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Wednesday, October 22, 2008

**** आधी मुलाकात ?


आधी मुलाकात ?

तुमने लिखा है
दूर हो
माना
रोटी रोजी के
मसअले के कारण
मजबूर हो
खत तो लिखो
सुनो मैने कहीं सुना था
खत आधी-मुलाकात होते हैं
- - -
हां
कुछ खत
आधी मुलाकात
होते हैं
इसीलिये तो
हम और आप
खत की बाट जोहते हैं

खत में
कभी खुद को
कभी उनको टोहतें हैं
कई-कई खत तो
मन को बहुत मोहते हैं
कई खत
दर्दे-दिल दोहते हैं
वे खत तो
सचमुच
बहुत सोहते हैं

खतों की
न जाने
कितनी परिभाषा हैं
मगर
हर खत की
एक ही भाषा है

कुछ खत
जेठ की धूप होते हैं
कुछ खत
सावन की बरसात होते है
कुछ खत
आधी मुलाकात होते है

खतों
की कहानी
सदियों पुरानी है
खतों की बात
मुश्किल समझानी है
खतों की जात
भला किसने जानी है

खत
कभी दर्द
कभी खुशियां
बांटते हैं
खत कभी
माँ बनकर सहलाते हैं
कभी पिता बनकर डांटते हैं

खत का
दिल से
बहुत पुराना नाता है
खत में
लिखा हर शब्द
रूह तक जाता है
मुझे तो
खत का
हर उनवान बहुत भाता है

कुछ खत
दिवस से उजले
कुछ खत
सियाह रैन होते हैं
आपने
देखा होगा
कुछ खत बहुत बेचैन होते हैं

कुछ खत
खाली खाली
निरे दिखावटी होते हैं
कुछ खत
सहेजे ज़जबात होते हैं
कुछ खत
आधी मुलाकात होते हैं

खत
कभी गुलाब,
कभी केवड़े से महकते हैं
कभी-कभी
तो खत
अंगारे बन दहकते हैं
बावरे खत
जाने
कहां-कहां जा बहकते हैं
मनमीत
मिलने पर तो
खत कोयल से चहकते हैं
खत हमेशा
दिल से दिल की बात होते हैं
खत
आधी मुलाकात होते हैं

मैने
देखा है
परखा है,जाँचा है
क्या
आपने कभी
बिना दिल का खत बाँचा है
क्या नहीं
मेरा यह कथन
सचमुच साँचा है
खत पढ़्कर
क्या नहीं
आपके दिल का मोर नाचा है
फोन व सेलुलर
के आगे
खत हुआ
एक ढहता हुआ ढाँचा है

पर
कुछ लोग
सचमुच मुझसे दीवाने हैं
इस युग में भी
ढ़ूंढते
खत
लिखने के बहाने हैं
कहें!
क्या खत
गुजरे हुए जमाने हैं
लोग
जो चाहे कह लें
मेरा दिल
तो यह बात नहीं माने है
रोज
एक खत
लिखने की ठाने है

हर
खत की
अपनी खुशबू
अपना अंदाज़ होता है
हर
खत में छुपा
दिल का राज़ होता है
हर खत
लिखने वाला
शाह्जहां
और
पढ़्ने वाला
मुमताज होता है

कुछ खत
दीन-धर्म जात होते है
कुछ खत
तो
फ़कीरों की जमात होते हैं
खत
आधी मुलाकात होते हैं

कुछ
खतों में
ख्वाब ठहरे होते हैं
कुछ
खत तो
सागर से भी गहरे होते हैं

कुछ
खत ज़मीं
कुछ
खत आसमां होते हैं
कुछ
खत तो
उम्रभर की दास्तां होते है

कुछ
खत गूंगे
कुछ
खत वाचाल होते हैं
कुछ
खत
अपने भीतर
समेटे भूचाल होते हैं

मुझ
सरीखे लोग
खतों को तरसते हैं
खत
न मिलने पर
नैनो की राह बरसते हैं

कुछ
खत
दो दिन के
मेहमान होते हैं
कुछ
खत
बच्चों की
मुस्कान होते हैं
कुछ
खत
बुढापे की बात
होते हैं
कुछ खत
जवानी की रात होते हैं

खत क्या
सिर्फ़ आधी मुलाकात होते हैं ?

