हिन्द-युग्म को प्रेम सहजवाला का एक ईमेल मिला जिसमें उन्होंने लिखा है कि २ फरवरी २००८ को (विश्व पुस्तक मेला २००८ में) हिन्द-युग्म का स्टैंड देखकर उन्हें बहुत प्रसन्नता हुई। हिन्द-युग्म का स्टैंड छोटा है, मगर प्रेम जी उसकी निश्छलता से अभिभूत हैं।
हिन्द-युग्म के प्रथम अलबम 'पहला सुर' के उद्घाटन अवसर पर इन्हें एक कविता सूझी और उसे इन्होंने हिन्द-युग्म को भेज दी, जिसे आज हम यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं।
पाठकों को हम यह बता दें कि प्रेम सहजवाला हिन्द-युग्म के 'पहला सुर' के पहले खरीददार हैं, मतलब बोहनी किये हैं।
पढ़ने में ही शक्ति है,
पढ़ना सच्ची भक्ति है।
पुस्तक में ही ज्ञान है
देश का यह निर्माण है।
पुस्तक में हैं बाइबल-गीता
पुस्तक में कुरआन है।
पुस्तक में हैं ईसा-मूसा
और कृष्ण भगवान है।
इश्वर-अल्लाह की शिक्षा है
गुरु नानक का ज्ञान है।
पुस्तक में भारत माता के
आशीषों की खान है।
शब्द-शब्द में छुपा है इक
मंज़िल का आह्वान है।
पन्ने-पन्ने पर मुस्काता
हम सब का भगवान है।
पंक्ति-पंक्ति में प्रगति पथ पर
बढ़ता हुआ इंसान है।
हम बच्चे विद्वान बनेंगे
देश का हम निर्माण करेंगे।
प्रेम चंद सहजवाला
स्टैंड का पता- हॉल नं॰ १२, स्टैंड नं॰ एस १/१० (वाणी प्रकाशन के स्टॉल के ठीक सामने, एन बी टी के स्टॉल के बगल में)
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11 कविताप्रेमियों का कहना है :
आशु कविता के तौर पर तो अच्छी है.
कृष्ण को कृष्ण ही रहने देते
कृष्ठ क्यों दिया बनाये.
कृपया पोस्ट में सुधार दें.
प्रेम सहजवाला जी हिन्द-युग्म के 'पहला सुर' के पहले खरीददार होने के लिए और पुस्तक मेला पर कवीता लिखने पर बधाई.
पढ़ने में ही शक्ति है,
पढ़ना सच्ची भक्ति है।
Regards
प्रेम सहजवाला भाई ,
सुंदर लिखा है |
अवनीश तिवारी
प्रेम सहजवाला सचमुच में सहज प्रेम वाला है
हिन्द-युग्म ने इनसे पायी अनूठी प्रेम हाला है
पहला कदम बढ़ाया जिसने 'पहला सुर' लेने का
पहला धर्म है अपना इनको धन्यवाद देने का
उपर से फिर प्रेम में लिपटी सुन्दर कविता भेजी
प्रेरित करती पढो किताबें, सबको करती क्रेजी
प्रेम जी बहुत बहुत धन्यवाद..
सदा प्रेम की आकांक्षा में..
हिन्द-युग्म
prem ji kamal ka prem hai aapka kavita ke prati, aapko dekhkar ek nayi urja milti hai.... dhanyhewaad is prastuti ke liye
बहुत खूब ..शुक्रिया आपका !
सहाजवालाजी बहुत बहुत बधाई,सुंदर कविता है |
प्रेम जी, हिन्द-युग्म के प्रयास के ऊपर कविता लिखने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।
कविता बढिया है, बधाई स्वीकारें!
-विश्व दीपक ’तन्हा’
प्रेम सहजवाला जी ,
हिन्द-युग्म के 'पहला सुर' के
पहले खरीददार ..........."पुस्तक मेला"
पर कवीता लिखने पर
बधाई |
अच्छी प्रस्तुति.
लिखते रहिये
प्रेम जी,
हम आपका प्रेम पाकर बहुत भाग्यशाली महसूस कर रहे हैं।
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