आओ खुशी बिखराएँ छाया जहां गम है ।
आओ दीप जलाएँ गहराया जहाँ तम है ॥
एक किरण भी ज्योति की
आशा जगाती मन में;
एक हाथ भी कांधे पर
पुलक जगाती तन में;
आओ तान छेड़ें, खोया जहाँ सरगम है।
आओ दीप जलाएँ गहराया जहाँ तम है ॥
एक मुस्कान भी निश्छल
जीवन को देती संबल;
प्रभु पाने की चाहत
निर्बल में भर देती बल;
आओ हंसी बसाएँ, हुई आँखे जहां नम हैं।
आओ दीप जलाएँ गहराया जहाँ तम है ॥
स्नेह मिले जो अपनो का
जीवन बन जाता गीत;
प्यार से मीठी बोली
दुश्मन को बना दे मीत;
निर्भय करें जीवन जहाँ मनु गया सहम है।
आओ दीप जलाएँ गहराया जहाँ तम है ॥
कवि कुलवंत सिंह
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9 कविताप्रेमियों का कहना है :
निर्भय करें जीवन जहाँ मनु गया सहम है।
आओ दीप जलाएँ गहराया जहाँ तम है ॥
kya kahun lajawab bahut hi sundar badhai
अच्छी लगी कुलवंत जी,थोडा और दम चाहिए था.
आलोक सिंह "साहिल"
ह्म्म्म अच्छी रचना है पर थोडा कमतर प्रतीत हो रही है..आपकी अन्य रचनाओं के मद्देनज़र
स्नेह मिले जो अपनो का
जीवन बन जाता गीत;
प्यार से मीठी बोली
दुश्मन को बना दे मीत;
दुश्मन को मीत बनाने का अच्छा मन्त्र दिया है, किन्तु आज हम किसी भी स्तर पर इसका प्रयोग नही कर पा रहै अन्यथा हमारे अपने ही देश की सम्पतियों व सन्सक्रिति को नुकशाउ नहीं पहुंचा रहे होते. कविता के द्वारा परिवर्तन का आह्वान उत्त्म है.
एक मुस्कान भी निश्छल
जीवन को देती संबल;
सुंदर
कवि कुलवंत जी,
अच्छी आशावादी रचना है , विद्यालय के उत्सवों में गाई जा सकती है . शुभकामनाएं
^^पूजा अनिल
My heartiest thanks to all of you dear friends!
"tamso ma jyotir gamay" ko itne suddhhi ke sath prastut kia hai. yar kahen ki jaroorat nhi hai ki tusi to chha gye...........un hi lage raho hindi world ki fvrt language bne bina rh nhaisakti.
" aao hindi failaen aao hindi viksaen.".....
कवि कुलवंत जी की एक निश्छल रचना पढ़ कर अच्छा लगा. atomic research करते हुए भी कवि बनना एक उपलब्धि है.
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