हिन्द-युग्म की यूनिकवि प्रतियोगिता में बहुत से नये कवियों ने भाग लिया। १२वें स्थान के कवि सुदर्शन गुप्ता 'मौसम' भी ऐसे ही प्रतिभागी हैं।
पुरस्कृत कविता- दीवाना यूं है दिल
तेरे तसव्वुर में मेरी आँख जब खोती है,
तू यहीं कहीं मेरे आस-पास महसूस होती है|
पास तू नहीं गोया चिराग तले अँधेरा,
जिसके साथ तू हो रोशनी उसके पास होती है|
तेरी दौलत का हिसाब नहीं जहाँ में,
मोती गिरते हैं, तेरी आँख जब रोती है|
दीवाना यूं है दिल तुझसे मिलने के बाद,
जैसे हर शै में, तेरी कमी महसूस होती है|
तेरे बगैर गुजरती हुई रात में ऐसा लगता है,
उदासी मेरे यहाँ, चाँदनी कहीं ओर सोती है|
यादों में तेरी यूं भीगा रहता है मौसम,
गोया मेरे यहाँ बारहों महीने बरसात होती है|
निर्णायकों की नज़र में-
प्रथम चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ७॰५
स्थान- बाइसवाँ
द्वितीय चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ५, ७॰५, ७॰५ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ६॰६६६७
स्थान- दसवाँ
तृतीय चरण के ज़ज़ की टिप्पणी- अच्छी गजल है पर शब्द दोहराए गए हैं।
कथ्य: ४/२॰५ शिल्प: ३/२ भाषा: ३//२
कुल- ६॰५
स्थान- चौथा
अंतिम ज़ज़ की टिप्पणी- चमत्कृत-स्पंदित करने वाले शेरों का अभाव है। अच्छा प्रयास है।
कला पक्ष: ५॰५/१०
भाव पक्ष: ५॰५/१०
कुल योग: ११/२०
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10 कविताप्रेमियों का कहना है :
तेरे तसव्वुर में मेरी आँख जब खोती है,
तू यहीं कहीं मेरे आस-पास महसूस होती है|
"दीवाने दिल के दीवानगी का बहुत सुंदर चित्रण, एक खुशनुमा से कवीता, बधाई"
Regards
तेरी दौलत का हिसाब नहीं जहाँ में,
मोती गिरते हैं, तेरी आँख जब रोती है|
दीवाना यूं है दिल तुझसे मिलने के बाद,
जैसे हर शै में, तेरी कमी महसूस होती है
सुदर्शन जी अच्छी प्रस्तुति,बधाई हो
आलोक सिंह "साहिल"
सुंदर गजल है . बधाई
सुन्दर प्रस्तुति श्रीमान
तेरे बगैर गुजरती हुई रात में ऐसा लगता है,
उदासी मेरे यहाँ, चाँदनी कहीं ओर सोती है|
यादों में तेरी यूं भीगा रहता है मौसम,
गोया मेरे यहाँ बारहों महीने बरसात होती है|
बधाई | सुंदर रचना |
अवनीश तिवारी
मौसम बार महीने बरसात का,sundar rachana hai badhai
यादों में तेरी यूं भीगा रहता है मौसम,
गोया मेरे यहाँ बारहों महीने बरसात होती है|
अच्छे हैं भाव, पर प्रस्तुति बेहतर हो सकती थी
दीवाना यूं है दिल तुझसे मिलने के बाद,
जैसे हर शै में, तेरी कमी महसूस होती है|
बहुत सुन्दर।
मौसम की दीवानगी देखी सुनी सी लगी.
प्रयास जारी रखें.आप की रचनाओं का आगे भी इंतज़ार रहेगा.
आपकी कविता या ग़ज़ल बिलकुल भी प्रभावित नहीं करती। अगर आप अभ्यास किये तो कम से कम ग़ज़ल का व्याकरण ज़रूर सुधर सकता था।
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