फटाफट (25 नई पोस्ट):

Tuesday, February 05, 2008

हर पल इक नया स्वप्न



हर पल देखते नयन मेरे, इक नया स्वप्न
और मिटा देते उसको स्वंय, मन ही मन

शुष्क कोष्ठों में निहित
अस्फ़ुटित, निश्चेत सा
घुटता धरा की कोख में
एक जीवन जी रहा
रितु आगमन की चाह में
जब तनिक सी नमी से
बीज यह प्राण प्रतिष्ठा पायेगा
नव जीवन की किरण बन
कोमल कौंपल के रूप में
प्रकट हो धरा पर आयेगा

हर पल देखते नयन मेरे, इक नया स्वप्न
और मिटा देते उसको स्वंय, मन ही मन

समाप्त होती नहीं यहीं पर
अनुतरित प्रश्नों की झडी
जाने कितनी बाधायें हों
प्रकाशित सतह पर खडी
क्या हो यदि अवतरण हुआ
आंचल में किसी कंटीली झाड के
जो दे चुभन ही चुभन बदले में
उस आपेक्षित छाया और आड के
इससे चिरकाल निंद्रा का स्वाद ही भला
जीवन पाकर काहे, जीवन से जाऊं छला

हर पल देखते नयन मेरे, इक नया स्वप्न
और मिटा देते उसको स्वंय, मन ही मन

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

13 कविताप्रेमियों का कहना है :

शोभा का कहना है कि -

मोहिन्देर्जी
स्वप्न देखना बहुत अच होता है यही जीवन को नई प्रेरणा देता है .
शुष्क कोष्ठों में निहित
अस्फ़ुटित, निश्चेत सा
घुटता धरा की कोख में
एक जीवन जी रहा
रितु आगमन की चाह में
जब तनिक सी नमी से
बधाई

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

दोनों छंद गहरे है |
बधाई
अवनीश तिवारी

seema gupta का कहना है कि -

हर पल देखते नयन मेरे, इक नया स्वप्न
और मिटा देते उसको स्वंय, मन ही मन
"बधाई" atee sunder

रंजू भाटिया का कहना है कि -

नव जीवन की किरण बन
कोमल कौंपल के रूप में
प्रकट हो धरा पर आयेगा

बहुत सुंदर मोहिंदर जी सपने हैं तो उनको जीने का भी दिल करता है !!

Anonymous का कहना है कि -

बहुत बढ़िया मोहिंदर जी ,सपने मन बुनता है,खुद ही मिटाता है
और एक नया सपना पाने के लिए.बहुत सुंदर कविता बधाई.

Unknown का कहना है कि -

इससे चिरकाल निंद्रा का स्वाद ही भला
जीवन पाकर काहे, जीवन से जाऊं छला
क्या बात है। अति सुंदर।

Kumud Adhikari का कहना है कि -

हर पल देखते नयन मेरे, इक नया स्वप्न
और मिटा देते उसको स्वंय, मन ही मन

बहुत सुंदर मोहिन्दर जी। बहुत बधाई।
कुमुद।

Sajeev का कहना है कि -

mohinder ji kavita bahut sunder par jo chitr aapne diya hai, usse kuch sampark samjha nahi payaa

Mohinder56 का कहना है कि -

सारथी जी,

चित्र में दिखाया गया हिरण का छौना वह कौंपल है जो अभी अभी अंकुरित हुई है और बाघ वह कंटीली झाड जो उस छौने का जीवन हर लेगी....
हर कौंपल एक हरा भरा पेड बने.. यह जरूरी नहीं.. इस कविता और इस चित्र का यही आशय है

Avanish Gautam का कहना है कि -

लगता है जैसे कवि कमजोर कथ्य को भारी-भरकम भाषा से ढकना चाहता है.

Alpana Verma का कहना है कि -

सुंदर प्रस्तुति मोहिंदर जी.

गीता पंडित का कहना है कि -

हर पल देखते नयन मेरे, इक नया स्वप्न
और मिटा देते उसको स्वंय, मन ही मन

बहुत सुंदर....

मोहिन्दर जी।
बधाई ।

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

मैं अवनीश जी से सहमत हूँ।

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)