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Friday, August 29, 2008

कविता वैसी कुछ खास चीज नहीं है ( एक नेपाली कविता )


रमेश श्रेष्ठ की नेपाली कविता 'कविता-उत्सव'
हिन्द-युग्म के अनुवादक (नेपाली से हिन्दी) कुमुद अधिकारी की व्यस्तता के कारण हम पिछले कई माहों से कोई नेपाली कविता नहीं प्रस्तुत कर सके। इंतज़ार काफी लम्बा हो गया था, लेकिन आज कुमुद अधिकारी एक नेपाली कविता 'कविता उत्सव' लेकर प्रस्तुत हैं जिसके रचनाकार है रमेश श्रेष्ठ।

रमेश श्रेष्ठः एक परिचय

पोखरा में रहने वाले 1967 में जनमें कवि एवं कलाकार श्री रमेश श्रेष्ठ दस साहित्यिक संस्थाओं से संबद्ध हैं और राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण कोष, पोखरा में कार्यरत हैं।
प्रकाशित कृतियाँ-
  • 1. नपोतिएका रङहरू(गीत)

  • 2. चराहरूको पहाड(कविता संग्रह)

  • 3. आमा नदीहरू(कविता संग्रह)

  • 4. बुद्ध बिम्ब अक्षर बिम्ब(कविता संग्रह)

  • 5. In the name of Buddha(Poems)

  • 6. घाँस उखेलीरहेकी केटी(काव्य)

  • 7. रोदी रोएको देशमा(काव्य)

  • 8. कविता र साँझ(भी.सी.डी.)

  • 9. अक्षरको खेत(काव्य)

  • 10. एक खण्डकाव्य और कविता संग्रह शीघ्र प्रकाश्य।

पुरस्कार सम्मानः
राष्ट्रीय प्रतिभा पुरस्कार, युवावर्ष मोती पुरस्कार के साथ अन्य बारह पुरस्कार एवं सम्मान।

कविता उत्सव
 रमेश श्रेष्ठ

अन्य नेपाली कविताएँ
  1. पहली नेपाली कविता:पुरखों के प्रति...

  2. दूसरी नेपाली कविता:जीवनवृत्त

  3. तीसरी नेपाली कविता:पेड़

  4. कुछ पल एक नेपाली कविता के संग

  5. दो नेपाली कवितायें
जवाँ उजाले के सामने
कविता वैसी कुछ बड़ी
चीज नहीं है
आज
तुम्हारे नाम पर तारे गिर गए
तारों के गर्म आँसू
न आकाश देख पाया
न धरती देख पायी
आज बहककर ही तारे
तुम्हारे नाम पर गिरे

यादों में किसी दिन
सागर में बड़ी सुनामी आई
बहुत सी बस्तियाँ, गुंबद, निर्माण और लोगों को बहा ले गई
लोगों के बनाए प्रेम-स्मारक
प्रेम घोलकर पी जा रही कॉफी व कॉफी-शॉप
दिल में तान बजाते वॉयलिन
और एक बार की जिंदगी में गुजारे हुए प्रेम के पल
ऐसे बह गए जैसे सपने बहते हैं
वह प्रेम, वॉयलिन का दिल और धुन
कोई नहीं देख पाया, नहीं सुन पाया
देखा और सुना तो सिर्फ़ कवि ने
और छाती से लगाकर लिखा
धरती की सुनामी, सागर और प्रेम के साथ
किताबों के अक्षर के साथ जागकर चेतना में घूमती रही
कविता वैसी कुछ बड़ी
चीज नहीं है।

