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Thursday, March 06, 2008

आवारा नज़्मों की उम्र मगर बहुत लंबी होती है


कल हमने अनिल जींगर की कविता 'ख़त साँस लेते हैं' प्रकाशित की। जिस तरह कवि अनिल जींगर हिन्द-युग्म के लिए नये हैं, उसी तरह आज प्रकाशित हो रही कविता 'सफ़र' के रचयिता अनुराग आर्या इस मंच के लिए नये हैं।

पेशे से डॉक्टर कवि अनुराग आर्या उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में त्वचा-रोग विशेषज्ञ के रूप में प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं। गुलज़ार, जावेद अख़्तर, मुजफ्फ़र वरसी, मुनव्वर राना, बशीर बद्र, निदा फ़ाजली इनके प्रिय शायरों में है और कमलेश्वर, फणीश्वर नाथ रेणु व शिवानी हिन्दी लेखकों में खास प्रिय हैं। इन्होंने MBBS और PG की पढ़ाई राजकीय मेडिकल कॉलेज़, सूरत से की है।

पुरस्कृत कविता- सफ़र

हर शब
सफ़र करती है
कई रगों का,
कई मोड़ों पे ठहरती है
जमा करती है कुछ लफ़्ज
और रखकर
"मायनों" को अपनी पीठ पर
सीने दर सीने फिरती है
आवाज दे देकर जब ढूंढ़ता है शायर
थकी हुई
किसी स्याही से लिपटी हुई
किसी सफ़हे पे सोई मिलती है
थामो हाथ तो ........
नब्ज़ रुकी-रुकी सी मिलती है
इन आवारा नज़्मों की उम्र मगर बहुत लंबी होती है

निर्णायकों की नज़र में-


प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक-५, ५॰७, ७॰०५
औसत अंक- ५॰९१६६७
स्थान- उन्नीसवाँ


द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ७॰५, ६॰२, ५, ५॰९१६६७(पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ६॰१५४१६६
स्थान- पाँचवाँ


अंतिम जज की टिप्पणी-
बेहतरीन रचना। आवारा नज़्म और शायर की मन:स्थिति को बखूबी बयाँ करती है रचना।
कला पक्ष: ८/१०
भाव पक्ष: ८/१०
कुल योग: १६/२०
स्थान- चौथा


पुरस्कार- सूरज प्रकाश द्वारा संपादित पुस्तक कथा-दशक'

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21 कविताप्रेमियों का कहना है :

Sajeev का कहना है कि -

उत्कृष्ट रचना..... मर कर भी नहीं मरती ये आवारा नज़्म...

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

थामो हाथ तो ........
नब्ज़ रुकी-रुकी सी मिलती है
-- आपके पेशे से मेल खाती है ये पंक्तियाँ |
उत्तम रचना |

अवनीश तिवारी

neelima का कहना है कि -

bahut badhiya ,sabit hua ki aap "GULJAR " ji ke fan hai. sach me is nazm kiumr bhi lambi rahegi.

कुश का कहना है कि -

waah anuraag ji... atyant sundar....
is nazm ki umra wakai main bahut lambi hai..

badhaai swikar kare

Unknown का कहना है कि -

दिल से कही गयी एक आवारा नज्म जो साथ साथ चलती है
बहुत खूब

meeta का कहना है कि -

कई रगों का,
कई मोड़ों पे ठहरती है
जमा करती है कुछ लफ़्ज
और रखकर
"मायनों" को अपनी पीठ पर
सीने दर सीने फिरती है
::
इन आवारा नज़्मों की उम्र मगर बहुत लंबी होती है

::
नज़्म का सफ़र और उमर....... आप ही के शब्दो में लिखे तो ........ :)

मेरे रास्ते मे अक्सर आकर खड़े हो जाते है
मेरे कद से बड़े है मेरी शोहरत के साये
: बहोत खूब ..... ये नज़्म हमेशा से मेरी FAV. रही है...

Unknown का कहना है कि -

anurag,
bahut-2 badhai....ye nazm aapki mujhe pehle se hi pasand hai....hamari duayein ki aap hamesha aise hi likhte rahein.....

anju का कहना है कि -

थामो हाथ तो ........
नब्ज़ रुकी-रुकी सी मिलती है
इन आवारा नज़्मों की उम्र मगर बहुत लंबी होती है

अनुराग जी बहुत बहुत बधाई
आपकी इस सुंदर नज्म के लिए शुभकामनाये आपको

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

डॉक्टर साहब बहुत बढिया
नबज मतलव बजने वाली नब्ज है

ऐसी ही नजम मतलव जमने वाली नज्म की उमीद आगे भी

बहुत बहुत शुभकामनायें..
ढेरों बधाईयाँ..

Anonymous का कहना है कि -

अनुराग जी बहुत बहुत बधाई
आपकी इस सुंदर नज्म के लिए मैं सिर्फ़ यही कहुंगा कि आपने गागर में सागर भर दिया है

रंजू भाटिया का कहना है कि -

किसी स्याही से लिपटी हुई
किसी सफ़हे पे सोई मिलती है
थामो हाथ तो ........
नब्ज़ रुकी-रुकी सी मिलती है
इन आवारा नज़्मों की उम्र मगर बहुत लंबी होती है

बहुत सुंदर लिखी है .यह पंक्तियाँ विशेष रूप से पसंद आई !!

पारुल "पुखराज" का कहना है कि -

हमेशा की तरह्…बहुत खूब

dr minoo का कहना है कि -

anurag sach hai in aawara nazmon ki umr bahut lambi hoti hai...
nice to see you here...

Anonymous का कहना है कि -

अच्छी नज्म,बधाई स्वीकार करें
आलोक सिंह "साहिल"

RAVI KANT का कहना है कि -

इन आवारा नज़्मों की उम्र मगर बहुत लंबी होती है

बहुत सही डा. साहब। लिख्ते रहें।

Anonymous का कहना है कि -

थामो हाथ तो ........
नब्ज़ रुकी-रुकी सी मिलती
बहुत सुंदर आर्य जी बहुत बहुत badhai

seema gupta का कहना है कि -

किसी स्याही से लिपटी हुई
किसी सफ़हे पे सोई मिलती है
थामो हाथ तो ........
नब्ज़ रुकी-रुकी सी मिलती है
इन आवारा नज़्मों की उम्र मगर बहुत लंबी होती है
अच्छी नज्म,बधाई स्वीकार करें
Regards

करण समस्तीपुरी का कहना है कि -

कविता एक बार पढने में कुछ असामान्य जरूर लगती है किंतु जब इसके रहस्य का साक्षात्कार होता है तब इसमें छुपी गहरी संवेदना की अनुभूति होती है !

Sili Nazme का कहना है कि -

bahut khoob miya kamal kiya but kuch jagah khalipan laga ...
best wishesh

विश्व दीपक का कहना है कि -

बेहतरीन रचना है अनुराग जी।

बधाई स्वीकारें।

-विश्व दीपक ’तन्हा’

डॉ .अनुराग का कहना है कि -

shukriya aap sabhi ka .

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