दोस्तों, यूं तो यह एक व्यक्तिगत कविता है, पर आप लोगों के साथ बाँट रहा हूँ, ताकि अपने इस फैसले पर मजबूती से खड़ा रह सकूं....
तलब से बेकल लबों पर,
मैं रखता था - सिगरेट,
और सुलगा लेता था चिंगारी,
खींचता था जब दम अंदर,
तो तिलमिला उठते थे फेफडे,
और फुंकता था कलेजा,
मगर जब धकेलता था बाहर,
निकोटिन का धुवाँ,
तो ढीली पड़ जाती थी,
जेहन की उलझी, कसी नसें, कुछ पल को,
धुवें के छल्ले जैसे,
कुछ दर्द भी बाँध ले जाते थे, साथ अपने,
हर कश के साथ मैं पीता था आग, और जला देता था,
जिंदगी के दूसरे सिरे से कुछ पल,
और निकाल लेता था अपना बदला - जिंदगी से,
एश ट्रे में मसलता था सिगरेट के "बट" को ऐसे,
जैसे किसी गम का सर कुचलता था,
अजीब सा सकून मिलता था .
मगर उस दिन जब...
एश ट्रे से उठते धुवें को
ध्यान से देख रही थी - गुड़िया मेरी,
उसकी हैरान आँखों में, घूम गया था समय जैसे -
...कॉलेज.... दफ्तर.... यार दोस्त...खोखे वाले...कॉफी होम...
...और उँगलियों के बीच दबी सिगरेट....
...भरी हुई एश ट्रे.... खांसता पिता...
...अस्पताल... ऑपरेशन थिएटर .... मैं ही तो हूँ अन्दर...
...और बिटिया बाहर... चिंतित .... परेशान...
मेरी गुड़िया.... कितनी मासूम और प्यारी है...
है ये भी तो एक सुख, जो जिम्मेदारी है,
जिंदगी....
इतनी बुरी भी नही है शायद ...
फैंक आया हूँ यही सोच कर अब -
भरी हुई एश ट्रे, डस्ट बिन में,
शुक्रिया सिगरेट, तेरह सालों के साथ का,
पर अब समय है विदा कहने का,
धुवें के लंबे कश अब और नही,
अलविदा.... सिगरेट ....अलविदा...
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19 कविताप्रेमियों का कहना है :
जिंदगी....
इतनी बुरी भी नही है शायद ...
फैंक आया हूँ यही सोच कर अब -
भरी हुई एश ट्रे, डस्ट बिन में,
शुक्रिया सिगरेट, तेरह सालों के साथ का,
पर अब समय है विदा कहने का,
धुवें के लंबे कश अब और नही,
अलविदा.... सिगरेट ....अलविदा...
" एक सच जिसे जानते तो सब हैं , पर फ़िर भी अपनाते नही, आपकी रचना ने जो सिगरेट का एक घीनोना रूप उजागर किया है, काश उसको सब समझ पाएं और उसका भी अंत ऐसा ही हो जो आपने कहा है, उपयोगी अच्छी रचना"
Regards
वाह सजीव जी बहुत खूब ...सबसे पहले बधाई इस बात की कि आपने सिगरेट छोड़ दी हैं ... :) सच को कहती यह रचना अच्छी लगी आपकी ..अब बाकी सिगरेट पीने वाले भी इस से सबक ले तो अच्छा है :)!!
एक भुक्तभोगी ही ऐसा दर्द बयां कर सकता था . आपने बहुत अच्छे तरीके से मन के विचार रखे है . पर क्या सचमुच आपने १३ साल बाद सिगरेट छोड़ दी. अगर ऐसा है तो बधाई हो आपको.
बडी ही ईमानदार रचना..
*** राजीव रंजन प्रसाद
काश सब आपकी तरह सोच पाते।
शुरुआत बेहद खूबसूरत है पढ़ते पढ़ते लगा की संदेश आप किसी दूसरे अंदाज मे देंगे .....पर फ़िर भी सिगरेट पर लिखी ये रचना अच्छी लगी........
पूर्वार्द्ध बहुत अच्छा है। संदेश देने हों तो थोड़ा घुमा फिरा कर दिए जाएं तो ज्यादा कारगर होते हैं।
सीधे नहीं कहना था कि सिगरेट फेंक दिया।
break up की बधाई :)
सच में ईमानदार रचना
सर्व प्रथम टू आपको सिगरेट छोड़ने पर बधाई और आप अपने इस फैसले पर अटल रहे ,यही शुभकामना है , काश सभी ऐसा सोचने लगे तो आधी बीमारियाँ तो वैसे ही ख़त्म हो जाएँ |आपकी कविता मी पोरी इमानदारी झलकती है ...सीमा
सजीव जी!
चलिए देर आये दुरूस्त आये।
पर.......
धुवें के छल्ले जैसे,
कुछ दर्द भी बाँध ले जाते थे, साथ अपने,
तो भईया जो सिगरेट आपका कुछ दर्द मिटा देने के लिए खुद मिट जाती थी,
वो क्या सोचेगी आपके बारे में............
खैर.....
दुआ करूंगा आप अपने फैसले पर मजबूत रहें और बाकी भाई लोग भी आपसे सीखें।
सजीव जी
क्या बात है. बधाई टू बिटिया को मिलनी चाहिए . -
इतनी बुरी भी नही है शायद ...
फैंक आया हूँ यही सोच कर अब -
भरी हुई एश ट्रे, डस्ट बिन में,
शुक्रिया सिगरेट, तेरह सालों के साथ का,
पर अब समय है विदा कहने का,
धुवें के लंबे कश अब और नही,
अलविदा.... सिगरेट ....अलविदा...
आशा है और मित्र भी सिगरेट को अलविदा कर देंगे . बधाई
kya khuboo likha hai.
बधाई अच्छी रचना और सिगरेट छोड़ने के लिए |
अवनीश तिवारी
आपकी इमानदारी के हम कायल हो गए,खैर,इस अछे गुण को छोड़ने के लिए बधाई. हा हा हा ..............
आलोक सिंह "साहिल"
संजीवजी
अपनी कमजोरी पर विजय प्राप्त करना ही आपको विजेता बनाता है. माध्यम आपकी बिटिया बनी है तो आप अपनी इच्छा-शक्ति को विचलित न होने दीजियेगा. आपको शुभ कामना .
अलका मधुसूदन पटेल
अंत अच्छा लगा
पर अब समय है विदा कहने का,
धुवें के लंबे कश अब और नही,
अलविदा.... सिगरेट ....अलविदा...
बहुत सुंदर बधाई cigg se alvida kehne ke liye.
achcha kaam kiya tumne dil ko chooti kavita
इस बार का आपका लेखन बहुत पसंद आया। मैंने आपमें तेवर हमेशा देखा है।
सजीव जी ,बहुत बहुत शुभकामनाएं सिगरेट छोड़ने पर और उसके पीने से होने वाले नुकसान बताने वाली कविता लिखने के लिए !मेरी कोशिश रहेगी की में ये कविता नो स्मोकिंग डे पर होने वाली सेमिनार में इसको डिस्पले करूं और राजीव गांधी अस्पताल में भी और ईम्स में भी इसके पोस्टर बनवा कर भेजूं !ज्ञानवर्धक प्रस्तुति के लिए धन्यवाद !
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