याद करने लायक कोई दिन
सड़कों पर पैरों और आवाजों की कैटरीना आई
मूछें, कुर्सियाँ, गाड़ियाँ और शासन की जड़ें
बहा ले गई
मानव निर्मित असमानताएँ
नींद और तंद्रा की कुरूपता में चौंक गईं
बिन आँखोंवाली गोली भीड़ में आई
और भीड़ के आँसू बहा ले गई
कई लाशें गिरीं
उन्हीं लाशों के गंध से मस्तिष्क के किसी किनारे पर
स्वतंत्रता का आभास हुआ
एकबार की जिंदगी में उनके नाम
फिर चाँद हो गए
मीठे भाषण हुए, बदली मूछें, बदली कुर्सियाँ, बदला शासन
शहीदों का संरक्षण हुआ,
शहीद नाम के उनके चाँद में
सड़क पर फैले खून के साथ गिरते सिंदूर के आँसू
और बच्चों की भूख के दाग
कोई नहीं देख पाया
देखा तो सिर्फ कवि ने
और खुद से बदलकर लिखा
फिर कवि उनका एक नंबर का दुश्मन हो गया
कविता वैसी बड़ी चीज नहीं है

जीवन के जुलूस में
तारे गिर गए तुम्हारे नाम
उन तारों के गर्म आँसू
न आकाश ने देखा
न धरती ने
उन तारों में जीवन के दुःख और
प्रेम की गहराइयाँ चमक रही थीं
पर देखा नहीं किसी ने
देखा तो सिर्फ कवि ने
और लिखी कविता
जवाँ उजाले के सामने
कविता वैसी कुछ खास
चीज नहीं है।

नेपाली से अनुवादः कुमुद अधिकारी

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5 कविताप्रेमियों का कहना है :

Avanish Gautam का कहना है कि -

कुमुद भाई दिल से आभारी हूँ आपका.आपके सौजन्य से नेपाली कविता से रूबरू होने का मौका मिलता रहता है. बढिया कविता लिखी जा रही है वहाँ. अच्छी कविताएँ हमेशा यह शिनाख्त करती है कि हमारा समय कविता समय नहीं हैं फिर भी अजीब हिम्मत के साथ कविता आ रही है... वैसे सच यह भी है इस दुनियाँ मे कभी भी कविता का समय नहीं रहा...ना ही किसी सही कवि का. फिर भी कुछ जिद्दी सिरफिरे लिखते रहते हैं

BRAHMA NATH TRIPATHI का कहना है कि -

बड़ा ही अच्छा काम हिंद युग्म द्वारा
काफ़ी अच्छी तरीके से अनुबाद किया है पढ़कर अच्छा लगा
बधाई

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

व्यक्तिगत तौर पर मैं कुमुद जी का फैन हूँ। हिन्द-युग्म के संग्रहालय में अब तक मात्र ६ कविताएँ ही दी है आपने मगर सब की सब बहुमूल्य निधि है हमारी।

आप कविता को परखना जानते हैं। यह कविता भी मुझे बहुत पसंद आई। नये हिन्दी कवियों को भी इस कवियों से कुछ सीखना चाहिए।

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

कभी-कभी हिन्द-युग्म पूनम की चाँद सा चमकने लगता है
आज भी वैसा ही लगा
जब पढ़ी
श्री रमेश श्रेष्ठ की कविता
कविता उत्सव।

कवि ने क्रांति की चकाचौंध से ढंके दर्द को बखूबी उकेरा है।

कुमुद अधिकारी जी का आभारी हूँ कि उनकी पारखी नज़र ने हिन्द-युग्म को एक नायाब तोहफा भेंट दिया।
अन्त में कुमुद जी से व नियंत्रक महोदय से पुनः गुजारिश करना चाहता हूँ
कि अनुदित कविता के साथ मूल नेपाली कविता भी प्रकाशित करने का कष्ट करें
क्योंकि बहुत से हिन्दी प्रेमी ऐसे हैं जो नेपाली भी भलीभांती समझ सकते हैं।
जैसे---कविता धेरै राम्रो छ।----कविता बहुत अच्छी है।
---देवेन्द्र पाण्डेय।

दीपाली का कहना है कि -

कुमुद जी बहुत-बहुत धन्यवाद.मैंने तो पहली बार किसी नेपाली कविता का अनुवाद पढ़ा है.और यह मुजे बहुत पसंद आया.

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