अक्षय शर्मा हिन्द-युग्म के लिए नये हैं और पहली ही बार में टॉप २० में आये हैं। आज हम इन्हीं की कविता प्रकाशित कर रहे हैं।
कविता- ज़िन्दगी
चार दिन की चाँदनी से उमर ये कटती नहीं है
और अंधियारे की गलियाँ चाहकर घटती नहीं हैं
दर्द है बस एक अपना जो मेरे इतने करीब
जैसे हाथों की लकीरें जो कभी हटती नहीं हैं
ऐ खुदा ! तेरी बनाई जिंदगी भी अजीब है
लोग मिट जाते हैं पर एक याद है मिटती नहीं है
हर किसी के पास है 'अक्षय' रोने का हुनर
और तेरी आंख से एक बूंद भी गिरती नहीं है
निर्णायकों की नज़र में-
प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक-६, ५॰९, ६॰२५
औसत अंक- ६॰०५
स्थान- सत्रहवाँ
द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक-४॰५, ६॰१, ५, ६॰०५ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ५॰४१२५
स्थान- उन्नीसवाँ
अंतिम जज की टिप्पणी-
औसत रचना है।
कला पक्ष: ४/१०
भाव पक्ष: ३/१०
कुल योग: ७/२०
स्थान- उन्नीसवाँ
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10 कविताप्रेमियों का कहना है :
दर्द है बस एक अपना जो मेरे इतने करीब
जैसे हाथों की लकीरें जो कभी हटती नहीं हैं
बहुत खूब अक्षयजी
ऐ खुदा ! तेरी बनाई जिंदगी भी अजीब है
लोग मिट जाते हैं पर एक याद है मिटती नहीं है
" वाह बहुत खूब, जिन्दगी का अच्छा बखान , अच्छी पंक्तियाँ , बधाई"
बहुत खूब बधाई
अक्षय, बहुत खूब ... हर किसी के पास है 'अक्षय' रोने का हुनर
और तेरी आंख से एक बूंद भी गिरती नहीं है - सुरिंदर रत्ती
दर्द है बस एक अपना ...... लकीरें जो कभी हटती नही
वाह ! अक्षय जी , बहुत सुंदर लिखा है.
वाह, सुन्दर पंक्तियाँ अक्षय जी...
बधाई
बहुत खूब अक्षय जी
दर्द है बस एक अपना जो मेरे इतने करीब
जैसे हाथों की लकीरें जो कभी हटती नहीं हैं
वाह मेरे भाई, क्या कविता लिखी है ... एन्नी मस्त कविता को पढ़ कर जिन्दगी की नई डेफिनेशन से आमना सामना हो गया ...
क्या लाइन हैं ... व्व्वाह्ह .......
चार दिन की चाँदनी से उमर ये कटती नहीं है
और अंधियारे की गलियाँ चाहकर घटती नहीं हैं
Fundoooo :)
यू आर ग्रे८ बास ....
मान गए, ... फोड़ दिया भई फोड़ दिया ....
अक्षय जी,
अभी बहुत कुछ लिखना है आपको। कलम चलाते रहिए।
अच्छी कोशिश है प्रयास जारी रखें बहुत दम है कलम कलम में
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