१४ सितम्बर २००८ को हिन्द-युग्म आयोजित करेगा ६ घण्टे की एक ऑनलाइन परिचर्चा
सितम्बर की १४वीं तारीख हिन्दी दिवस के रूप में मनाई जाती है। सरकारी दफ़्तर इस दिन कोई कवि-सम्मेलन, साहित्य-सम्मेलन कराकर साल भर की भाषिक जिम्मेदारियों को पूरा करते हैं। लेकिन हिन्द-युग्म के कार्यकर्ता तो साल भर नहीं थकते। सोते-जगते, उठते-बैठते भाषा-कल्याण का सपना देखते हैं।
ऐसा ही एक सपना और देखा है हमने। रविवार १४ सितम्बर २००८ की सुबह १० बजे से शाम ४ बजे तक (भारतीय समयानुसार) ऑनलाइन परिचर्चा करने का। एक संगोष्ठी करना चाहते हैं कि हिन्दी की वर्तमान हालत क्या है? इसका भविष्य क्या है। पूरी दुनिया देशी भाषाओं के लगातार मरने से अपनी संस्कृति, अपनी ऐतेहासिक स्मृति को खो रही हैं। भारत की हिन्दी लोक-संस्कृतियाँ, लोक-कलाएँ क्या हिन्दी के पतन के बाद बची रहेंगी? यदि नहीं, तो भाषा को जिंदा रखना कितना आवश्यक है? और बचाये रखने के लिए हिन्दी भाषियों ने क्या-क्या प्रबंध किये हैं। हिन्दी-भाषी भाषायी संकट की आपदा के प्रबंधन का हुनर रखते हैं? बहुत से ऐसे मुद्दे हैं, जिनपर हर-एक को चर्चा करने की आवश्यकता है।
अब कोई भी भाषा लोकल नहीं रही है, सूचना क्रांति ने हर चीज़ को वैश्विक किया है। बहुत से हिन्दी भाषी भी दुनिया के अलग-अलग कोनों में बैठे हैं। इसलिए हम यह चर्चा ऑनलाइन और जीवंत करना चाहते हैं। तो तैयार हो जाइए इस परिचर्चा के लिए।
आपको करना बस इतना है कि नीचे का फॉर्म भरकर हमें भेज देना है।
यह चर्चा स्काइपी (Skype) पर होगी, जिसकी अध्यक्षता करेंगे हाल में ही पं॰ लखमी चंद पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार डॉ॰ श्याम सखा 'श्याम'। यदि आपको स्काइपी का इस्तेमाल करना नहीं आता, तो यहाँ देखें, पूरा ट्यूटोरियल उपलब्ध है।
ऐसे चर्चाकार जो किन्हीं कारणों से इस परिचर्चा में भाग नहीं ले सकेंगे, वे कृपया अपनी बातें, अपनी चिंताएँ, अपने सुझाव हमें रिकॉर्ड करके hindyugm@gmail.com पर बुधवार १० सितम्बर २००८ तक भेज दें। हम उनकी रिकॉर्डिंग को परिचर्चा में चलायेंगे और उपस्थित विद्वानों की उसपर राय जानेंगे।
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8 कविताप्रेमियों का कहना है :
एक प्रयास जिस पर स्वर्णिम इतिहास लिखा जाएगा
बहुत अच्छा प्रयास.
all the best
आपके इस शुभ प्रयास के साथ हमारी शुभकामनाएँ है... अंर्तजाल पर हिन्दी भाषा को रोचक बनाने के आपके सभी तरह के प्रयास सराहनीय हैं..
ऐसी ऑनलाईन संगोष्ठियां वर्ष भर चलती रहनी चाहियें। आपका यह कार्य सफलतापूर्वक फलीभूत हो।
ऐसी ऑनलाईन संगोष्ठियां वर्ष भर चलती रहनी चाहियें। आपका यह कार्य सफलतापूर्वक फलीभूत हो।
मैंने फार्म भरकर भेजा है
मिला है या नहीं
न तो पता चला है
न ही किसी ने बतलाया है।
इंतजार है
शायद कोई मेल ही आ जाए।
डा.रमा द्विवेदी said...
हिन्द-युग्म हिन्दी दिवस पर चर्चा रखकर बहुत ही सार्थक प्रयास कर रहा है।आशा है हम सब इससे लाभान्वित होंगे । हिन्द युग्म को कार्यक्रम की सफलता के लिए अग्रिम बधाई व शुभकामनाएं।
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