खौलते पानी से हाथ जला लिया उसने
पानी से आग बुझती है
किसी से सुना होगा
भागते भागते गिर कर मर गया कोई
जिन्दगी मौत से बदतर है
उसी से भाग रहा था
टूटे नग कौन गहनों में बिठाता है
अब कोई ख्वाब नहीं
आंखें सूनी हैं
रिश्तों के पुल आंसुओं से न बह जायें
यही सोच कर
अब वह रोता नहीं
बात बनते बनते फ़िर से बिगड ही गई
लफ़्ज जुबां से न निकले
रिश्ता टूट गया
उसने साथ जीने मरने की कसम खाई
मगर निभाई नहीं
शायद पचा ली
उसको स्कूल या पढना कभी भाया नहीं
रात भर तारे गिने
मुहब्बत का असर
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8 कविताप्रेमियों का कहना है :
उसको स्कूल या पढना कभी भाया नहीं
रात भर तारे गिने
मुहब्बत का असर
wah bahut hi badhiya
बहुत सुंदर,मन को भाया
आलोक सिंह "साहिल"
टूटे नग कौन गहनों में बिठाता है
अब कोई ख्वाब नहीं
आंखें सूनी हैं
बहुत खूब ...
रिश्तों के पुल आंसुओं से न बह जायें
यही सोच कर
अब वह रोता नहीं
बहुत अच्छी लिखी है आपने मोहिंदर जी ..
यदि कहूँ कि - "आप की रचना मे और मूल्य आ गया है टू अतिशयोक्ति नही होगी " |
आपने अपने को ढालने का सफल प्रयास किया है |
बधाई
अवनीश
नया प्रयोग अच्छा लगा....बधाई
क्षणिकाये रूपी मणिकायें अच्छी बनी है..
रिश्तों के पुल आंसुओं से न बह जायें
यही सोच कर
अब वह रोता नहीं
बहुत ही सटीक
मोहिंदर जी,
दुखती रग पे हाथ रख दिया हो जैसे ,
उसने साथ जीने मरने की कसम खाई
मगर निभाई नहीं
शायद पचा ली
बहुत अच्छा लिखा है , शुभकामनाएं.
^^पूजा अनिल
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