पावस नीर भी ऐसे ही कवि हैं जिन्होंने हिन्द-युग्म की यूनिकवि प्रतियोगिता में पहली बार भाग लिया और हमें खुशी है कि उनकी कविता १४वें क्रम पर रही और हम प्रकाशित भी कर रहे हैं। जब दो कविताओं को बराबर अंक मिलता है तो हम उन्हें एक ही पायदान देते हैं और उसके बाद वाली कविताओं को समान प्राप्तांक वाली कविताओं की कुल संख्या को वर्तमान स्थान में जोड़कर, उसके बाद का स्थान देते हैं।
कविता- सांचा
वो पतले धागे सी रस्सी पर दौड़ता हुआ आया
उछला
कूदा
भागा
उल्टा हुआ
सीधा
खड़ा हुआ
नमस्कार किया
तालियाँ बजी
और खेल समाप्त हुआ
देखा उनकी ओर
जो दम साधे उसका खेल देख रहे थे
रंग बिरंगे चेहरे
जैसे एक ही सांचे मे ढले हुए
और उसे ख़ुद पर गर्व हो आया क्यूँकि उसका सांचा
अलग था
निर्णायकों की नज़र में-
प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ७॰५
स्थान- बाइसवाँ
द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ६॰६, ५, ७॰५ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ६॰३६६६७
स्थान- पंद्रहवाँ
तृतीय चरण के जज की टिप्पणी- काव्यात्मक गंभीरता की कमी है।
कथ्य: ४/२ शिल्प: ३/१॰५ भाषा: ३/१॰५
कुल- ५
स्थान- तेरहवाँ
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13 कविताप्रेमियों का कहना है :
बहुत सुंदर बधाई
अच्छी रचना है, नीर जी! आगे आपसे और भी बेहतर रचना की उम्मीद है.
जो दम साधे उसका खेल देख रहे थे
रंग बिरंगे चेहरे
जैसे एक ही सांचे मे ढले हुए
और उसे ख़ुद पर गर्व हो आया क्यूँकि उसका सांचा
अलग था
बहुत खूब पावस जी...
बधाई स्वीकारें।
*** राजीव रंजन प्रसाद
जो दम साधे उसका खेल देख रहे थे
रंग बिरंगे चेहरे
जैसे एक ही सांचे मे ढले हुए
और उसे ख़ुद पर गर्व हो आया क्यूँकि उसका सांचा
अलग था
बढ़िया....
पावस जी सुंदर रचना के लिए बधाई और चूँकि आप की पहली प्रस्तुति है तो हम अपने परिवार में आपका स्वागत करते हैं,आगे बेहतर की उम्मीद सहित
आलोक सिंह "साहिल"
पावस जी सुंदर रचना के लिए बधाई और चूँकि आप की पहली प्रस्तुति है तो हम अपने परिवार में आपका स्वागत करते हैं,आगे बेहतर की उम्मीद सहित
आलोक सिंह "साहिल"
भाव सुंदर है |
इसके लिए बधाई |
स्वागत है हिंद युग्म मे ....
अवनीश तिवारी
वाह.... स्वाभाविक ही निकला था मुँह से..... बढ़िया शुरुवात पावस
पावस जी, बढ़िया लिखा है आपने।
और उसे ख़ुद पर गर्व हो आया क्यूँकि उसका सांचा
अलग था
बधाई।
पहले प्रयास को स्थान देने के लिए हिंद युग्म का आभारी हूँ
जिन्हें प्रयास अच्छा लगा उन्हें धन्यवाद और जिन्हें कमी दिखी उनसे माफ़ी चाहूँगा , आशा है अगला प्रयास आपकी उमीदों पर खरा उतरेगा
सुंदर भाव .....
बधाई
कुछ ख़ास नहीं है पावस जी इसमें।
बहुत अछि रचना लिखी है
बधाई हो
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