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Tuesday, September 09, 2008

काव्य-पल्लवन विषय-विशेष या विधा-विशेष?


अब तक काव्य-पल्लवन विषय-विशेष पर पिछले १८ महीनों से आयोजित हो रहा है। पिछली बार बहुत से पाठकों के सुझाव आये कि काव्य-पल्लवन को विधा-विशेष पर भी आयोजित किया जाना चाहिए। (मतलब जैसे गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, गद्यगीत, तुकान्त इत्यादि में)।

लेकिन इसमें एक व्यवहारिक संकट यह है कि हम यदि विधा-विशेष में रचनाएँ मँगवायें तो विधा के व्याकरण के दोष से युक्त रचनाओं की प्राप्त होने की संभावना अधिक है। यह हिन्द-युग्म का २ वर्ष से अधिक समय का अनुभव है।

फिर भी यदि पाठकवर्ग यह समझता है कि किसी खास विधा में ही रचनाएँ आमंत्रित की जायँ, तो किस विधा में? आप किन-किन विषयों पर किसी एक ही विधा में कविताएँ पढ़ना चाहते हैं? कृपया आप अपने विचार वृहस्पतिवार ११ सितम्बर २००८ की मध्यरात्रि तक kavyapallavan@gmail.com पर लिख भेजें।

काव्य-पल्लवन के बारे में और अधिक जानने के लिए यहाँ देखें।

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6 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

विषय पर रचना मंगवाना तो ग़लत होता है कवि को बंधना आर्डर पर माल बनवाने जैसा है हाँ विधा पर गीत.ग़ज़ल नवगीत दोहा मुक्त छंद या गद्य कविता ? आदि से मंगवाएं ,फिर छाँट कर पोस्ट करें कचर न परोसे अब की बार अब तक कवितायेँ अच्छी है हाँ कुछ शेर कुछ जिंदगी जैसी रचनाएँ न देन तो बेहटर हो

वीनस केसरी का कहना है कि -

काव्य-पल्लवन को विधा-विशेष पर आयोजित किया जाना चाहिए।

किस विधा में?

ये तो आप ही निश्चित करो
हम कुछ न कहब

मगर जैसा की किसी अनाम व्यक्ति ने कहा कचरा न परोसें
थोड़ा तो कांट छांट करें
कम हो मगर अच्छी हो ऐसा उपाय करें तो उत्तम हो

वीनस केसरी

मेनका का कहना है कि -

विधा विशेष या विषय विशेष दोनों ही उपयुक्त है जब कविताओं या रचनाओं में थोडी काट छाट की जाए....
मेरी तो यह सलाह है की अगर आप विधा विशेष पर ही आमंत्रित करना चाहते है तो उस श्रेडी के बारे में थोडी बहुत जानकारी भी अवश्य दे ..ताकि रचना भेजने वालों में थोडी जानकारी रहे|
और मै कुछ पाठकों से यह आग्रह करती हूँ की किसी की भी रचना को 'कचरा' न कहे क्योंकि जब कोई भी लिखता है तो वह अपने पुरे मनोभाव से लिखता है और अपनी तरफ़ से अच्छा लिखता है..तभी तो उस रचना को हिंद-युग्म में भेजता है ..इसीलिए किसी भी रचना को 'कचरा' न कहे| हाँ अब क्या छपे और क्या ना छपे यह हिंद-युग्म का दायित्व है|

SURINDER RATTI का कहना है कि -

काव्य पल्लवन अब तक जैसे चल रहा है अच्छा लगा, बढ़िया है anonimous ने कहा ये ऐसा लगता है जैसे किसी ने आर्डर बुक करवाया और माल तैयार हो गया, क्या ये बात विधा विशेष पर लागु नहीं होती है, कांट छांट का अधिकार लेखक के पास है उसने वह लाइन क्यों लिखी, किस सन्दर्भ में लिखी... इससे तो बेहतर है रचना प्रकाशित न हो, मात्रा में गलती हो टंकण में त्रुटी हो, वह सुधार कर सकतें है मेनका जी ने सही कहा रचना को कचरा कहना उचित नहीं है... हिंद युग्म की टीम लेखकों और पाठकों को जानती है और बहुत अच्छा अनुभव है उनके पास, उनको जो अच्छा लगे वह करे - सुरिन्दर रत्ती

महेश कुमार वर्मा : Mahesh Kumar Verma का कहना है कि -

महाशय जी,

मेरे विचार से खाश विषय व खाश विधा दोनों को हटाकर स्वतंत्र कविता का आयोजन करें.

आपका
महेश
http://popularindia.blogspot.com

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

मै विषय - विशेष पर सहमत हूँ |

-- अवनीश

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