कवि दीपेन्द्र की कविता उनका परिचय मिलने के बाद प्रकाशित करेंगे। उससे पहले पाँचवे स्थान के कवि विनय के जोशी की कव'अजन्मी' प्रकाशित कर रहे हैं। पिछली बार इनकी क्षणिकाएँ अंतिम १० में थीं। इनकी क्षणिकाएँ और इनका परिचय 'यहाँ' पढ़े जा सकते हैं।
पुरस्कृत कविता- अजन्मी
जर्जर काया
पराश्रित जीवन
बुढ़ापा भरी
उस पर नारी .....
मैं कौन ?
मेरी ख्वाहिशें क्या ?
अधेड़ प्रौढ़ा
कुल की माया
नाती-पोतों की आया
उपेक्षा के बदले
वारी वारी ........
लहलहाती फसल
खनकता कुन्दन
शृंगारित दासी
जर जमीन जोरू
जागीरदारी ........
आदमखोर स्वछंद
मासूम कैद
संभल कर चलो
ओ नारी !
अभी हो कुंवारी ....
दूध भैया का .....
खिलौने भैया के ......
स्कूल भैया जाएगा ..........
उफ !
बहुत बुरा है,
दो पैरों का जानवर
अपनी मादा के साथ |
शुक्र है मैं मुक्त हूँ
उन्मुक्त हूँ
जीवन रहा नही
मरण वार दिया
तन तारिणी
वन्ही (अग्नि) सागर
पल में पार किया ...
सांसें लेती
लाशों ने मुझे
कोख ही मे मार दिया
निर्णायकों की नज़र में-
प्रथम चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ७॰७५
स्थान- तेरहवाँ
द्वितीय चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ५॰५, ६॰५, ७॰७५ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ६॰५८३३३
स्थान- बारहवाँ
तृतीय चरण के ज़ज़ की टिप्पणी-कविता में हाइकू का प्रभाव दिखता है।
कथ्य: ४/२ शिल्प: ३/१॰५ भाषा: ३/२
कुल- ५॰५
स्थान- नौवाँ
अंतिम ज़ज़ की टिप्पणी-
रचना सादगी के अभाव में उलझ गयी है। इतने सशक्त और संवेदित करने वाले विषय को अपने अनुरूप ही शब्द चयन और बिम्बों की आवश्यकता होती है।
कला पक्ष: ७॰१/१०
भाव पक्ष: ८/१०
कुल योग: १५॰१/२०
पुरस्कार- सूरज प्रकाश द्वारा संपादित पुस्तक कथा-दशक'
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
6 कविताप्रेमियों का कहना है :
शुक्र है मैं मुक्त हूँ
उन्मुक्त हूँ
जीवन रहा नही
मरण वार दिया
तन तारिणी
वन्ही (अग्नि) सागर
पल में पार किया ...
सांसें लेती
लाशों ने मुझे
कोख ही मे मार दिया
" बडी ही भावपूर्ण और करुण रचना लगी , दिल भावुक हो उठता ये पंक्तियाँ पढ़कर "
बहुत भावुक कर देनेवाली कविता है,बधाई |
सुन्दर गहरी भावपूर्ण रचना..
सांसें लेती
लाशों ने मुझे
कोख ही मे मार दिया
साधूवाद्
बहुत भावपूर्ण रचना है,
बधाई |
कविता भाव पूर्ण है...दिल को छू लेती है.........
विषय पुराना मगर गंभीर और महत्वपूर्ण है.
अपने आप में बेहड़ सशक्त रचना.चन्द चुने शब्दों में गुंथी हुई परन्तु एक बड़ी व्याख्या लिए हुए.है.
विनय के जोशी जी,
आपमें एक बेहतर कवि की गुँजाइश है। हाँ, अल्पना जी की बात गौर करने के लायक है।
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)