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Friday, July 04, 2008

कम्प्यूटर कविता लिखेंगे


एक युग था
कवि
कविता क्या लिखता था !
भावों को व्यक्त करता था
संवेदनशील मन से
पीड़ा को मथता
तब गंगोत्री से
कविता की धारा बहती
भावनाओं का संचार
फलीभूत होता था

अब गये
पतवार चलाने के दिन
चरखा कातते थे गांधी बाबा
गये चरखे के दिन
अब अन्धाधुन्ध कारखानो से
निकलती कपड़ों की थान
देखो कम्प्यूटर पर
दर्जन कविता की शान

अब कवि लिखेंगे सोफ्टवेयर
सोफ्टवेयर लिखेगा कविता
धड़ाधड़ ले लो
कविता-सविता
भावों और शब्दों की खिचड़ी बना कर
खायेंगे चटखारे लेकर
हिंसक और
विभत्स
आई सी चिप्स से निकलते रस
उल्टी करते रस ;
फड़फड़ा उठेगें
राइम और रिथम
शब्दों को बिलोते औजार
नोचेंगे शैली का जिस्म
अब कवि की क्या बिसात !
कम्प्यूटर कविता लिखेंगे
लेपटोप तालियां बजायेंगे ।

-हरिहर झा

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17 कविताप्रेमियों का कहना है :

manzarnama का कहना है कि -
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manzarnama का कहना है कि -

आज जिस तरह साहित्य का बाजारीकरण हो रहा है, वोह दिन दूर नहीं की कंप्यूटर कविता लिखेंगे .
आज कल कविता के गिरते हुए स्तर को देख के लगता है, की कंप्यूटर शायद अच्छी कविता ही लिख देन

SURINDER RATTI का कहना है कि -

हरिहर जी, बहुत सुंदर कविता
अब कवि लिखेंगे सोफ्टवेयर
सोफ्टवेयर लिखेगा कविता
धड़ाधड़ ले लो
कविता-सविता
भावों और शब्दों की खिचड़ी बना कर
खायेंगे चटखारे लेकर...

आई सी चिप्स से निकलते रस
उल्टी करते रस ;
फड़फड़ा उठेगें
राइम और रिथम
शब्दों को बिलोते औजार
नोचेंगे शैली का जिस्म
अब कवि की क्या बिसात !
सुरिंदर रत्ती

BRAHMA NATH TRIPATHI का कहना है कि -

बहुत ही अच्छी कविता आजकल कविता का जैसा बाजारीकरण हो रहा है
और जैसा कविता का अपमान हो रहा है उसके लिए एक करारा व्यंग
बहुत ही अच्छा

करण समस्तीपुरी का कहना है कि -

एक विचारोत्तेजक प्रस्तुति !!!

Unknown का कहना है कि -

हरिहर जी
मै आपकी बात से सहमत नही हूँ , मुझे इस कविता मे ऐसा लगा कि आपने अन्य कवियो पर व्यंगय किया है।
ये जरूरी नही कि हर इंसान अच्छी कविता लिखे पर वो उस कविता के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करना चाहता है।
मै हिन्दयुग्म के माध्यम से आपको जानता हूँ मुझे पता है आप और कवियो पर व्यंगय नही करते पर कविता पढने पर कुछ व्यंगय जैसा ही लगा।

Unknown का कहना है कि -

हो सकता है मै कविता के भाव समझ नही पाया पर मुझे जो लगा मैने कह दिया।
सुमित भारद्वाज

Alok Shankar का कहना है कि -

हरिहर जी
कवि किस बात पर नाखुश है ? वैज्ञानिक प्रगति पर , कविता लिखने - पढ़ने के मध्यम बदलने पर , या फ़िर कंप्यूटर की बौद्धिक क्षमता बढ़ जाने पर . इनमे से किसी से भी कविता को क्या हानि पहुँची , जिसे लेकर कवि नाराज है ? मुझे कविता अच्छी नही लगी . इसे लेकर एक बार फ़िर बैठें

सीमा सचदेव का कहना है कि -

इसमे कविता जैसी कोई बात नही लगी |

Smart Indian का कहना है कि -

आज के कम्प्यूटर प्रधान समय पर अच्छा व्यंग्य है. हमारे विचारों में असहमति हो सकती है परन्तु आपकी कविता बेशक बहुत अच्छी और खूबसूरत है.

बधाई हो!

Anonymous का कहना है कि -

"फड़फड़ा उठेगें
राइम और रिथम
शब्दों को बिलोते औजार
नोचेंगे शैली का जिस्म
अब कवि की क्या बिसात !
कम्प्यूटर कविता लिखेंगे
लेपटोप तालियां बजायेंगे ।"

बहुत बढिया, हरिहरजी !

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

विषय कुछ नया है | आपके कहने में कुछ ऐसा है जो इतने सारे सवाल उठ रहे है | कुछ और रोचक होता तो मजा आता | सुधरा तो जा सकता है |


-- अवनीश तिवारी

अभिनव झा का कहना है कि -

अब गये
पतवार चलाने के दिन
चरखा कातते थे गांधी बाबा
गये चरखे के दिन
अब अन्धाधुन्ध कारखानो से
निकलती कपड़ों की थान
देखो कम्प्यूटर पर
दर्जन कविता की शान
Behtarin
Subhkamanao ke sath
Abhinav Jha

अभिनव झा का कहना है कि -

अब गये
पतवार चलाने के दिन
चरखा कातते थे गांधी बाबा
गये चरखे के दिन
अब अन्धाधुन्ध कारखानो से
निकलती कपड़ों की थान
देखो कम्प्यूटर पर
दर्जन कविता की शान
behtarin
Subhkamnao ke sath
Abhinav Jha

अभिनव झा का कहना है कि -

अब गये
पतवार चलाने के दिन
चरखा कातते थे गांधी बाबा
गये चरखे के दिन
अब अन्धाधुन्ध कारखानो से
निकलती कपड़ों की थान
देखो कम्प्यूटर पर
दर्जन कविता की शान
behtarin
Subhkamnao ke sath
Abhinav Jha

Avanish Gautam का कहना है कि -

...हरिहर जी बहुत सारी कविता ऐसी ही लिखी जा रही है. यहाँ से कुछ वहाँ से कुछ, लो हो गई कविता तैयार. खैर यह कुछ लोग पहले भी करते थे. पत्रिकाओं में तो अलबत्ता सम्पादक होता था और है. वहाँ ऐसी कविताएँ छट जाया करती थीं, हैं. लेकिन यहाँ ब्लोगिंग में थोडी मुश्किल ज़रूर है. पर अब भविष्य भी इसी का है. उम्मीद ही कर सकते हैं कि समय सम्वेदनशील और मौलिक रहेगा.

vivek "Ulloo"Pandey का कहना है कि -

bahut hi badhiya likha hai aapne aaj ke youg per ek achi kavita hai ye

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