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Tuesday, February 19, 2008

इक बार मुड़ के देख ले




इक बार मुड़ के देख ले
किसी को तुझसे प्यार है
किसी को इन्तज़ार है
इक निगाह का सवाल है
बस तेरा ही ख्याल है
इक बार मुड़ के देख ले

इक बार मुड़ के देख ले
सफ़र की तल्लखियां भुला
शम्मा आस की जला
खडा है कोई मोड पर
नजरें राह में बिछा
इक बार मुड़ के देख ले

इक बार मुड़ के देख ले
बस इतनी सी अर्ज है
निभा, दोस्ती का फ़र्ज है
जाने फ़िर मिलें न मिलें
अगर आज जुदा राह है
इक बार मुड़ के देख ले

इक बार मुड़ के देख ले
ख्वाबों को पलकों में लिये
टिमटिमा रहे हैं कुछ दीये
बेकाबू हुई दिल की धडकने
बसा के आरजू बेशुमार ये
इक बार मुड़ के देख ले

इक बार मुड़ के देख ले
मंजिलों को तलाशता
है रुका हुआ एक रास्ता
बन हमसफ़र मेरी हमनशीं
हो सफ़र मेरा भी दिलकशीं
इक बार मुड़ के देख ले

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22 कविताप्रेमियों का कहना है :

रंजू भाटिया का कहना है कि -

इक बार मुड के देख ले
सफ़र की तल्लखियां भुला
शम्मा आस की जला
खडा है कोई मोड पर
नजरें राह में बिछा
इक बार मुड के देख ले

सुंदर गीत सुंदर भाव से सजा हुआ ..बहुत पसन्द आया .बधाई मोहिंदर जी !!

mehek का कहना है कि -

बहुत सुंदर बधाई

mehek का कहना है कि -

ये लिखना भूल गए की जितनी खूबसूरत kavita hai saath juda chitra bhi utna hi khubsurat hai.

SahityaShilpi का कहना है कि -

’इक बार मुड़ के देख ले’ मगर यहाँ तो सब देखा हुआ लग रहा है. मोहिन्दर जी! पूरी रचना कहीं भी पाठक को बाँध नहीं पाती. प्रयुक्त सारे प्रतीक और बिंब पुराने हो चुके हैं. लयबद्धता के लिये कई भर्ती के शब्दों का प्रयोग खटकता है.
आशा है कि अगली बार फिर आप अपनी पुरानी रंगत में नज़र आयेंगे!

RAVI KANT का कहना है कि -

मोहिन्दर जी, अजय जी से सहमत हुँ। आपकी अन्य रचनाओं से कमजोर है यह।

seema gupta का कहना है कि -

इक बार मुड के देख ले
सफ़र की तल्लखियां भुला
शम्मा आस की जला
खडा है कोई मोड पर
नजरें राह में बिछा
इक बार मुड के देख ले

सुंदर गीत .बधाई

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

इक बार मुड के देख ले
सफ़र की तल्लखियां भुला

इक बार मुड के देख ले
मंजिलों को तलाशता
है रुका हुआ एक रास्ता

गाये जाने पर इसे सुनने का अलग अनुभव होगा। अच्छी रचना..

*** राजीव रंजन प्रसाद

Keerti Vaidya का कहना है कि -

madhur geet....

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

आपकी अन्य कविताओं व रचनाओं के तुलनात्मक दृष्टिकोण से तो लेखनी कमतर प्रतीत हुई परंतु गायन के साथ देखा जाये तो मधुर गीत बनेगा..

अन्य से थोडा हटकर है..

शोभा का कहना है कि -

मोहिन्दर जी
दिल के भाव सुन्दर रूप में व्यक्त हुए हैं ।
इक बार मुड के देख ले
सफ़र की तल्लखियां भुला
शम्मा आस की जला
खडा है कोई मोड पर
नजरें राह में बिछा
इक बार मुड के देख ले

बधाई

Anonymous का कहना है कि -

मोहिंदर जी इक बार मुद के देखने की तमन्ना तो हमारी भी थी,पर नयापन नही लगा तो चाह कर भी नही देख पाए,कविता सुंदर बन पड़ी है पर पाठक अब नए उपमान तलाशता है और खासकर आप जैसे लोगो से तो हक़ बनता है,सुंदर गीत के लिए बधाई.
आलोक सिंह "साहिल"

Udan Tashtari का कहना है कि -

एक बेहतरीन गीत देने के लिये बधाई. आनन्द आ गया.

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

रचना मे उतार - चढाव होता रहता है |
यह रचना विशेष तो नही लेकिन भाव तो अच्छे हैं ही |
इसके लिए बधाई |


अवनीश तिवारी

गौरव सोलंकी का कहना है कि -

यह अगर फ़िल्मी गीत बने तो बहुत प्यारा गाना बनेगा। एलबम के लिए बहुत अच्छा गाना है।

Unknown का कहना है कि -

मोहिंदर जी !

मैं भी गौरव जी से सहमत हूँ. इस बार सजीव जी की टीम को कोई और कारण नहीं मिलना चाहिए इस गीत को लेकर

अभिषेक ताम्रकार "अभि" का कहना है कि -

इक बार मेरे पास आ ,
इक बार तो ये एहसान कर ,
मेरी तड़पती निगाह को ,
अपनी इक झलक तो दे ,
जो मै न देख पाऊ तुझे कभी ,
इक बार तू ही मुड़कर देख ले ....

आपकी इस प्यारी सी रचना को पढ़कर मेरे दिल से कुछ यही शब्द निकले हैं ....बहुत खूब

Admin का कहना है कि -

जालिम की कल्पना :-

कवि कल्पना कर रहा है मगर पीछे से .....वोः बुलाना चाहता है किसी को की जरा पीछे मुड़ कर देख.... परन्तु कवि कल्पना के सगर में डूब चूका है...

कवि महोदय जरा जोर से उसका नाम पुकारिये वो जरूर पीछे पलटेगा/पलटेगी
हा हा ..या उसके आगे खडे हो जाओ जी

विश्व दीपक का कहना है कि -

सच में एक बढिया गीत बन पड़ा है। सजीव जी को इसपर नज़र डालनी चाहिए।
मोहिन्दर जी!
बधाई स्वीकारें।

-विश्व दीपक ’तन्हा’

नीरज गोस्वामी का कहना है कि -

सुंदर भाव, अच्छे शब्द बढिया रचना....
नीरज

Alok Shankar का कहना है कि -

mohindar ji
achchi kavita

गीता पंडित का कहना है कि -

इक बार मुड के देख ले
सफ़र की तल्लखियां भुला
शम्मा आस की जला
खडा है कोई मोड पर
नजरें राह में बिछा
इक बार मुड के देख ले

सुंदर गीत


बधाई

स-स्नेह
गीता पंडित

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

शिल्प बहुत कमज़ोर है

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