकाशित भी होते रहे हैं। इस बार इनकी एक ग़ज़ल ६वें पायदान पर है। आइए पढ़ते है॰॰

पुरस्कृत कविता- ग़ज़ल

ये है सच मंजिल की खातिर मैं सही पथ पर न था
पर मैं ये कहता नहीं कि साथ में रहबर न था

देखने की इसलिए मैं कर सका हिम्मत नहीं
नूर था नज़रों में लेकिन काबिले मंजर न था

उन कलाकारों ने नेता बस बुलाये इसलिए
क्योंकि उनके पास सर्कस में कोई जोकर न था

वो अधूरा रह गया यूँ जिन्दगी में देखिये
दिल था उसके पास लेकिन साथ में दिलबर न था

बात तो उसने यूँ की थी जैसे कातिल मैं ही हूँ
थी गनीमत इतनी ही इल्जाम बस मुझ पर न था

दाग चेहरे के दिखाकर भी वो अद्भुत बच गया
आइना था सामने पर हाथ में पत्थर न था




प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ८॰२५, ४॰५, ६, ८, ६, ६॰६
औसत अंक- ६॰१७२८
स्थान- चौथा


द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ४, ६, ६॰१७२८ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ५॰३९०
स्थान- छठवाँ


पुरस्कार- कवि शशिकांत सदैव की ओर से उनकी काव्य-पस्तक 'औरत की कुछ अनकही'

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

22 कविताप्रेमियों का कहना है :

neelam का कहना है कि -

उन कलाकारों ने नेता बस बुलाये इसलिए
क्योंकि उनके पास सर्कस में कोई जोकर न था

isse badhiya vyang nahi ho sakta hai

baaki bhi saraahniya hain

Unknown का कहना है कि -

दाग चेहरे के दिखाकर भी वो अद्भुत बच गया
आइना था सामने पर हाथ में पत्थर न था

बहुत ही सुंदर और सार्थक गजल है. अरुण जी आगे भी लिखते रहिएगा.

सीमा सचदेव का कहना है कि -

उन कलाकारों ने नेता बस बुलाये इसलिए
क्योंकि उनके पास सर्कस में कोई जोकर न था |
बहुत अच्छा व्यंग्य | बधाई ....सीमा

Nipun Pandey का कहना है कि -

बहुत ही अच्छी ग़ज़ल है

Anonymous का कहना है कि -

kya bat hai.aajkal to hindyugm par gajal hi gajal chhaye hain.
nice effort.
ALOK SINGH "SAHIL"

Anonymous का कहना है कि -

बात तो उसने यूँ की थी जैसे कातिल मैं ही हूँ
थी गनीमत इतनी ही इल्जाम बस मुझ पर न था

दाग चेहरे के दिखाकर भी वो अद्भुत बच गया
आइना था सामने पर हाथ में पत्थर न था
बहुत खूब लिखा है
सादर
रचना

दीपाली का कहना है कि -

उन कलाकारों ने नेता बस बुलाये इसलिए
क्योंकि उनके पास सर्कस में कोई जोकर न था

वो अधूरा रह गया यूँ जिन्दगी में देखिये
दिल था उसके पास लेकिन साथ में दिलबर न था

अरुण जी बहुत अच्छा लिखा है.
बधाई हो..

अनुपम अग्रवाल का कहना है कि -

बहुत ही अच्छी ग़ज़ल

HIMANSHU SHEKHAR PATI TRIPATHI का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
HIMANSHU SHEKHAR PATI TRIPATHI का कहना है कि -

बात तो उसने यूँ की थी जैसे कातिल मैं ही हूँ
थी गनीमत इतनी ही इल्जाम बस मुझ पर न था

वो अधूरा रह गया यूँ जिन्दगी में देखिये
दिल था उसके पास लेकिन साथ में दिलबर न था

dil ki gahrai se likha hai,jakhm taza kar gaya...
kya bataeien kya likh gya ye mujhko shayar kar gaya.

bahut badhai ho...himanshu tripathi

GAURAV का कहना है कि -

bahut badhai Sir
Gaurav Asija (Your's Student)

Anonymous का कहना है कि -

yeh line mere dil ko chhoo gaya.very nice sir.
वो अधूरा रह गया यूँ जिन्दगी में देखिये
दिल था उसके पास लेकिन साथ में दिलबर न था

Anonymous का कहना है कि -

वो अधूरा रह गया यूँ जिन्दगी में देखिये
दिल था उसके पास लेकिन साथ में दिलबर न था
The gazal is superb but the above lines show how Arun can go so deep into the feelings so easily and simply hit the bull.Reading Arun's poem after along time. U deserve to be complemented in more flowery languages than i can expess.

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

यह शे'र ख़ास तौर पर पसंद आया।

उन कलाकारों ने नेता बस बुलाये इसलिए
क्योंकि उनके पास सर्कस में कोई जोकर न था

Unknown का कहना है कि -

ये है सच मंजिल की खातिर मैं सही पथ पर न था
पर मैं ये कहता नहीं कि साथ में रहबर न था

देखने की इसलिए मैं कर सका हिम्मत नहीं
नूर था नज़रों में लेकिन काबिले मंजर न था

उन कलाकारों ने नेता बस बुलाये इसलिए
क्योंकि उनके पास सर्कस में कोई जोकर न था
Achchi hai Sir
Par ye gajal hai ya kavita
or sachchi aapne hi likhi hai
just kidding
Nice gazal
Waiting for more
KESHAV ARORA

वो अधूरा रह गया यूँ जिन्दगी में देखिये
दिल था उसके पास लेकिन साथ में दिलबर न था

बात तो उसने यूँ की थी जैसे कातिल मैं ही हूँ
थी गनीमत इतनी ही इल्जाम बस मुझ पर न था

दाग चेहरे के दिखाकर भी वो अद्भुत बच गया
आइना था सामने पर हाथ में पत्थर न था

Imran Ahmed का कहना है कि -

Gazal Acchi hai khash karke pahle dow vyang bahut sahaj or parye lage. Good keep it up.

DR S L GUPTA का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
sarita sharma का कहना है कि -

Arun adbhut ji,
aapse hindi bhavan me mulakat hui thee tab mujhe bilkul andaazaa nahi thaa ki aapke pas apni baat kahne ka aisa koushal bhi hai, badhaai. apni baat gazal me kahne ka salika hai aapke pas..
khoob kahiye...kahte rahiye,,
meri shubhkaamnaayeN,
Sarita Sharma

sarita sharma का कहना है कि -

Arrunji,
hindibhavan me mulakat hui to bilkul nahi laga thaa ki kavita aise koushal aur abhivyakti ke koushal ke saath aapme saans le rahi hai. achchhi gazal, kuchh sher
to mashaallaaah...bahut achchhe.
kahte rahiye,
meri shubhkaamnayeN
Sarita Sharma

Anonymous का कहना है कि -

sir bahut achchhi geet he
keep writing

sunil kumar sonu

sunilkumarsonus@yahoo.com

Unknown का कहना है कि -

very nice poem sir
two lines from my side

kabhi waqt mila to bathuga, aapke saath,
aaj khada hu kisi or ko bathne mein

ur comments plz

Unknown का कहना है कि -

very nice poem sir
two lines from my side

kabhi waqt mila to bathuga, aapke saath,
aaj khada hu kisi or ko bathne mein

ur comments plz

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)