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15 कविताप्रेमियों का कहना है :

Harihar का कहना है कि -

कभी खुद को
कभी उनको टोहतें हैं
कई-कई खत तो
मन को बहुत मोहते हैं
कई खत
दर्दे-दिल दोहते हैं
वाह श्याम जी कमाल कर दिया !

neelam का कहना है कि -

शुरू की दो पंक्तियाँ पढ़कर जान गई थी कि आप ही हैं ,
कुछ बातें बिना ख़त के भी होती हैं ,
अर्ज है ,
मै रोया परदेश में भीगा माँ का प्यार
दुःख ने दुःख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार ,

हरकीरत ' हीर' का कहना है कि -
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Unknown का कहना है कि -

मैने
देखा है
परखा है,जाँचा है
क्या
आपने कभी
बिना दिल का खत बाँचा है
क्या नहीं
मेरा यह कथन
सचमुच साँचा है
खत पढ़्कर
क्या नहीं
आपके दिल का मोर नाचा है
फोन व सेलुलर
के आगे
खत हुआ
एक ढहता हुआ ढाँचा है

कविता अच्छी लगी

कुछ खत आधी मुलाकात होते है
और कुछ दिल के जज्बात होते है

सुमित भारद्वाज

सीमा सचदेव का कहना है कि -

कविता में ख़त की कहानी
आपकी ज़ुबानी अच्छी लगी |
हर्किराथाकीर जी की पंजाबी कविता के लिए विशेष आभार |बहुत दिनों बाद पंजाबी कविता पढी और सौंधी मिट्टी की सी मद्धम सी खुशबू को महसूस किया |.....सीमा सचदेव

रंजू भाटिया का कहना है कि -

हां
कुछ खत
आधी मुलाकात
होते हैं
इसीलिये तो
हम और आप
खत की बाट जोहते हैं

बहुत सुंदर कविता ..बीच में पंजाबी की कविता भी बहुत पसंद आई ..

Anonymous का कहना है कि -

ख़त के बारे में इतनी बात पढ़ के बहुत अच्छा लगा आप की लेखनी में जादू है
सादर
रचना

Straight Bend का कहना है कि -

मुक्त-छंद कविताओं की मुझसे जाने क्यों कम बनती है ...
मगर मुझे ख़त और आधी मुलाक़ात की तुलना बहुत पसंद आई ... good analogy!

शायद ख़त आधी मुलाक़ात ही होते हैं !
-RC

Avanish Gautam का कहना है कि -

खत एक ढहता हुआ ढाँचा है

श्याम जी बढिया!

Anonymous का कहना है कि -

shyam ji ko badhai dena chahugi.mujhe unki poori kavita hi bahut achchhi lagi.par unki ye pangtiyan ki .khat ka di sebahut purana naata hai,khat ka likha har shabd rooh tak jaata hai mer dil ko bhi chho gai. ye aapki bahut achchhi rachna hai.......

Anonymous का कहना है कि -

shyam ji ko badhai dena chahugi.mujhe unki poori kavita hi bahut achchhi lagi.par unki ye pangtiyan ki .khat ka di sebahut purana naata hai,khat ka likha har shabd rooh tak jaata hai mer dil ko bhi chho gai. ye aapki bahut achchhi rachna hai.......

Anonymous का कहना है कि -

श्याम जी,ये आपकी पहले की प्रकाशित रचना है जिसे मैं आपकी नवीनतम रचना के बाद पढ़ रहा हूँ इसलिए ज्यादा सुकून मिल रहा है,क्योंकि ऊपर वाली रचना आपके स्तर के हिसाब से जंची नहीं,पर इस कविता को पढ़कर लगा की आप अभी भी वही सखा हैं.बधाई
आलोक सिंह "साहिल"

Vinaykant Joshi का कहना है कि -

खत का
दिल से
बहुत पुराना नाता है
खत में
लिखा हर शब्द
रूह तक जाता है
.
बहुत बढ़िया,
पूरी कविता रूह तक गई |
विनय

हरकीरत ' हीर' का कहना है कि -

खतों की सचमुच कोई जात नहीं होती क्‍योंकि उनका दिलों से नाता जो ठहरा। कुछ लोग तो लिफाफे तक संभाल
कर रखते हैं। जैसे हमारे सुबीर जी...! खत पर एक अच्‍छी रचना के लिए बधाई...। मैं ब्‍लोग एडमिनिट्रेशन से क्षमा चाहती हूँ जो अपना खत पढ़लवाने की
कोशिश की।

Anonymous का कहना है कि -

आप सभी को धन्यवाद श्यामसखा`श्याम '

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