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Friday, August 22, 2008

चीखते हो चीख लो तुम, हुक्मरान बहरा है


विवेक रंजन श्रीवास्तव 'विनम्र' पिछले ९ महीनों से हिन्द-युग्म से जुड़े हैं। हमारे हर आयोजन में हिस्सा लेते हैं। आज हम उन्हीं की एक ग़ज़लनुमा कविता लेकर उपस्थित हैं, जिसने जुलाई माह की यूनिकवि प्रतियोगिता में १५वाँ स्थान बनाया। विवेक म॰ प्र॰ विद्युत विभाग में अतिरिक्त अधीक्षण इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं और कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य आदि पर कलम चलाने का शौक रखते हैं। वर्तमान में रामपुर (जबलपुर) में निवास रहे हैं।

कविता- चेहरों पर चेहरा है .......

रोशनी घर में भी, आज क्यों अंधेरा है?
साजिशें ये किसकी हैं? कोई राज गहरा है

चीखते हो चीख लो तुम, हुक्मरान बहरा है
सच सुनेगा कौन अब यहाँ, मतलबी ये डेरा है

सच को सच कह रहा हूँ मैं, ये गुनाह मेरा है
इंसाफ के इर्द-गिर्द, पेशियों हैं, कठघरों का घेरा है

भोर के सहर में भी, धुंध और कोहरा है
गर्द और धुएं में गुम शबनमी सबेरा है

दिलकी कह सकेंगे नहीं, दिल में अक्स तेरा है
महफिलों में दोस्तों की, दुश्मनों का पहरा है

दुनियां को चलाने वाला, इक कुशल चितेरा है
शह औ मात उसके हाथ, तू बस एक मोहरा है

फिर उठीं दीवारें हैं, लाइनों से नक्शों पर
फाँक-फाँक मत करो इसे, घर तो यह मेरा है

जंगलों से शेर गुम हैं, डाकुओं का डेरा है
सब मिली भगत है यह, चेहरों पर चेहरा है



प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ५, ३, ५, ६॰१, ६॰५
औसत अंक- ५॰१२
स्थान- अठारहवाँ


द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ५, ४, ५॰१२(पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ४॰७०६
स्थान- पंद्रहवाँ

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11 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

achchha vyang hai sachchi kavita
dadhai
saader
rachana

Anonymous का कहना है कि -

achhi kavita.
ALOK SINGH "SAHIL"

वीनस केसरी का कहना है कि -

भाव बहुत अच्छे है.............
गजलनुमा रचना है यदि गजल होती तो बहुत बेहतरीन गजल होती......

वीनस केसरी

Unknown का कहना है कि -

वैसे तो गजल मे एक ही मतला होता है लेकिन बाज शायर अपनी गजलो मे एक से ज्यादा मतले रखते है
आपकी गजल नुमा कविता अच्छी लगी
अपने इसमे 'रा' काफिया और 'है' रदीफ लिया है
और यहा पर सारे ही शे'र मतले है

दुनियां को चलाने वाला, इक कुशल चितेरा है
शह औ मात उसके हाथ, तू बस एक मोहरा है

चितेरा शब्द का अर्थ क्या होता है?

Unknown का कहना है कि -

सुमित भारद्वाज।

Unknown का कहना है कि -

क्षमा चाहता हूँ ७(7) वा शे'र मतला नही है बाकि शे'र मतले है

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

दुनियां को चलाने वाला, इक कुशल चितेरा है
शह औ मात उसके हाथ, तू बस एक मोहरा है


--- सब युगल पंक्तियाँ बहुत सार्थक बनी है | पढ़ने में मजा आया |


अवनीश तिवारी

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

दुनियां को चलाने वाला, इक कुशल चितेरा है
शह औ मात उसके हाथ, तू बस एक मोहरा है


--- सब युगल पंक्तियाँ बहुत सार्थक बनी है | पढ़ने में मजा आया |


अवनीश तिवारी

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

चीखते हो चीख लो तुम, हुक्मरान बहरा है
सच सुनेगा कौन अब यहाँ, मतलबी ये डेरा है

अच्छा लिखा है विवेक जी..
बधाई..

दीपाली का कहना है कि -

प्रभावशाली कविता है.सभी पंक्तिया भावनात्मक प्रभाव प्रस्तुत करती है.
विवेक जी बहुत-बहुत बधाई

Pritishi का कहना है कि -

हर शे'र को मतले-सा बनाना हरदम आसान नहीं होता | मेरे ख़याल से ऐसे मतले हो हुस्ने-मतला कहते हैं | और ये कसब कवि के शब्दों के खजाने दर्शाता है | बहुत खूब - बधाई

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