क्या होगा
कोई मनुष्य ऐसा
जिसने
न उठाया हो लुत्फ
बादलों की लुकमींचणी का
क्या होगा
कोई मनुष्य ऐसा
जिसने
न देखा हो उल्काओं को
किशोरियों की तरह कूदते-फाँदते
क्या होगा
कोई मनुष्य ऐसा
जिस के पाँव
न जले हों जेठ की धूप में
क्या होगा
कोई मनुष्य ऐसा
जो न नहाया हो
भादों की बरसात में
क्या होगा
कोई मनुष्य ऐसा
जिस की हड्डियाँ
न ठिठुरी हों पूष मास में
अगर होगा
कोई मनुष्य ऐसा
तो अवश्य ही
रहता होगा
वह किसी
साठ सत्तर मन्जिले कठघरे में
किसी महानगर
कहलाते चिडिय़ा घर में।
--यूनिकवि श्याम सखा 'श्याम'
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
16 कविताप्रेमियों का कहना है :
अगर होगा
कोई मनुष्य ऐसा
तो अवश्य ही
रहता होगा
वह किसी
साठ सत्तर मन्जिले कठघरे में
किसी महानगर
कहलाते चिडिय़ा घर में।
bahut khoob...sachmuch mahanagaron mein rahne wale jeevan ke in lutfon se vanchit hi rah jate hain.
bahut k
बहुत बढिया रचना है।
अगर होगा
कोई मनुष्य ऐसा
तो अवश्य ही
रहता होगा
वह किसी
साठ सत्तर मन्जिले कठघरे में
किसी महानगर
कहलाते चिडिय़ा घर में।
अगर होगा
कोई मनुष्य ऐसा
तो अवश्य ही
रहता होगा
वह किसी
साठ सत्तर मन्जिले कठघरे में
किसी महानगर
कहलाते चिडिय़ा घर में।
क्या बात कही है श्याम जी बधाई! हम भी कुछ चिडियाघर की यात्रा पर ही हैं.
बेहतरीन श्याम जी,
वैसे भी आपकी कविता से मेरा बेजोड़ इत्तफाक है,क्योंकि इस वक्त मैं भी दिल्ली महानगर में आशियाने की तलाश में भटक रहा हूँ.
आलोक सिंह "साहिल"
yay kavita mujay bahut achi lagi
अंत दमदार है। व्यंग्य की धार है। हिन्द-युग्म को आपके रूप में एक प्रतिभावान कवि मिला है। स्वागत है आपका
अच्छी कविता है. मगर इसका अभिप्राय समझ नहीं आया. क्या आप कहना चाहते हैं कि महानगरीय फ्लेट्स में रहने वाले लोग आमजन की तरह जीवन नहीं जी सकते हैं? जीवन का उल्लास हमारे अन्दर बहता है और हमारा घर या मौसम उसे प्रभावित ज़रूर करते हैं परन्तु अंततः यह "अन्दर की बात है."
पाठकों के लाभार्थ कृपया "लुकमींचणी" का अर्थ भी बता दीजिये - किस बोली का शब्द है यह?
प्रिय मित्रो.आप सब को धन्य्वाद।कविता कहने लिखने का अभिप्राय ही अपने मन की बात कहना है।और जब पाठक या श्रोता किसी रचना को पसन्द करता है,कहता है कि यह उसे अच्छी लगी तो वह खुद से व कवि से संवाद कर रहा होता है और वे पंक्तिया मात्र कवि की अभिव्यक्ति न रह कर सब की अप्नी-अपनी अभिव्यक्ति होती है।और ये क्षण कवि के जीवन के अनुपम क्षण होते हैं।पाठको श्रोताओं से साझेदारी के अप्रित्म पल।मैं सचमुच आप स्भी का ह्रदय से आभारी हूं।
भाई smart indian ji
आपके पहले शब्द हैं कविता अच्छी है.तो भाई कविता महसूसने की वस्तु है.आपने महसूस कर लिया बस समझने में दिमाग प्रयोग करना पड़ता है।महसूसने में दिल- कविता दिल की बात है।अच्छा हो की दिमाग को आराम ही करने दें-लुकमीचणा-आँख मिचौनी है राजस्थानी,हरियाणवी व पन्जाबी में।
smart indian sahib
aapane khud hi to kah diya sab kuch yaane
ander ki baat hai.
shyam ji achhi kavita par badhayee
अर्थ समझाने के लिए धन्यवाद. बड़ों की सलाह सर माथे - आगे से आपकी कविता पढ़ते समय दिमाग बंद ही रहूँगा.
कोई मनुष्य ऐसा
तो अवश्य ही
रहता होगा
वह किसी
साठ सत्तर मन्जिले कठघरे में
किसी महानगर
कहलाते चिडिय़ा घर में।
kya baat hai.. chidiya ghar.. bahut badhiya naam diya hai maha nagar ka aapne... लुकमींचणी ka matlab to main bhi poochna chaahta tha.. :-)
Thoda dimaag se bhi kaam lein to achha rehta hai.... socha aur samjha bhi jaaye kisi baat ko to theek rehta hai.. nahin?
अच्छी कविता है
वाह श्याम जी बहुत अच्छी अभिव्यक्ति कायल हो गया हूँ आपका
एक एक लाइन के लिए इतना कह सकता हूँ
वाह बहुत सुंदर
आपके रूप में एक प्रतिभावान कवि मिला है। स्वागत है आपका
वक्रोक्ति का सुंदर उपयोग व्यंग्य को और प्रभावशाली बना रहा है !!
new york knicks jersey sub
philadelphia eagles jerseys blog
omega watches weekly
michael kors outlet your
mont blanc pens your
eagles jerseys could
new orleans saints jerseys and
ray ban sunglasses these
miami heat on
nike blazer pas cher So,
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)