कितना जोश, पाकीजगी है आज आशियाने में
कहां से सीखा ऐसे रिश्तों को पिरोना तुमने
मेरी आंखों की चमक पर क्यों तुम हैरान हो
कर दिया पूरा मेरा हर ख्वाब सलौना तुमने
मुद्दतों बाद आज मुझको फ़िर सूकूं की नींद आई
अपने फ़ूल से हाथों से बिछाया था बिछौना तुमने
अब तो बस खेल खेल में यूंही उमर गुजर जायेगी
मुझको दे दिया एक हंसी नायाब खिलौना तुमने
अब तलक मेरा सिर्फ़ अंधेरों से ताल्लुक रहा
कर दिया रोशन मेरे घर का कोना-कोना तुमने
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12 कविताप्रेमियों का कहना है :
मोहिंदर जी बहुत खूब ...
अब तलक मेरा सिर्फ़ अंधेरों से रहा ताल्लुक
कर दिया रोशन मेरे घर का कोना-कोना तुमने
सुरिन्दर रत्ती
कहां से सीखा ऐसे रिश्तों को पिरोना तुमने
अब तलक मेरा सिर्फ़ अंधेरों से ताल्लुक रहा
कर दिया रोशन मेरे घर का कोना-कोना तुमने
चुनिन्दा मोती हैं, सभी नायाब..
***राजीव रंजन प्रसाद
खुशियाँ समेटे हुए सुंदर रचना ...
अब तलक मेरा सिर्फ़ अंधेरों से ताल्लुक रहा
कर दिया रोशन मेरे घर का कोना-कोना तुमने
सुंदर रचना लिखी है आपने ..भाव बहुत अच्छे हैं इसके ..
बहुत खूब मज़ा आ गया पढ़ के ....
दिव्य प्रकाश
मोहिंदर जी
बहुत दिनों बाद आपकी ग़ज़ल पढी-
अब तो बस खेल खेल में यूंही उमर गुजर जायेगी
मुझको दे दिया एक हंसी नायाब खिलौना तुमने
अच्छी लगी. बधाई स्वीकारें.
वाह मोहिंदर जी..
बहुत ही उम्दा सभी के सभी शेर.
आलोक सिंह "साहिल"a
गजल बड़ी सुन्दर है मोहिंदर जी
मेरी आंखों की चमक पर क्यों तुम हैरान हो
कर दिया पूरा मेरा हर ख्वाब सलौना तुमने
मुद्दतों बाद आज मुझको फ़िर सूकूं की नींद आई
अपने फ़ूल से हाथों से बिछाया था बिछौना तुमने
मोहिंदर जी ,
बहुत अच्छा लिखा है ,
अब तलक मेरा सिर्फ़ अंधेरों से ताल्लुक रहा
कर दिया रोशन मेरे घर का कोना-कोना तुमने
सभी शेर अच्छे लगे ,
ऐसे ही आपका घर हमेशा रोशन रहे ,शुभकामनाएं
^^पूजा अनिल
yesss !!! यह बहुत सही बना है |
अवनीश
अब तलक मेरा सिर्फ़ अंधेरों से ताल्लुक रहा
कर दिया रोशन मेरे घर का कोना-कोना तुमने
बहुत अच्छे
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