तीसरे स्थान पर कवयित्री डॉ॰ मीनू की कविताओं का राज है। कवयित्री हिन्द-युग्म की इस प्रतियोगिता में तीसरी बार भाग ले रही हैं। इनका परिचय यहाँ देख लें।
पुरस्कृत कविता- क्षणिकाएँ
1) अरमानों की बारात फिर सजी है
गुलज़ार में कली महक उठी है
वक़्त के धुंधले आईने में तेरी
निशानी साफ दिख रही है
नींव रखते वक़्त जरूर
तूने पसीने से दस्तखत की है
2) सुबह से पहले
अँधेरा नहीं छंटता
चाहे कितनी ही करो
पैमाइश-ए-वक़्त
और कभी रेत सा
फिसल जाता है वक़्त
बहुत बड़ा खिलाड़ी है
वक़्त
वक़्त की मार का मरहम
है खुद वक़्त
सब कुछ मिटा गया
मगर खुद नहीं मिटा
देखो यह
बेमुरव्वत
वक़्त
3) नाता
गम से नाता
ख़ुशी से नाता
व्यक्ति से नाता
किसी शै से नाता
यह नाता ही तो
जड़ है
हर उलझन का
संबंधातीत होकर
के जीना है
जीवन की
उच्चतम
पराकाष्ठा
4) आदमी
इक सांस का है धागा
और
सुख दुःख कि है सुई
मौत को बुनता हुआ बस
जी रहा है
आदमी
मौन हैं प्रश्न
उत्तर दे कौन
उन्हीं कि खोज में
बस जी रहा है
आदमी
5) संजीवनी
एक प्यासा मृग
आया नदी किनारे
बिंध गया बाणों से
यदि प्यासा न होता
तो क्या वहाँ आता
तार था कोई टूटा
राग था कोई मचला
चरम राग न मचलता
तो क्या तार टूटता
जो दुःख सरस्वती में
नहाते हैं
गति का वरदान
पाते हैं
संजीवनी
पा जाते हैं
मरू पाषणों के
उर तक पिघलाते
हैं
6) द्वंद
हर पलक है झुकी अश्रु के बोझ से
कैसे जिए कोई इस दृश्य को देख कर
सह ले यह दर्द
पी ले यह मौन
कैसे जिए कोई
इन नयनों को देखकर
स्पंद हैं छंद
भीतर है द्वंद
कैसे जिए कोई
इन प्रश्नों को लेकर
पी तो ले आग मगर
कैसे जिए कोई
इस आग को देखकर
बोलो
कैसे जिए कोई
इन पलकों कि छाँव में
कैसे जिए कोई
इन अश्रुओं के गाँव में
7) जीवन
कस्तूरी मृग
आँखों का धोखा
उद्देश्यहीन जीवन
बड़ा बेढंगा
जिंदगी बस
एक मौका
खो न देना तू
यह मौका
8) विश्राम
ओ सूरज के अंश
प्राची के रक्त कोष
सुलगा ले आग
दे दे जग को
अमित तोष
पहना दे पायल
आंधी को
संबंध रच तूफानों से
पा ले गति
पैरों के छालों से
छालों के बहते पानी से
याद रखना
घायल विश्राम न लेना कभी
पथ पूर्णविराम न लेना कभी
निर्णायकों की नज़र में-
प्रथम चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ८॰४
स्थान- प्रथम
द्वितीय चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ६, ५, ८॰४ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ६॰४६६६
स्थान- तेरहवाँ
तृतीय चरण के ज़ज़ की टिप्पणी-पहला और सातवाँ उत्कृष्ट बन पड़े हैं। बाकी क्षणिकाओं की धार से कुछ अलग दिखते हैं।
कथ्य: ४/२॰५ शिल्प: ३/१॰५ भाषा: ३/२
कुल- ६
स्थान- पाँचवाँ
अंतिम ज़ज़ की टिप्पणी-
कवि का “क्षणिकायें” नाम न दे कर “कुछ कवितायें” शीर्षक प्रदान करना उचित होता। लघुकविताओं में बातें गहरी हैं और रचनाओं की सादगी प्रभावित करती है।
कला पक्ष: ७॰५/१०
भाव पक्ष: ८॰५/१०
कुल योग: १६/२०
पुरस्कार- सूरज प्रकाश द्वारा संपादित पुस्तक कथा-दशक'
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10 कविताप्रेमियों का कहना है :
बधाई हो मीनुजी,बहुत सुंदर,खास करके,१,२,५,६ बहुत खूब .
जीवन
कस्तूरी मृग
आँखों का धोखा
उद्देश्यहीन जीवन
बड़ा बेढंगा
जिंदगी बस
एक मौका
खो न देना तू
यह मौका
"वाह , बहुत खूब जिन्दगी से परिचय कराया आपने , बहुत बधाई "
डॉ. साहब..
बहुत ही सुन्दर सुन्दर लघु-कवितायें है..
बहुत बहुत बधाई
thanks mehek...seema ji...bhupendra ji....
thanks dear mehek...seema ji...bhupendra ji...
सुन्दर लघु-कवितायें .....
बधाई
thanks geeta ji....
मीनू जी सभी क्षणिकाएँ अच्छी लगीं.
कविता-लेखन पर अभी और अभ्यास की ज़रूरत है। अतिरिक्त शब्दों की काट-छाँट आवश्यक है।
thanks alpanaji...you are regular reader of hindi yugm....comments padhkar achha laga...
shailaish ji....aaagey sey dhyaan rakhungii aapki baat ka....
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